hotaks444
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रूम सर्विस --1
हेल्लो दोस्तों मैं यानि आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी रूम सर्विस लेकर आपके लिए हाजिर हूँ
आशा करता हूँ मेरी आपको मेरी पहली कहानियों की तरह ये कहानी भी पसंद आएगी ये कहानी एक लड़की के संघर्ष की कहानी है उसने कितनी कठिनाइयो का सामना किया अपना करिअर बनाने मैं
ऋतु प्रोबेशन पे दो महीने से काम कर रही थी. आज उसकी सूपरवाइज़र कुमुद मेडम ने उसे किसी काम से बुलाया था. ऋतु ने धीरे से कुमुद मेडम के ऑफीस का दरवाज़ा खटखटाया.
कुमुद -“कम इन”.
ऋतु – “गुड मॉर्निंग मेडम. आपने मुझे बुलाया.”
कुमुद -“हेलो ऋतु.. प्लीज़ हॅव ए सीट”.
ऋतु – “थॅंक यू मेडम”
कुमुद -“ऋतु आज तुम्हे इस होटेल में दो महीने हो गये हैं प्रोबेशन पे. तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूँ. यू आर ए गुड वर्कर, स्मार्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड हमारे प्रोफेशन में यह सभी क्वालिटीस बहुत मायने रखती हैं. दिस ईज़ व्हाट दा गेस्ट्स लाइक.”.
ऋतु यह सुनके स्माइल करने लगी.. उसे बहुत खुशी हुई यह जानके की उसकी सूपरवाइज़र कुमुद उसके काम से खुश हैं. यह नौकरी ऋतु के लिए बहुत ज़रूरी थी. रिसेशन की वजह से ऋतु अपनी पिछली जॉब से हाथ धो बैठी थी.
ऋतु – “थॅंक यू मेम… आइ एंजाय वर्किंग हियर आंड आपसे मुझे बहुत सीखने को मिला हैं इन दो महीनो में.”
कुमुद ने एक पेपर उसकी तरफ सरका दिया.-“ऋतु… यह तुम्हारा नया एंप्लाय्मेंट कांट्रॅक्ट हैं. इसको साइन करके तुम प्रेस्टीज होटेल की एंप्लायी बन जाओगी. ”.
प्रेस्टीज होटेल फाइव स्टार होटलों मैं नंबर वन था वैसे भी ये होटल प्राइम लोकेशन पर था एरपोर्ट भी नज़दीक ही था. ऋतु बहुत खुश थी आज कुमुद मेडम ने उसके काम से खुश होकर उसे पर्मानेन्त जॉब दे दिया था उसने जल्दी अपोंटमेंट लेटर साइन कर दिया
कुमुद -“ऋतु आइ लाइक यू वेरी मच. यू आर आंबिशियस. आइ सी दा फाइयर इन यू. इन फॅक्ट यू रिमाइंड मे ऑफ युवरसेल्फ. आइ एम श्योर यू हॅव ए ग्रेट फ्यूचर इन अवर लाइन”. शी विंक्ड.
ऋतु थोड़ी हैरान हुई की कुमुद ने आँख क्यू मारी लेकिन एक नकली सी मुस्कुराहट चेहरे पे खिला के थॅंक यू कहा.
कुमुद -“क्या बात हैं ऋतु तुम खुश नही हो इस नौकरी से. टेल मी”.
ऋतु – “नही मेम ऐसी बात नही हैं… सॅलरी देख के थोड़ा का मायूस हुई हूँ लेकिन आइ अंडरस्टॅंड की अभी मैं नयी हूँ आंड मुझे इतनी ही सॅलरी मिलनी चाहिए.”
कुमुद -“ऋतु .. प्रेस्टीज होटेल के स्टाफ की पे इस शहर के बाकी होटेल्स के स्टाफ की पे से कम से कम 25% हाइ हैं. आर यू हॅविंग एनी मॉनिटरी प्रॉब्लम्स??? टेल मी ऋतु”.
