पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे - Page 4 - SexBaba
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 3

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

रुसी युवती ऐना

PART-4

जल परी के साथ 
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]इसके बाद वह मुझे चुंबन करने के लिए आगे हुई तो मेरे ओंठो ने आधे रास्ते में ही लपक करउसके ओंठो से मुलाकात की और हम दोनों जानते थे कि हम एक दूसरे से क्या चाहते हैं इसलिए ये चुंबन, अधिक भावुक गहरा और लम्बा चला।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उसने अपना सिर हल्का सा बग़ल में झुका लिया, जिससे हमारे मुँह जुड़ गए और एक दूसरे से मिलने के लिए हमारी जीभ निकली। हम दोनों ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं क्योंकि हमने अपने मुँह की लार का आदान-प्रदान किया था। उसकी बाँहें मेरे कंधों के चारों ओर लिपटी हुई थीं, मेरी बाहों और हाथों ने उसकी पीठ, और फिर उसकी भुजाओं की खोज की। मैंने उसके सुनहरे बालों को सहलाया और एक बार फिर हमारे होंठ जुड़ गए ।[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]आसपास कोई नहीं था। रिसोर्ट स्टाफ भी नहीं। एना मेरे करीब आई।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एना- आपके पास एक अच्छा शरीर है।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं -तुम भी।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एना - मेरा मतलब है आपकी मांसपेशियां और हाथ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं- मेरा मतलब है ...[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एना-: मुझे पता है कि तुम्हारा क्या मतलब है।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: (मुस्कुराते हुए) ...[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एना-: क्या मैं आपकी बाहों को छू सकता हूं।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं उसके करीब आया और उसकी बाँहों को छुआ। स्पर्श करते समय, उसके पैर मेरे पैरों के बीच आ गए और उसकी जांघ मेरे लंड को छू रही थी।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं फिर अपने हाथों को उसकी गोल और नरम नितम्बो पर ले गया। उसके नितम्बो के गाल उसकी लाल बिकनी में पूरी तरह से फिट थे । वे बिल्कुल गोल और बबल-जैसे थे। जैसे ही मैं मेरे हाथों ने उसके शरीर के इस हिस्से पर ले गया , और उसकी गांड को सहलाया और एना ने इसका जवाब अपने हाथ मेरी जांघो पर ले जाकर दिया।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उसने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल मेरे लिंग को पकड़ने के लिए किया। उसने चुम्बन बंद कर दिया और , और मुझे मेरा लंड से पकड़ कर पूल की सीढ़ियों की तरफ ले गयी ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हम सबसे ऊपर के सीढ़ी पर पहुँच गए जहाँ पानी लगभग 6 इंच गहरा था, वहां उसने मुझे अपनी पीठ के बल लेटा दिया, और मेरे लंड की कुछ ऐसे जाँच की, जिससे लग रहा था उसने वास्तव में इतना बड़ा और कड़ा लंड पहले नहीं देखा था। वो नीचे बैठी और दोनों हाथों से मेरे लंड की मालिश शुरू कर दी।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एक लड़की आपके लिए इसे करे को इससे बेहतर कुछ नहीं होता है ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मेरा लंड उसके छोटे-छोटे हाथ में समा नहीं रहा था उसकी इस हलकी मालिश से मेरा लंड बिलकुल कठोर हो गया था। उसने धीरे से अपने हाथों को मेरे लंबे, मोटे लंड के नीचे सरका कर मेरे अंडकोषों को सहला दिया । मेरे लंड की चमड़ी ऊपर और नीचे लुढ़क गई, क्योंकि पानी लंड को चिकना और लुब्रिकेट करने का काम किया था ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ऐना ऐसे ही करती रही और लगभग 5- 6 मिनट के बाद, एना उठकर चली गई और मेरे लंड की और मुँह करके मेरे सीने पर बैठ गई। उसकी नरम गोल और चिकनी गांड का स्पर्श मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, भले ही यह अभी भी उसकी लाल बिकनी नीचे के नीचे छिपा हुआ था। मेरे ऊपर बैठने के बाद, वह मेरे लंड को पकड़ कर आगे की ओर झुकी और अपने होंठ मेरे लिंगमुंड पर रख चूमना शुरू कर दिया. ये शायद पहली बार था जब वो किसी लंड को चुम रही थी .[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर उसने ओंठ खोले और उसके कुंवारे होंठ मेरे लंड को अपने मुँह में ले गयी । वो मुश्किल से उसने अपने छोटे से मुंह में इसे फिट कर पायी और केवल लगभग 2 इंच ही अंदर ले पायी । कहने की जरूरत नहीं, उसका मुंह मेरे लंड को ढक रहा था। हर बार जब वो मेरे डिक को चूसने के लिए नीचे झुकती, तो उसकी गांड ठीक मेरी आँखों के सामने आ जाती थी, और । यह एक शानदार दृश्य था। मैंने अपने हाथों का उपयोग उसकी बिकनी के बचे हुए हिस्से को हटाने के लिए किया, जो तब तक एना को नग्न होने से रोक रहा था। मैंने धीरे से उसकी लाल बिकनी नीचे खींच दी, जबकि वो मेरे लंड को चूस रही था। उसके नंगे, चिकने पैर मेरे दोनों तरफ थे। अब हम दोनों पूरे नग्न थे . वो मेरी और घूम गयी अब मेरा लंड ुकि गांड को छु रहा था[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"तुम बहुत सुंदर हो" मैंने उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"दीपक , मैं अभी भी एक कुंवारी हूं, मैं चाहती हूं कि आप मेरे कौमार्य का आनंद लें, ।" एना ने मुझसे कहा।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"क्या आपको पूरा यकीन है हमे ये करना चाहिए ?" मैंने पूछ लिया।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"किसी भी चीज से अधिक।" उसने कहा।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं अधलेटा हुआ और मैंने उसे पहले से कहीं अधिक उत्साह के साथ चूमना शुरू कर दिया। मेरा एक हाथ उसके स्तनों पर चला गया और उन्हें दबाने लगा और दूसरा हाथ उसकी कुंवारी चूत पर चला गया उसकी चूत नम होने लगी थी । मेरा हाथ उसके निप्पलों को खींचने लगा, जिससे वो कड़े हो गये ।वो मेरे ऊपर झुक गयी और मैं उसकी गर्दन पर चूमने लगा.[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उसने कहा चलो मेरे कमरे में चलते हैं। तो हमने चूमना बंद कर दिया तभी मुझे मेरी दोस्त जूही जो उस होटल की मैनेजर थी उसकी आवाज सुनाई दी[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]वो बोली ऐना आपको दीपक कैसा लगा और दीपक आपको ऐना अच्छी तो लगी .. ये मेरी दोस्त है और यहाँ घूमने आयी है ..[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने कहा हेलो जूही आपको दोस्त बहुत ख़ास है हम दोनों रूम में जा रहे हैं तो जूही बोली आप चाहे तो यही पर अपने कार्यक्रम जारी रख सकते हैं .. हमने पूल को बाकी लोगो के लिए बंद किया हुआ है और आपको कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं खड़ा हो गया तो जूही ने कहा तुम दोनों मजे करो और यह कहते हुए चली गयी कि हम जल्द ही फिर मिलेंगे।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एना ने खुद को पानी में डुबोया और अपने निपल्स को फ्लॉन्ट करने के लिए ऊपर आ गई। वह पहले से ही उसके स्तन कठोर हो चुके थे और इसलिए उसके निपल्स उभरे हुए थे।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने उसे अपनी ओर खींचा और उसके चमकते और गीले होंठों को अपने ओंठो के अंदर ले लिया, उसने मुझे दूर करने की कोशिश नहीं की, अपनी ताकत के कारण मैंने उसे कसकर गले लगा लिया और अपनी जीभ उसके मुँह के अंदर डालना जारी रखा, उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी धीरे-धीरे मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया। , उसकी आँखें आनंद में बंद होने लगीं, और उसने अपने पैर के अंगूठे को ऊपर उठाया और मेरी ऊँचाई तक पहुँचने की कोशिश की और मेरी जीभ को और अधिक तलाशने की अनुमति दी, उसका एक हाथ मेरी गर्दन पर चला गया और उसका दूसरा हाथ मेरे पीठ को कस कर पकड़ने लगा।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहानी जारी रहेगी[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 3

