hotaks444
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एक-दो बार चेतन ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर मुझे रोकने की कोशिश की.. लेकिन मेरा हाथ नहीं रुका और मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ चेतन की पैन्ट के ऊपर से उसके लण्ड पर रख दिया। मुझे फील हुआ कि उसका लंड थोड़ा-थोड़ा अकड़ा हुआ है।
ज़ाहिर है कि अपनी बहन की सॉलिड चूचियों का टच अपनी पीठ पर फील करके वो कैसे बेखबर रह सकता था।
मैंने भी अब आहिस्ता-आहिस्ता उसके लण्ड पर उसकी पैन्ट के ऊपर से हाथ फेरना शुरू कर दिया.. जिससे उसका लंड और भी सख़्त होने लगा।
एक बार तो उसने मेरा हाथ अपने लंड पर अपनी हाथ के साथ भींच ही दिया। मेरी इन तमाम हरकतों से डॉली बिल्कुल बेख़बर थी और पूरी तरह से बाइक की सैर और मौसम को एंजाय कर रही थी।
अब मैंने अपनी तवज्जो डॉली की तरफ की और अपना चेहरा आहिस्ता से उसकी कंधे पर रख दिया.. जैसे सिर्फ़ रुटीन में ही रखा हो। धीरे-धीरे मैं उसकी गर्दन को अपने होंठों से सहलाने लगी।
डॉली को भी जैसे थोड़ी गुदगुदी सी फील हुई.. तो वो कसमसाने लगी।
मैंने थोड़ा सा और आगे को खिसकते हुए उसे और भी अपने भाई की कमर के साथ चिपका दिया, फिर मैंने धीरे से उसके कान में कहा-
डॉली देख लड़कियाँ तुझे कैसे देख रही हैं..
डॉली ने मुस्करा कर थोड़ी सी गर्दन मोड़ कर मेरी तरफ देखा और बहुत धीरे से बोली- भाभी आपको भी तो देख रही हैं।
वो इतनी आहिस्ता से बोली थी.. ताकि उसका भाई उसकी आवाज़ ना सुन सके।
मैंने दोबारा से उसकी गर्दन पर अपनी गरम-गरम साँसें छोड़ते हुए कहा- आज तो तू क़यामत लग रही है।
डॉली बोली- और भाभी आप तो हर रोज़ और हर वक़्त ही क़यामत लगती हो..
मैंने धीरे से अपना दूसरा हाथ थोड़ा ऊपर को किया.. डॉली की कमर पर रख दिया.. उसकी चूची के पास.. जस्ट उसकी ब्रा के लेवेल पर.. इस तरह हाथ रखने से मेरा हाथ उसकी चूची को छू रहा था और चेतन की कमर पर भी चल रहा था।
मेरा दूसरा हाथ अभी भी चेतन की पैन्ट के ऊपर उसके लण्ड पर ही था। मैं महसूस कर रही थी कि जैसे-जैसे मैं और डॉली धीरे-धीरे बातें कर रही थीं.. तो ज़रूर उसे भी हमारी आवाजें जाती होंगी.. जिसकी वजह से उसके लण्ड में हरकत सी हो रही थी। मैं इस बात को बिना किसी रुकावट के महसूस कर रही थी।
जैसे ही एक पार्क के पास चेतन ने बाइक रोकी.. तो मैंने हाथ हटाने से पहले उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में लेकर जोर से एक बार दबा दिया.. ताकि वो बैठने ना पाए।
क्योंकि आपको तो पता ही है.. कि लंड है ही ऐसी चीज़ कि इसे जितना भी दबाओ.. यह उतना ही उछल कर खड़ा होता है.. और अकड़ता जाता है।
पार्क के गेट पर हम दोनों बाइक पर से उतर आईं और चेतन बाइक पार्किंग स्टैंड पर पार्क करने चला गया।
डॉली बोली- भाभी मुझे तो बहुत ही अजीब लग रहा है.. इस ड्रेस में बड़ी ही शर्म सी महसूस हो रही है।