ऋतु – “मेम … आपसे क्या छुपाना. इससे पहले आइ वाज़ वर्किंग एज ए सेल्स एजेंट फॉर ए रियल एस्टेट कंपनी. और सॅलरी वाज़ बेस्ड ओन दा अमाउंट ऑफ सेल्स वी डिड. आइ वाज़ वन ऑफ दा बेटर सेल्स पर्सन इन दा टीम आंड मी टार्गेट्स वर ऑल्वेज़ मेट. हर महीने आराम से चालीस पचास हज़ार इन हॅंड आ जाता था. आइ वाज़ ऑल्सो गिवन दा स्टार परफॉर्मर अवॉर्ड आंड मेरे सीनियर्स हमेशा मेरी तारीफ करके पीठ थपथपाते थे. ”
“इतनी इनकम थी वहाँ की मैने फिर भी छोड़ दिया और एक 2 बेडरूम फ्लॅट ले लिया किराए पे और अकेली रहने लगी वहाँ. मैने टीवी, फ्रिड्ज, माइक्रोवेव, एसी और अपने ऐशो आराम का सब समान ले लिया. कुछ कॅश, कुछ क्रेडिट कार्ड और कुछ इनस्टालमेंट पर. एक गाड़ी भी ले ली ईएमआइ पे. मारुति ज़ेन”.
“रिसेशन की मार ऐसी पड़ी की रियल एस्टेट सबसे बुरी तरह से हिट हुआ. आजकल कोई पैसा लगाने को तैयार ही नही हैं. बाइयर्स आर नोट इन दा मार्केट. जहाँ मैं पहले हर हफ्ते 2-3 फ्लॅट्स सेल करती थी और तगड़ी कमिशन कमा लेती थी अब वहीं पुर महीने में 1 सेल भी हो जाए तो गनीमत थी”
ऋतु वाज़ आक्च्युयली इन ए बिग फाइनान्षियल क्राइसिस. रियल एस्टेट के बूम पीरियड में उसकी इनकम इतनी ज़्यादा थी की वो कुछ भौचक्की सी रह गयी थी. पंजाब के एक छोटे से शहर पठानकोट में पली बड़ी हुई ऋतु ने बीए इंग्लीश ऑनर्स करने के बाद दिल्ली आने की सोची, नौकरी के लिए. उसके मा बाप उसके उस डिसिशन से बहुत खुश तो नही थे लेकिन बेटी की ज़िद के आगे झुक गये. उसके करियर के लिए उन्होने नाते रिश्तेदारो की बात भी नही सुनी. सबने मना किया था की बेटी को अकेले शहर में ना भेजो.
दिल्ली में ऋतु की एक फ्रेंड पूजा रहती थी. उसने भी सेम कॉलेज से एनलिश ऑनर्स किया था और ऋतु की सीनियर थी. वो एक साल पहले कॉलेज ख़तम करके दिल्ली गयी थी जॉब के लिए और बह दिल्ली में किसी प्राइमरी स्कूल में टीचर थी. ऋतु ने उससे पहले से ही बात की थी. पूजा ने ऋतु को आश्वासन दिया की वो दिल्ली में उसके लिए कुछ ना कुछ इन्तेजाम ज़रूर कर देगी. ऋतु उसी के भरोसे पठानकोट चल दी. उस बात को आज लगभग 1 साल हो चुक्का हैं लेकिन ऋतु को आज भी याद हैं की उसके पापा उसके लिए ट्रेन का टिकेट लाए थे. उसके पापा की पठानकोट में कपड़े की दुकान थी.
पठानकोट स्टेशन पे ऋतु की मा का रो रो के बुरा हाल था. उसके पापा की शकल भी रुवासि हो गयी थी. ट्रेन जब छूटी तो ऋतु की आँखों से भी आँसू झलक पड़े. लेकिन उन्ही आँखों में सपने भी थे. एक सुनहरे भविष्या के. अपने पैरो पो खड़े होने के सपने. अपने पापा मम्मी के लिए अपने कमाए हुए पैसो से गिफ्ट्स लेने के.