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

रुसी युवती ऐना

PART-5

स्विमिंग पूल के किनारे[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एना ने कहा कि वह अपना कौमार्य उपहार के रूप में मुझे समर्पित करना चाहती है । वो बोली मैं बस यही चाहती हूं कि मेरा कौमार्य उस व्यक्ति द्वारा तोड़ दिया जाए, जिसे मैं हमेशा याद रखूँ और तुम वो भाग्यशाली पुरुष हो जो और मैं चाहती हूँ मैं तुम्हें कभी न भूलाऊ । ”

उसकी ये बात सुन मैं भावुक और राजी हो गया. मैं उसे देखता ही रह गया और उसने मेरा चेहरा किश करने के लिए पकड़ा और मेरे ओंठो पर अपने ओंठ रख दिए । उसके होंठ ताजे फल की तरह मीठे और नरम थे और मैं पूरे दिन रात इन फलो की दावत करना चाहता था ।

फिर मैंने उसके निचले होंठ को चूसते हुए उसका प्यारा सा चेहरा पकड़ लिया । अब मैं क्या करूंगा इस प्रत्याशा में उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। मै एना को चूमते हुए पूल के एक कोने में ले गया जहाँ अंधेरा था । उसने मुझे चूम कर संकेत दिया कि वह तैयार है। मैं उसे फिर से चुम्बन किया तो उसने मेरी जीभ के साथ खेलना शुरू कर दिया। .

वो एकदम पके त्यार आम की तरह दिख रही थी। ऐना की चूचे गज़ब के सेक्सी थे l

ऐसा लग रहा था जैसे मक्खन के दो गोले हों और उनके ऊपर गुलाबी अंगूर लगा दिए हों। मैं एक टक उनको देखने लगा। उसके स्तन गुलाबी निपल्स के साथ दूध की तरह सफेद गोल सुदृढ़ और बिलकुल भी ढलके हुए नहीं थे । मैंने उसके निप्पलों को दांत से हल्का सा काटा तो वो कराह उठी और मैं उसके स्तनों को दबाने लगा और निप्पलों के साथ खेलने लगा ।

मेरा लंड अब बार बार खड़ा हो अकड़ा हुआ मुसल बन चूका था और उसकी चूत पर दस्तक दे रहा था । मैंने ऐना के सुराहीदार गर्दन पर अपने होंठ रख दिए। गर्दन ऐना का बहुत संवेदनशील अंग था सो वहां मेरे होंठ लगते ही उसकी सिसकारी निकल गई।

ऐना ::--- ""आह। क्या कर रहे हो। "" ऐना ने सिसकते हुए कहा।

मैंने अपने हाथो से ऐना के दोनों मम्मों को पकड़ लिया। मम्मों पे मेरा हाथ लगते ही ऐना को एकदम करंट लगा। उसकी साँसे तेज़ चलने लगी। इधर मैं ऐना की चूचियों को हाथ लगाते ही मेरा लण्ड और भी सख्त हो गया। मैं हौले हौले ऐना के मम्मों को सहलाने लगा।

ऐना के पुरे बदन में सेक्स की लहरे बहने लगी.