मैं- अरे पगली बिल्कुल ईज़ी होकर रहना और किसी किस्म की भी कोई बेवक़ूफों वाली हरकत ना करना और ना ही ऐसी शक़ल बनाना.. कुछ भी नहीं होगा.. बस तू देखती रहना कि दूसरी लड़कियों ने भी कैसे-कैसे कपड़े पहने हुए हैं.. फिर तुझे कोई भी शर्म महसूस नहीं होगी और ना ही अजीब लगेगा।
इससे पहले कि डॉली कुछ और कहती चेतन भी हमारे पास आ गया और हम तीनों ही पार्क में चले गए।
अभी हम लोग थोड़ी ही दूर गए थे कि मैंने जानबूझ कर डॉली का हाथ पकड़ा और चेतन से आगे-आगे चलने लगे उसे लेकर.. मक़सद मेरा इसमें यही था कि चेतन की नज़र अपनी बहन की ठुमकती गाण्ड पर पड़ती रहे और वो सिर्फ़ और सिर्फ़ यही देखता रहे और उसके दिमाग पर अपनी बहन के जिस्म के छूने से जो नशा सा हुआ है.. वो नशा ना उतर सके।
मैंने महसूस किया कि हो भी ऐसा ही रहा था कि चेतन की नजरें अपनी बहन की टाइट जीन्स में फंसी हुई गाण्ड पर ही घूम रही थीं।
मैं और डॉली इधर-उधर की बातें करते हुए चलते जा रहे थे। इधर-उधर जो भी लड़की किसी सेक्सी ड्रेस में नज़र आती.. तो मैं उसकी तरफ भी इशारा करके डॉली को बताती जाती थी।
इस तरह इशारा करने से चेतन की नज़र भी उस लड़की की तरफ ज़रूर जाती थी और उसे भी कुछ ना कुछ अंदाज़ा हो जाता था कि हम क्या बातें कर रहे हैं और किस लड़की के लिबास की बात हो रही हैं।
डॉली मुझसे बोली- भाभी ड्रेस तो आपने भी बहुत ओपन पहना हुआ है.. देखिए जरा इस कुरती का गला कितना खुला और डीप है.. जो आपने पहना हुआ है।
ज़ाहिर है कि अपनी बहन की सॉलिड चूचियों का टच अपनी पीठ पर फील करके वो कैसे बेखबर रह सकता था।
मैंने भी अब आहिस्ता-आहिस्ता उसके लण्ड पर उसकी पैन्ट के ऊपर से हाथ फेरना शुरू कर दिया.. जिससे उसका लंड और भी सख़्त होने लगा।
एक बार तो उसने मेरा हाथ अपने लंड पर अपनी हाथ के साथ भींच ही दिया। मेरी इन तमाम हरकतों से डॉली बिल्कुल बेख़बर थी और पूरी तरह से बाइक की सैर और मौसम को एंजाय कर रही थी।
अब मैंने अपनी तवज्जो डॉली की तरफ की और अपना चेहरा आहिस्ता से उसकी कंधे पर रख दिया.. जैसे सिर्फ़ रुटीन में ही रखा हो। धीरे-धीरे मैं उसकी गर्दन को अपने होंठों से सहलाने लगी।
डॉली को भी जैसे थोड़ी गुदगुदी सी फील हुई.. तो वो कसमसाने लगी।
मैंने थोड़ा सा और आगे को खिसकते हुए उसे और भी अपने भाई की कमर के साथ चिपका दिया, फिर मैंने धीरे से उसके कान में कहा-
डॉली देख लड़कियाँ तुझे कैसे देख रही हैं..
डॉली ने मुस्करा कर थोड़ी सी गर्दन मोड़ कर मेरी तरफ देखा और बहुत धीरे से बोली- भाभी आपको भी तो देख रही हैं।
वो इतनी आहिस्ता से बोली थी.. ताकि उसका भाई उसकी आवाज़ ना सुन सके।
मैंने दोबारा से उसकी गर्दन पर अपनी गरम-गरम साँसें छोड़ते हुए कहा- आज तो तू क़यामत लग रही है।
डॉली बोली- और भाभी आप तो हर रोज़ और हर वक़्त ही क़यामत लगती हो..