पूजा ने ऋतु से वादा किया था की वो उसे स्टेशन पे लेने आ जाएगी. पूजा ने अपने ही पीजी अकॉमडेशन में उसके रहने का इन्तेज़ांम किया था. ट्रेन न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन पे आके रुकी. सभी पॅसेंजर निकलने के लिए हड़बड़ी करने लगे. ऋतु ने भी अपनी बेग निकाली सीट के नीचे से और दरवाज़े की तरफ बढ़ी. जल्दबाज़ी में उसकी बेग एक छोटे बच्चे के लग गयी और वो चिल्ला पड़ा. उसके साथ खड़े उसके पापा ने उस बच्चे को गोद में उठा लिया. ऋतु ने बच्चे और उसके पापा से सॉरी बोला. बच्चे के पापा ने हॅस्कर कहा “कोई बात नही… ज़रूर यह शैतान आपके रास्ते में आ गया होगा. इसको बहुत जल्दी हैं अपनी मम्मी से मिलने की ”
ऋतु प्लॅटफॉर्म पर खड़ी थी और एग्ज़िट की तरफ चलने लगी. समान के नाम पर उसके पास बस एक बेग था जो की कई बसंत देख चूक्का था. कपड़ो के नाम पर 4 सूट, 2 स्वेटर और एक सारी थी उसमे. इसके अलावा कुछ और पर्सनल समान (आप लोग समझ ही गये होंगे), अकॅडेमिक सर्टिफिकेट्स, और अपने मम्मी पापा के साथ खिचवाई हुई एक फोटो थी.
उसके हॅंडबॅग में लगभग 5000/- रुपये थे और पूजा का अड्रेस और फोन नंबर. हॅंडबॅग में मेक उप के नाम पर सिर्फ़ एक काजल की पेन्सिल थी. ऋतु की आँखें बहुत की सुंदर थी और काजल लगा के तो उनकी सुंदरता और भी बढ़ जाती थी. रंग गोरा और त्वचा एकद्ूम मुलायम. कभी ज़िंदगी में मसकरा, फाउंडेशन, कन्सीलर एट्सेटरा का उसे नही किया था… उसे तो यह पता भी नही था की यह होते क्या हैं. हद से हद कभी नैल्पोलिश और लिपस्टिक लगा लेती थी. वो भी जब कोई ख़ास अकेशन हो.
हेल्लो दोस्तों मैं यानि आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी रूम सर्विस लेकर आपके लिए हाजिर हूँ
आशा करता हूँ मेरी आपको मेरी पहली कहानियों की तरह ये कहानी भी पसंद आएगी ये कहानी एक लड़की के संघर्ष की कहानी है उसने कितनी कठिनाइयो का सामना किया अपना करिअर बनाने मैं
ऋतु प्रोबेशन पे दो महीने से काम कर रही थी. आज उसकी सूपरवाइज़र कुमुद मेडम ने उसे किसी काम से बुलाया था. ऋतु ने धीरे से कुमुद मेडम के ऑफीस का दरवाज़ा खटखटाया.
कुमुद -“कम इन”.
ऋतु – “गुड मॉर्निंग मेडम. आपने मुझे बुलाया.”
कुमुद -“हेलो ऋतु.. प्लीज़ हॅव ए सीट”.
ऋतु – “थॅंक यू मेडम”
कुमुद -“ऋतु आज तुम्हे इस होटेल में दो महीने हो गये हैं प्रोबेशन पे. तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूँ. यू आर ए गुड वर्कर, स्मार्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड हमारे प्रोफेशन में यह सभी क्वालिटीस बहुत मायने रखती हैं. दिस ईज़ व्हाट दा गेस्ट्स लाइक.”.
ऋतु यह सुनके स्माइल करने लगी.. उसे बहुत खुशी हुई यह जानके की उसकी सूपरवाइज़र कुमुद उसके काम से खुश हैं. यह नौकरी ऋतु के लिए बहुत ज़रूरी थी. रिसेशन की वजह से ऋतु अपनी पिछली जॉब से हाथ धो बैठी थी.
ऋतु – “थॅंक यू मेम… आइ एंजाय वर्किंग हियर आंड आपसे मुझे बहुत सीखने को मिला हैं इन दो महीनो में.”