फिर मैंने एना के दोनों स्तनों को एक हाथ से अपने मुँह में दबा लिया उसके स्तन और निप्पल आम से मिलते जुलते थे और अपने अंगूठे का इस्तेमाल करके मैंने उसके दोनों निप्पल को छेड़ा, फिर दूसरे हाथ से उसके चूतड़ सहलाए।

और फिर मैंने ऐना की दोनों निप्प्ल्स को अपनी उँगलियों में फंसा लिया और उन्हें धीरे धीरे ट्विस्ट करने लगा। मेरी इस क्रिया से ऐना गरम होने लगी। अब मैंने कंधे से लेकर गले तक को चाटना शुरू कर दिया। ऐना के लिए इस तीन तरफा हमले को झेलना मुश्किल होता जा रहा था। नीचे उसकी चूत पर मेरे मूसल लंड ने आतंक मचा रखा था चूचियाँ मेरे हाथों के कब्जे में थी और गर्दन और कंधे में मेरे होंठ और जीभ हलचल मचाये हुए थे। कमसिन उम्र और अल्हड जवानी में ऐना इन सबको संभाल न पाई और उसकी आँखे बंद होने लगी।

वो मेरे सामने यूं ही आँख मूंदे खड़ी थी। कामदेवी को भी चेल्लेंज कर देने वाली उसकी सुंदरता अनावृत मेरे सामने थी। मैंने उसकी गर्दन पकड़ कर अपनी ओर खींचा और उसके रसीले होंठो पर अपने होंठ रखकर ऐना के अधरो के अमृत को पीने लगा .ऐना अब पूरी तरह सेक्स की आग का गोला बन गई थी मेरा चुम्बन उसे और भी रोमांच दे रहा था।

फिर मैं उसके के पुरे बदन पर अपना हाथ फेरना क्या रगड़ने लगा। पुरे पेट ,चूची ,गर्दन आदि पर मलने के बाद मैं उसकी नंगी मखमली पीठ पर हाथ फेरने लगा ।

मर्दाना हाथ का खुरदरापन ऐना को उत्तेजित कर रहा था साँसे एक बार फिर तेज़ हो गई।

उसके मुँह से वह जोर से सांस लेने लगी, दुनिया की हर वो स्त्री जो पूर्ण विकसित वक्षस्थल की स्वामिनी है वो मर्द द्वारा उनको सहलाना ,मसलना और उनसे खेलना पसंद करती है। उत्तेजित हो उसकी चूचियाँ तन गई और पूरे बदन में करंट दौड़ने लगा।

मैं भर ताक़त ऐना के मम्मे चूसने लगा। जब ऐना सह नहीं पाई तो अपनी कमर को नीचे पटकने लगी। नीचे कोबरा फन काढ़े बैठा था डसने को। उसकी चूत बार -२ लण्ड से भिड़ने लगी।ऐना ने मेरे लण्ड को दोनों जांघों बीच चूत के उपर फंसा लिया। अब जितना वो कमर पटकती लण्ड का शाफ़्ट उसकी पूरी चूत की मालिश करता जिससे वो और गर्माती जा रही थी।

मैंने उसकी निपल्स के चारों ओर अपनी जीभ से घेरे बनाए हैं, जिससे वो जोर से हां हां कर कराहने लगी . मैंने कभी ब्स को काटा तो कभी प्यार से निप्पल के ऊपर जीभ को चुभलाया तो कहीं घुंडियों को दाड़ में रखकर हौले हौले चबाया l

मैंने अपनी लपलपाती जीभ निकाली और ऐना के निप्पल के चारों ओर घुमाने लगा। मेरी जीभ का चूची में स्पर्श लगते ही काम्या गनगना गई। उसके मुख से सिस्कारियां निकलने लगी।

मैं नीचे झुका और ऐना के दोनों मम्मों को हाथ से पास पास किया और दोनों को एक साथ मुंह में भर लिया। और दोनों निपल्स को अपने मुंह के अंदर ले लिया।

जब मैंने ने मम्मों को चूसना चालू किया तो ऐना मेरे बाल सहलाने लगी। मैं चूसते चूसते अब दांत भी गड़ाने लगा। करंट ऐना की छाती से निकल कर उसकी चूत तक पहुंचते ही वो बेहाल हो गई और खुद बड़बड़ाने लगी "हाँ खा जाओ इनको। ये आप के लिए ही हैं। खूब मसल डालो इनको। बहुत परेशान करती हैं ये"l

दोनों मुम्मे एक साथ मेरे मुह में जाते ही ऐना के पूरे शरीर में बिजली के करंट के झटके लगने लगे. मैं दोनों मम्मों को जोर जोर से चूसने लगा। दोनों मम्मे एक साथ चूसने से ऐना ने अपना आपा खो दिया। It feels amazing .Oh my God!. ओह्ह्ह अह्ह्ह आआह हहहह हैई जानू ये क्या कर रहे हो मार ही डालोगे क्या? You are driving me crazy . आयी एईई ओह्ह्ह मां ओह्ह्ह माँ .ओह्ह्ह जूही! ठीक कह रही थी दीपक! तुम सच में जादूगर ही हो . I am going to die.