मैंने धीरे से अपना दूसरा हाथ थोड़ा ऊपर को किया.. डॉली की कमर पर रख दिया.. उसकी चूची के पास.. जस्ट उसकी ब्रा के लेवेल पर.. इस तरह हाथ रखने से मेरा हाथ उसकी चूची को छू रहा था और चेतन की कमर पर भी चल रहा था।
मेरा दूसरा हाथ अभी भी चेतन की पैन्ट के ऊपर उसके लण्ड पर ही था। मैं महसूस कर रही थी कि जैसे-जैसे मैं और डॉली धीरे-धीरे बातें कर रही थीं.. तो ज़रूर उसे भी हमारी आवाजें जाती होंगी.. जिसकी वजह से उसके लण्ड में हरकत सी हो रही थी। मैं इस बात को बिना किसी रुकावट के महसूस कर रही थी।
जैसे ही एक पार्क के पास चेतन ने बाइक रोकी.. तो मैंने हाथ हटाने से पहले उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में लेकर जोर से एक बार दबा दिया.. ताकि वो बैठने ना पाए।
क्योंकि आपको तो पता ही है.. कि लंड है ही ऐसी चीज़ कि इसे जितना भी दबाओ.. यह उतना ही उछल कर खड़ा होता है.. और अकड़ता जाता है।
पार्क के गेट पर हम दोनों बाइक पर से उतर आईं और चेतन बाइक पार्किंग स्टैंड पर पार्क करने चला गया।
डॉली बोली- भाभी मुझे तो बहुत ही अजीब लग रहा है.. इस ड्रेस में बड़ी ही शर्म सी महसूस हो रही है।
मैं- अरे पगली बिल्कुल ईज़ी होकर रहना और किसी किस्म की भी कोई बेवक़ूफों वाली हरकत ना करना और ना ही ऐसी शक़ल बनाना.. कुछ भी नहीं होगा.. बस तू देखती रहना कि दूसरी लड़कियों ने भी कैसे-कैसे कपड़े पहने हुए हैं.. फिर तुझे कोई भी शर्म महसूस नहीं होगी और ना ही अजीब लगेगा।
इससे पहले कि डॉली कुछ और कहती चेतन भी हमारे पास आ गया और हम तीनों ही पार्क में चले गए।
अभी हम लोग थोड़ी ही दूर गए थे कि मैंने जानबूझ कर डॉली का हाथ पकड़ा और चेतन से आगे-आगे चलने लगे उसे लेकर.. मक़सद मेरा इसमें यही था कि चेतन की नज़र अपनी बहन की ठुमकती गाण्ड पर पड़ती रहे और वो सिर्फ़ और सिर्फ़ यही देखता रहे और उसके दिमाग पर अपनी बहन के जिस्म के छूने से जो नशा सा हुआ है.. वो नशा ना उतर सके।
मैंने महसूस किया कि हो भी ऐसा ही रहा था कि चेतन की नजरें अपनी बहन की टाइट जीन्स में फंसी हुई गाण्ड पर ही घूम रही थीं।
मैं और डॉली इधर-उधर की बातें करते हुए चलते जा रहे थे। इधर-उधर जो भी लड़की किसी सेक्सी ड्रेस में नज़र आती.. तो मैं उसकी तरफ भी इशारा करके डॉली को बताती जाती थी।
इस तरह इशारा करने से चेतन की नज़र भी उस लड़की की तरफ ज़रूर जाती थी और उसे भी कुछ ना कुछ अंदाज़ा हो जाता था कि हम क्या बातें कर रहे हैं और किस लड़की के लिबास की बात हो रही हैं।
डॉली मुझसे बोली- भाभी ड्रेस तो आपने भी बहुत ओपन पहना हुआ है.. देखिए जरा इस कुरती का गला कितना खुला और डीप है.. जो आपने पहना हुआ है।