कुमुद ने एक पेपर उसकी तरफ सरका दिया.-“ऋतु… यह तुम्हारा नया एंप्लाय्मेंट कांट्रॅक्ट हैं. इसको साइन करके तुम प्रेस्टीज होटेल की एंप्लायी बन जाओगी. ”.
प्रेस्टीज होटेल फाइव स्टार होटलों मैं नंबर वन था वैसे भी ये होटल प्राइम लोकेशन पर था एरपोर्ट भी नज़दीक ही था. ऋतु बहुत खुश थी आज कुमुद मेडम ने उसके काम से खुश होकर उसे पर्मानेन्त जॉब दे दिया था उसने जल्दी अपोंटमेंट लेटर साइन कर दिया
कुमुद -“ऋतु आइ लाइक यू वेरी मच. यू आर आंबिशियस. आइ सी दा फाइयर इन यू. इन फॅक्ट यू रिमाइंड मे ऑफ युवरसेल्फ. आइ एम श्योर यू हॅव ए ग्रेट फ्यूचर इन अवर लाइन”. शी विंक्ड.
ऋतु थोड़ी हैरान हुई की कुमुद ने आँख क्यू मारी लेकिन एक नकली सी मुस्कुराहट चेहरे पे खिला के थॅंक यू कहा.
कुमुद -“क्या बात हैं ऋतु तुम खुश नही हो इस नौकरी से. टेल मी”.
ऋतु – “नही मेम ऐसी बात नही हैं… सॅलरी देख के थोड़ा का मायूस हुई हूँ लेकिन आइ अंडरस्टॅंड की अभी मैं नयी हूँ आंड मुझे इतनी ही सॅलरी मिलनी चाहिए.”
कुमुद -“ऋतु .. प्रेस्टीज होटेल के स्टाफ की पे इस शहर के बाकी होटेल्स के स्टाफ की पे से कम से कम 25% हाइ हैं. आर यू हॅविंग एनी मॉनिटरी प्रॉब्लम्स??? टेल मी ऋतु”.
ऋतु – “मेम … आपसे क्या छुपाना. इससे पहले आइ वाज़ वर्किंग एज ए सेल्स एजेंट फॉर ए रियल एस्टेट कंपनी. और सॅलरी वाज़ बेस्ड ओन दा अमाउंट ऑफ सेल्स वी डिड. आइ वाज़ वन ऑफ दा बेटर सेल्स पर्सन इन दा टीम आंड मी टार्गेट्स वर ऑल्वेज़ मेट. हर महीने आराम से चालीस पचास हज़ार इन हॅंड आ जाता था. आइ वाज़ ऑल्सो गिवन दा स्टार परफॉर्मर अवॉर्ड आंड मेरे सीनियर्स हमेशा मेरी तारीफ करके पीठ थपथपाते थे. ”
“इतनी इनकम थी वहाँ की मैने फिर भी छोड़ दिया और एक 2 बेडरूम फ्लॅट ले लिया किराए पे और अकेली रहने लगी वहाँ. मैने टीवी, फ्रिड्ज, माइक्रोवेव, एसी और अपने ऐशो आराम का सब समान ले लिया. कुछ कॅश, कुछ क्रेडिट कार्ड और कुछ इनस्टालमेंट पर. एक गाड़ी भी ले ली ईएमआइ पे. मारुति ज़ेन”.
“रिसेशन की मार ऐसी पड़ी की रियल एस्टेट सबसे बुरी तरह से हिट हुआ. आजकल कोई पैसा लगाने को तैयार ही नही हैं. बाइयर्स आर नोट इन दा मार्केट. जहाँ मैं पहले हर हफ्ते 2-3 फ्लॅट्स सेल करती थी और तगड़ी कमिशन कमा लेती थी अब वहीं पुर महीने में 1 सेल भी हो जाए तो गनीमत थी”
ऋतु वाज़ आक्च्युयली इन ए बिग फाइनान्षियल क्राइसिस. रियल एस्टेट के बूम पीरियड में उसकी इनकम इतनी ज़्यादा थी की वो कुछ भौचक्की सी रह गयी थी. पंजाब के एक छोटे से शहर पठानकोट में पली बड़ी हुई ऋतु ने बीए इंग्लीश ऑनर्स करने के बाद दिल्ली आने की सोची, नौकरी के लिए. उसके मा बाप उसके उस डिसिशन से बहुत खुश तो नही थे लेकिन बेटी की ज़िद के आगे झुक गये. उसके करियर के लिए उन्होने नाते रिश्तेदारो की बात भी नही सुनी. सबने मना किया था की बेटी को अकेले शहर में ना भेजो.