कामावेग में ऐना ने अपनी कमर उपर नीचे करनी शुरू कर दी। वो एक भीषण कामाग्नि में जल रही थी। उसने अपनी चूत को मेरे मूसल पर पटकना शुरू कर दिया। मैं भी उसकी गाण्ड को हाथ से सहला सहला कर दबा रहा था। दो मिनिट में ही ऐना मैं गयी गयी गईइइइइइइइ कहती हुई झड़ गईl

मैं ऐना की कमर के उपर जर्रे जर्रे पर अपने होंठों से मुहर लगा कर उस पर अपनी मिलकियत की घोषणा करने लगा ।

अब मेरे सामने ऐना का गोरा चिकना बलखाता गुदाज़ पेट था। मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी तो उसका पतली कमर बल खाने लगीl

उसके बाद उसकी जांघों के जोड़ के पास ऐना की पाव भाजी के समान उभरी हुई, शेव की हुई सफ़ेद ताज़ी चूत देख देख मेरा मुह खुल गया। मैं धीरे-धीरे नीचे आया और अपने दोनों हाथों में उसके चूतड़ पकड़ कर खुद ही घुटने टेक दिए l

मेरे सामने जैसे ही ऐना की जानलेवा चूत आई मेरा शरीर झनझना गया। ऐसी मादक चूत को देख कर मेरा खून कुलांचे मारने लगा।

मैंने उसकी चूत की नाजुक पंखुड़ियों को अलग करना शुरू कर दिया है और वहाँ एक चुम्बन किया ।

वह और अधिक चाहने वाले की तरह मचलने लगी । मैंने आखिर में अपनी गर्म जीभ उसकी योनि को चारो और घुमाते हुए उसकी योनि की हैओंठो की छेड़ते हुए उसकी क्लीन शेव योनि के अंदर घुसा दी, और मैंने उसके हाइमन को अंदर तक महसूस किया ।

ये मेरा उसके कौमार्य -(हाइमन) को पहला और आखिरी चुम्बन था l

मेरी जीभ उसके G स्पॉट पर पहुँच गयी उसका जी स्पॉट बड़ा और सख्त था और मैंने उंगलियों से और जीभ से उसे छेड़ना शुरू कर दिया, जिससे एना के पैर कांप रहे थे और कमजोर हो रहे थे, मैंने इतनी जोर से दाने को मसला जिससे उसका पानी छूट गया और उसके मुहँ से जोर की चीख निकल गई l

जल्द ही वह अपने संभोग को नियंत्रित नहीं कर पाई और मेरे मुंह में आ गई। ऐना की प्रेम गुफा से पानी का सैलाब निकल आया जिसमे मेरी सारी उंगलियां और जीभ गीली हो गई थी। ऐना को ऐसा लग रहा था जैसे उसके अंदर से कोई झरना फूट पड़ा हो उसका चूत रस का स्वाद नमकीन था लेकिन मुझे अमृत जैसा लगा मैंने हर बूंद को चाट लिया। मैंने अपने होंठ के साथ हर बार चाटते समय उसके जी स्पॉट पर एक चुम्बन किया ।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 3

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

रुसी युवती ऐना

PART-6

स्विमिंग पूल के किनारे चुदाई
 
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने उसे पूल के पास अंधेरे में लेटा दिया , मैंने देखा उसके पूरे बदन पर हर जगह पानी की बूंदें चमक रही थीं और उसकी आँखें बंद थीं जहां उसकी स्तन भारी साँस के कारण ऊपर और नीचे हो रही थी । वो मेरे मेरी बड़े लड़ को पकड़ अपनी योनि के पास ले आयी और बोली ...

ऐना :: दीपक प्लीज करिये न। अब रहा नहीं जाता l

मैंने कहा क्या करून l

तो वो बोली दीपक प्लीज फ़क मी नाउ l

मैंने देखा उसके माथे पर पर कुछ पानी की बूंदें हैं मैंने धीरे चीरे उसके शरीर से पानी की वो सारी बूंदे चाट ली l

और मैंने उसके पैरों के बीच में घुटने टेक दिए, यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था कि एना की योनि लगातार तरल पदार्थ छोड़ रही थी l

हम अब तैयार थे। उसने सिर हिलाया कि अब कौमर्य खोने का समयहो गया है । मैंने उनसे वादा किया था कि मैं यथासंभव आराम से करूंगा मैंने उसके पैरों को अलग किया और बीच में आ गया।

थोड़ी देर तक लंड उसकी चुत पर रगड़ने के बाद धीरे धीरे उसकी चूत के अंदर जाने लगा। लगभग एक चौथाई आसानी से चला गया लेकिन अब उसका हाइमन एक बाधा था। मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया और अपना लंड उसकी योनि के अंदर पूरी ताकत से धकेल दिया। मैंने महसूस किया कि उसका हाइमन मेरे लंड के साथ गुब्बारे की तरह खिंच गया और उसे दर्द होने लगा था।

मैंने एक करारा धक्का मारा और ऐना चीख पड़ी।"आााााााह " लेकिन मैं तैयार था, मैंने अपने होंठों से ऐना के होंठ बंद कर दिया था।फच्चाक की आवाज के साथ उसकी गीली चिकनी योनी के संकीर्ण छिद्र को फैलाता हुआ या यों कहिए चीरता हुआ मेरे लिंग का विशाल गोल अग्रभाग प्रविष्ट हो गया। "आााााह"असहनीय दर्द से ऐना की आंखों में आंसु आ गए। चंद सेकेंड रुकने के बाद मैंने फिर एक धक्का मारा,"ओहहहह मााां मर गईईईई रेेेेेेेेे" मैंने अपना मुंह उसके मुंह से हटा कर झट से एक हाथ से उसका मुहबंद किया और बोला, "प्लीज शांत रहो ऐना कहीं कोई गार्ड तुम्हारी चीख सुन कर ना आ जाए l

वो गू गु करते बोली बहुत दर्द हो रहा है मर जाऊँगी , हम दोनों किश करते रहेl

उसने मेरे होंठ काटने शुरू कर दिए, मैंने उसे धैर्य रखने का संकेत दिया। वो डर और दर्द के कारण मुझे कसके गले लगा रही थी। कुछ आंसु उसके गुलाबी गालो पर लुढ़क गए । लेकिन वह मजबूत और उत्सुक थी।

मैं बोला ऐना तुम्हे कुछ नहीं होगा तुम सिर्फ मेरे लौड़े का कमाल महसूस करो और देखो , अभी ये तुम्हारी बूर में आधा घुसा है । बस थोड़ा बर्दाश्त कर लो बस एक धक्का और, , अब ये देखना तुम्हे कितना मजा आयेगा, हुम,""आाााहहहहह," उसकी चीख घुट कर रह गई। और मैंने एक और करारा धक्का मार दिया ।

और अंत में, मैंने एक बार अपना लंड पीछे खींच कर पूरे जोर से धक्क्का दिया और मेरा लंड उसके हाइमन का उल्लंघन करके उसकी योनि की में समा गया पर अभी भी लंड लगभग २ इंच बाहर था । अब वह लड़की से महिला बन गयी थी ।

उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।, सांस जैसे रुक गयी, मेरा पूरा लिंग किसी खंजर की तरह ऐना की योनी को ककड़ी की तरह चीरता हुआ जड़ तक समा गया था या यों कहिए कि घुस गया था। कुछ पल मैं उसी अवस्था में रुका, ऐना का कौमार्य तार तार हो चुका था। मैंने किला फतह कर लिया था, विजयी भाव से हौले से अपना लंड मैंने बाहर निकाला, उसकी योनि में से थोड़ा सा खून निकला । ऐना को पल भर के लिए थोड़ा सुकून की सांस लेने का मौका मिला मगर मेरे मुंह में तो जैसे खून का स्वाद लग गया था, मैंने खून से सना लिंग पूरी ताकत से दुबारा एक ही बार में भच्च से ऐना की योनी के अंदर जड़ तक ठोंक दिया। मैं उस सुख का वर्णन नहीं कर सकता जो मुझे मिला जब मेरा लंड उसकी नरम नम और मुलायम चूत के अंदर घुस रहा था।


फिर मैंने उसे थोड़ा आराम दिया और उसकी चूत में मेरे लंड की लंबाई और चौड़ाई के साथ समायोजित किया। उसके आंसू सूख गए। इस बीच हम दोनों किश करते रहे और साथ ही साथ मैं उसके स्तन और चुचकों से खेलता रहा उसके बाद, मैंने उसकी कसी हुई चूत में बहुत कोमल लेकिन गहरे झटके देने शुरू कर दिए। मैं कुछ देर ऐसे ही करता रहा l

फिर लव यू ऐना बोलते बोलते मैंने फिर लंड को निकाल कर ठोका, मैं अब ठोकने की रफ्तार धीरे धीरे बढ़ाता जा रहा था और उसके सीने को दबा रहा था, , निचोड़ रहा था, चूस रहा था, और उसे भी अब चुदाई में मजा आ रहा था और वो रोमांचित हो रही थी । उसे कुछ देर बाद दर्द की जगह जन्नत का अनंद मिल रहा था, हर धक्के के साथ वो मस्ती से भरती जा रही थी।

वो कराह रही थी " आह जानू , ओह राजा, आााााााा,हां हाहं, हाय राज्ज्जााााा, आााााहअम्म्मााााा,,,,,," पता नहीं और क्या क्या उसके मुंह से निकल रहा था। वो भी नीचे से चूतड़ उछाल उछाल कर बेसाख्ता धक्के का जवाब धक्के से देने लगी। नीचे से उसकी कमर चल रही थी, वो अपनी योनी उछाल रही थी। अब हम दोनों चुदाई का आनंद ले रहे थे । " चोोोोोोोोोोोद राजाााााााा चोोोोोोोोद," फ़क मी जोर से चोदो कह वो मुझे तेज तेज करने को उकसा रही थी l

मेरे मुंह से भी मस्ती भरी बातों निकल रही थी, वो पगली की तरह अपने बुर में घपाघप लंड पेलवा रही थी और यह दौर करीब १५ मिनट तक चला कि अचानक ऐना का पूरा बदर थरथराने लगा, उधर मैं भी पूरी रफ्तार और ताकत से ऐना की चूत की धमाधम किए जा रहा थाकि अचानक हम दोनों नें एक दूसरे को कस कर इस तरह जकड़ लिया मानो एक दूसरे में समा हीके दम लेंगे और फिर वह अद्भुत आनंददायक पल, मुझे महसूस होने लगा कि उसकी चूत में मेरा गरमा गरमलावा गिर रहा है, वो भी मेरे साथ ही झड़ती हुई चरम अनंद में मुझ से चिपक गई, हम दोनों मानो पूरी ताकत से एकदूसरे में आत्मसात हो जाने की जोर आजमाईश में गुत्थमगुत्था थे, यह स्थिति करीब १ मिनट तक रहा फिर मैं उसके ऊपर निढाल हो गया और ऐना भी चरम सुख में आंखें मूंदे निढाल पड़ गई।

तभी जूही वहां आयी और हम दोनों को मुबारकवाद दी और फिर वहां से चली गयी l

कुछ देर बाद मैंने एक छोटे से तौलिया का उपयोग करके लंड को और उसकी योनि को साफ किया और फिर से उसे चोदने के लिए खुद को तैनात किया। इस बार यह थोड़ा आसान था। उसे भी मज़ा आया मेरा लंड इस बार उसकी चूत जो अब कुंवारी नहीं रही थी के अंदर एक झटके में ही गहरे उतर गया । उसकी चूत की दीवारें अब मेरे लंड को चूसने लगी थी ।