दिल्ली में ऋतु की एक फ्रेंड पूजा रहती थी. उसने भी सेम कॉलेज से एनलिश ऑनर्स किया था और ऋतु की सीनियर थी. वो एक साल पहले कॉलेज ख़तम करके दिल्ली गयी थी जॉब के लिए और बह दिल्ली में किसी प्राइमरी स्कूल में टीचर थी. ऋतु ने उससे पहले से ही बात की थी. पूजा ने ऋतु को आश्वासन दिया की वो दिल्ली में उसके लिए कुछ ना कुछ इन्तेजाम ज़रूर कर देगी. ऋतु उसी के भरोसे पठानकोट चल दी. उस बात को आज लगभग 1 साल हो चुक्का हैं लेकिन ऋतु को आज भी याद हैं की उसके पापा उसके लिए ट्रेन का टिकेट लाए थे. उसके पापा की पठानकोट में कपड़े की दुकान थी.
पठानकोट स्टेशन पे ऋतु की मा का रो रो के बुरा हाल था. उसके पापा की शकल भी रुवासि हो गयी थी. ट्रेन जब छूटी तो ऋतु की आँखों से भी आँसू झलक पड़े. लेकिन उन्ही आँखों में सपने भी थे. एक सुनहरे भविष्या के. अपने पैरो पो खड़े होने के सपने. अपने पापा मम्मी के लिए अपने कमाए हुए पैसो से गिफ्ट्स लेने के.
पूजा ने ऋतु से वादा किया था की वो उसे स्टेशन पे लेने आ जाएगी. पूजा ने अपने ही पीजी अकॉमडेशन में उसके रहने का इन्तेज़ांम किया था. ट्रेन न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन पे आके रुकी. सभी पॅसेंजर निकलने के लिए हड़बड़ी करने लगे. ऋतु ने भी अपनी बेग निकाली सीट के नीचे से और दरवाज़े की तरफ बढ़ी. जल्दबाज़ी में उसकी बेग एक छोटे बच्चे के लग गयी और वो चिल्ला पड़ा. उसके साथ खड़े उसके पापा ने उस बच्चे को गोद में उठा लिया. ऋतु ने बच्चे और उसके पापा से सॉरी बोला. बच्चे के पापा ने हॅस्कर कहा “कोई बात नही… ज़रूर यह शैतान आपके रास्ते में आ गया होगा. इसको बहुत जल्दी हैं अपनी मम्मी से मिलने की ”
ऋतु प्लॅटफॉर्म पर खड़ी थी और एग्ज़िट की तरफ चलने लगी. समान के नाम पर उसके पास बस एक बेग था जो की कई बसंत देख चूक्का था. कपड़ो के नाम पर 4 सूट, 2 स्वेटर और एक सारी थी उसमे. इसके अलावा कुछ और पर्सनल समान (आप लोग समझ ही गये होंगे), अकॅडेमिक सर्टिफिकेट्स, और अपने मम्मी पापा के साथ खिचवाई हुई एक फोटो थी.
उसके हॅंडबॅग में लगभग 5000/- रुपये थे और पूजा का अड्रेस और फोन नंबर. हॅंडबॅग में मेक उप के नाम पर सिर्फ़ एक काजल की पेन्सिल थी. ऋतु की आँखें बहुत की सुंदर थी और काजल लगा के तो उनकी सुंदरता और भी बढ़ जाती थी. रंग गोरा और त्वचा एकद्ूम मुलायम. कभी ज़िंदगी में मसकरा, फाउंडेशन, कन्सीलर एट्सेटरा का उसे नही किया था… उसे तो यह पता भी नही था की यह होते क्या हैं. हद से हद कभी नैल्पोलिश और लिपस्टिक लगा लेती थी. वो भी जब कोई ख़ास अकेशन हो.