मैं लंड को अंदर बाहर करने लगा पर जब मैं चरम पर पहुंचा तो और मैंने अपना वीर्य का कुछ किस्सा उसकी योनि में छोड़ा और कुछ हिंसा उसके मुँह पर पेट पर और थोड़ा उसके स्तन पर भी छिड़क दिया। मैं उसे अपने वीर्य में भीगता हुआ देखता रहा और वो इसमें बहुत प्यारी लग रही थी । वह खुश थी कि मैंने उसका खाता खोल दिया था । उसने मेरे वीर्य की वो सारी बूंदे चाट ली l

मैंने फिर से अपना लिंग उसकी योनि में डाला और नीचे झुक कर उसके स्तनों को अपने मुँह में ले लिया,मेरी जीभ ने ऐना के निपल्स पर फिर से घूमना शुरू कर दिया l[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहानी जारी रहेगी[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 3

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

रुसी युवती ऐना

PART-7

पूल के पानी में चुदाई 
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एना ने अपनी आँखें खोलीं और मुस्कुराते हुए कहा “दीपक आप बहुत अच्छी चुदाई करते हैं और अच्छे प्रेमी हैं, मैंने अपने जीवन में कभी इतना अच्छा महसूस नहीं किया। , जूही बहुत किस्मत वाली है !"

इस पर मैं चौंका और मैंने कहा एना आपको पता होना चाहिए कि मैं और जूही केवल दोस्त हैं।

एना ने मुस्कुराते हुए कहा दीपक तुम नहीं जानते कि जूही तुम्हे बहुत पसंद और प्यार करती है और मुझे पता है कि तुम उसे बहुत खुश कर दोगो ।

मुझे यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि जूही मुझे प्यार करती है और साथ ही ये हैरानी भी हुई के मुझे ये पता क्यों नहीं चला की ही मुझे प्यार करती है ।

मैंने सोचा जूही से बाद में निपटते हैं और से दंड पेलते हैं उस तरह से दोनों हाथ रख कर ऐना के ऊपर आ कर मैं ऐना की योनि के पास अपने कूल्हों को नीचे लाया और उसकी योनि को अपने लिंग से रगड़ दिया, एना कराह के साथ चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई, उसके उबलते हुए तरल पदार्थ मेरे लिंग के चारों ओर तथा मेरी गेंदों के कुछ हिस्से पर भी फ़ैल गए थे । और मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया।

कुछ देर तक निरंतर उसके स्तन, निपल पर मैंने चुंबन किये , मैंने उसके चमकते हुए होंठ चूसने के बाद के बाद, उसके कान और गालों पर चुम्बन करते हुए मैंने उसकी योनि के अंदर मेरे लिंग को डाला एना कररह उठी "ऊऊऊऊप्स " मेरे लिंग पर उसकी योनि का अब पूरा नियंत्रण था और उसकी तंग योनि ने मेरे लंड को जकड़ लिया, मैं उसके कान में बड़बड़ाया "मेरी प्यारी एना ?" उसने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि वह मेरे लिंग के हर धक्के का आनंद ले रही थी ।

मैंने अपना लिंग उसकी योनि से बाहर निकाल लिया और बहुत तेज़ी से मैंने उसकी योनि में फिर से से घुसा दिया और कुछ तेज स्ट्रोक लगाए, ऐना ने बार-बार मेरे लिंग के चारों ओर अपना तरल पदार्थ का विस्फोट किया।

मैं हर बार अपने लिंग को पूरा बाहर ले गया और पूरी तरह से उसके अंदर घुसा दिया मेरे लिंग पूरा प्रवेश करने के बाद भी अपनी विशाल लंबाई के कारण उसकी योनि के लगभग २ इंच बाहर था। एना ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके होंठ जहाँ मुस्कुराहट और वो धीरे धीरे कराह रही थी, मैंने अपनी गति बढ़ा दी है, वह चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर मजे के साथ चिल्लाना शुरू कर दिया था और मुझे यकीन था कि इस बार गेट में बाहर सुरक्षा गार्ड ने ये चिलाने की आवाज को जरूर सुना होगा, मुझे पता था कि इस क्षेत्र में पहुंचने में समय लगेगा इसलिए मैंने गति बढ़ा दी ।


मैं अपने होठ ऐना के ओंठो पर रख कर उसे किश करने लगा और धक्के लगाने जारी रखे , और मैंने देखा की गार्ड इधर ही आ रहे थे तो रास्ते में ही जूही ने उन्हें रोका और उन्हें वापस जाने को कहा क्योंकि पूल पर उसने देख लिया है वहा सब ठीक था ।

मैं – ऐना पानी में जाकर चोदने का मन कर रहा है ।

ऐना -ओओओओओहहहहह........तो ले चलिए न, जैसे मर्जी वैसे चोदिये, खूब चोदिये, , ये चूत सिर्फ आपके लिए है, चोदिये मेरे दीपक , ले चलिए मुझे.....लेकिन मेरे जानू मेरी बूर खाली नही होनी चाहिए अब, जब तक मैं तीसरी बार तृप्ति न पा लूं, कुछ इस तरह ले चलो ।

मैं बनते हुए- ओह!!

ऐना - मेरे सैयां, पूल के पानी में इस तरह ले चलो की आपका मूसल लंड मेरी चूत से न निकले और पूल में जाने से पहले एक चक्क्रर पूरे पूल का लगाओ फिर पूल की पानी में जाना ।

मैं - ओह! मेरी जान, जैसा तुम कहो ।

फिर मैं ऐना को गोद में लिए लिए उठ बैठा, बैठने से लंड बूर में और धंस गया, उसके बाद मैं ऐना को लिए लिए खड़ा हो गया, मैंने ऐना को उठाकर गोद में बैठा लिया और अपने दोनों हांथों से नितम्बों को थाम लिए, ऐना ने अपनी दोनों टांगें मेरी गोद में चढ़कर मेरी कमर पर कैंची की तरह लपेटते हुए, मुझसे कस के लिपटते हुए, कराहते हुए, जोर से सिसकारते हुए, मेरे कंधों पर मीठे दर्द की अनुभूति में चूमते और चूसते हुए मेरे विशाल लन्ड पर अपनी रस टपकाती बूर रखकर बैठती चली गयी, लन्ड फिसलता हुआ बूर की गहराई के आखरी छोर पर जा टकराया, क्योंकि ऐना के मखमली बदन का पूरा भार अब केवल मेरे लंड पर था, इतनी गहराई तक लन्ड अब पहली बार घुसा था हम दोनों काफी देर तक उन अंदरूनी अनछुई जगहों को आज पहली बार छूकर परम आनंद खो गये।

मैं पूल के किनारे ऐना को उसके नितम्बों से पकड़कर अपनी कमर तक उठाये उसकी रसभरी बूर में अपना लन्ड घुसेड़े, उसकी बूर की मखमली अंदरूनी नरम नरम अत्यंत गहराई का असीम सुख लेता हुआ खड़ा था , इसी तरह ऐना मेरी कमर में अपने पैर लपेटे मेरे लंड पर बैठी, कस के लिपटी हुई परम आनंद की अनुभूति प्राप्त कर कराह रही थी।

कुछ देर ऐसे ही यौन मिलन के आनंद में खोए रहने के बाद मैं चालने लगा, चलने से लन्ड और इधर उधर हिल रहा था जिससे ऐना बार बार चिहुँक चिहुँक कर हाय हाय करने लग जा रही थी। पूल का पूरा चक्कर लगभग १०० मीटर का था ।

मैं ऐना को अपनी गोद में बैठाये पूल के चारो तरफ चलने लगा, चलने से लंड बूर की गहराई में अच्छे से ठोकरें मारने लगा, ऐना सिस्कार सिस्कार के बदहवास हो गयी, उसे अपनी बूर की गहराई में गुदगुदी सी होने लगी, एक बार तो ऐसा लगा कि वह थरथरा कर झड़ जाएगी तो उसने मुझ से कहा- ओओओओओओओओहहहहहहहहहहहहह......प्लीज दीपक थोड़ा रूको।

मैं रुक गया ऐना मुझे कस के पकड़कर सिसकते हुए अपनी जाँघे भीचते हुए अपने को झड़ने से रोकने लगी मैं फिर चलने लगा औरजहाँ से चला था वहीँ वापिस पहुँचा और दोनों नीचे बैठे फिर योनि में ही लंड डाले हुए दोनों लेट गए ।

उसकी योनि के अंदर मेरे लिंग डाले हुए ही ६ बार रोल हुए पलटे और दोनों पूल में गिर गए। इस रोलिंग के दौरान भी मेरा लिंग उसके अंदर और बाहर होता रहा और हमारे गिरने के समय ऐना ने एक बार फिर से मेरे लंडपर जोर से कराहते हुए अपना चुतरस छोड़ दिया।

मैंने एना को अब पानी के अंदर ही लंड अंदर रखते हुए गोदी में उठा लिया है और मैं पानी में चलते हुए दूसरे छोर पर पहुंच गया वह भारी सांस ले रहा थी और जोर जोर से कराह रही थी मुझे एक बार फिर लगा कहीं गार्ड न आ जाए ।

जैसे-जैसे मैं पूल के कोने पर पहुँचा हूँ, मैंने उसे उठा लिया और उसे पूल के कोने में सीढ़ी के पास खड़ा कर दिया और अपने लिंग को फिर से उसकी योनि के अंदर और बाहर करना शुरू कर दिया।

एना आनंद में खोई हुई लग रही थी है, उसकी आँखें लाल थीं और कुछ और जोर लगाने के बाद मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि के अंदर डिस्चार्ज कर दिया जबकि उसका मुँह मैंने अपने मुँह से बंद किया हुआ था ।

फिर मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया और उसे गले से लगा लिया।

तभी मैंने दो गार्डों को यह कहते हुए सुना - देखो यहां फर्श पर एक पैंटी और ब्रा पड़ी है" दूसरे ने कहा "यहां पुरुष का लोअर स्विम वियर भी पड़ा हुआ है, लगता है कोई भूल गया है या यहाँ कोई है ?" अन्य ने उत्तर दिया "ठीक है हम चेंज रूम में एक बार जांच कर लेते हैं " और दोनों वहां से चले गए।

मैं नग्न एना को उठा पानी से बाहर निकला और पूल के पास अँधेरे वाले क्षेत्र में लेटाया । एना की आंखें बंद थीं। मैं झुका और उसे उसके अद्भुत होठों में चूमा,उसनेअपनी आँखों को आधा खोला और एक मुस्कराहट दी और मेरे हाथ को पकड़ा और अपने स्तनों पर रखा। मैं उसके पास कुछ देर तक बैठा रहा और उसके कान में पूछा, "क्या हम चले ?" उसने अपनी आँखें खोलीं और कहा कि चलो मेरे कमरे में चलते हैं।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
CHAPTER- 3

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

रुसी युवती ऐना

PART-8

कमरे में चुदाई
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एना उठी और उसने कपडे बदलने के कमरे की ओर रुख किया।

अचानक वह घूमी और-और मेरी ओर वापस भाग आयी और मेरे होठों में चूमा और बोली, "धन्यवाद प्रिय, मैं कभी इस भूल नहीं पाऊँगी, आई लव यू" वह फिर से उसने कपडे बदलने के कमरे की ओर चलना शुरू किया। मैंने भी खड़ा हुआ उस समय हम दोनों पूरे नग्न और बेशर्म थे और अपनी नग्नता के बारे में बिकुल चिंतिन नहीं थे वह मर्रे आगे थे और-और मुझे उसके चूतड़ों को ऊपर-नीचे हिलते हुए देखने में बहुत मज़ा आया और उसके चलते ही मेरा लंड फिर से कठोर हो गया।

इस बार मैं सावधान था और मैंने चेंजिंग रूम में जाने से पहले मैंने स्विमिंग गाउन लिया और सिक्योरिटी गार्ड्स के पास पहुँचा, वहाँ केवल एक गार्ड था, वह मुझे देखकर चौंक गया, मैंने पाँच सौ के दो नोट उसे दिए और उसे बोला कम से कम एक और घंटे के लिए पूल बंद नहीं करे हम उसके बाद चले जाएंगे।

उसके बाद मैंने लेडीज चेंज रूम में प्रवेश किया और दरवाज़ा बंद कर लॉक कर दिया और देखा कि एना अभी भी नग्न थी और वह हेयर ड्रायर से अपने बालों को सुखा रही थी, मैं उसके पीछे खड़ा था और उसे देख रहा था, उसकी पीठ मेरी और थी और वह नीचे झुक गई और अपनी योनि में कोल्ड क्रीम लोशन लगाने लगी उसके आम लटक रहे हैं और उसकी योनि मुझे उसकी अपनी जांघों के बीच से दिखाई दे रही थी और इस नज़ारे ने मुझे धमाके से योनिप्रवेश के लिए आमंत्रित किया।

मैंने अपना गाउन फिर से उतार दिया और नंगा हो गया, मैंने इंतज़ार किया की वह मुझे देख ले, मेरा लंड पूरी तरह से सख्त था । मैनेउसके पीठ पर हाथ फिर कर उसके ऊपर झुक कर औ मैंने उसे छुआ उसे नीचे झुके हुए देखकर मैंने एक हाथ में उसकी गर्दन पकड़े हुए उसके चूतड़ को दूसरे हाथ से पकड़ते हुए मैंने अपना लिंग उसकी योनि में पीछे से डाला दिया, इस अचानक प्रवेश से उसका बदन नीचे को झुक गया उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैंनेउसे ऐसा करने नहीं दिया और मैं लगातार उसकी जांघों को अपनी जांघों से टकराता रहा, वह कराहती रही। "Oooooffff फिर से शुरूहो गए? ओफ्फफ्फ्फ्फ़, ोस्स्स्स!। मैं आपसे प्यार करती हूँ" एना कराहने लगी और इस बार एना लगभग बेहोशी की अवस्था में थी, मैं उसे गॉड में वैसे ही लेकर पास की कुर्सी पर बैठा गया और वह मेरी गोद में बैठी रही मैं उसे अपने ऊपर और नीचे करता रहा। मेरे लिंग उसके अंदर था और थोड़ी देर बाद मैंने उसे कस कर पकड़ लिया, उसकी आँखों से आँसू गिर रहे थे। मैंने उसे चूमा तो उसने अपना चेहरे-ऊपर उठा लिया और मुस्कुरा कर बोली " लगता है आप सेक्स के लिए काफ़ी देर से तड़प रहे थे?

मैंने फिर से उसके होंठ में उसे चूमा और कहा उसे उस पोज़ में देख कर मुझ से रुका नहीं गया और यह सबसे अच्छा सेक्स मैं से एक है। ...

उसके बाद हम दोनों ने गाउन पहने अपने कपडे उठाये और ऐना के कमरे में चले गए जूही अब कही नज़र नहीं आयी। ।

उसके कमरे में मैंने उसे पकड़ा और चूमने लगा। हमारी जीभ एक दूसरे के साथ नाचने लगी और मेरे हाथ उसके पूरे शरीर पर घूम रहे थे। मैंने अपना गाउन उतार दिया और धीरे से उसका भी गाउन उतार दिया।

"तुम बहुत सुंदर हो" मैंने कहा।

मैंने ऐना को जल्दी से बिस्तर पर लिटाया और, उसे पहले से कहीं अधिक उत्साह के साथ चुंबन शुरू कर दिया। । उसकी चूत नम होने लगी। मेरा हाथ उसके निपल्स को खींचने लगा, मैं अपना मुंह उसकी गर्दन में ले जाया गया उसे से चूमने के लिए और मेरे हाथ उसके स्तनों पर चले गए।

मैंने उसके निपल्स को चाटना और चूसना शुरू किया। मैंने उसकी नंगी चूत को देखा तो मेरी आँखें चमक उठीं। मैंने अचानक उसके कूल्हों को पकड़ लिया और उसे अपनी ओर खींचा और मैंने अपना चेहरा उसकी चूत में चिपका दिया मैंने अपने ओंठो को ऐना के योनि होंठों को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया, हर बार और फिर अपनी जीभ को उसके बीच में उसके गर्म, गीले छेद पर फिरा कर उसका रास चूस लेता था। मैं उसे छेड़ रहा था! और वपो कराह रही थी अंत में मैं उसकी क्लिट को चाटने लगा। जब वह झड़ने लगी तो मैं रुक जाता अंत में, मैंने अपनी जीभ से उसकी चुत को चाट दिया और उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ घुसा दी। यह उसके लिए बहुत ज़्यादा था और वह हो-हो कर झड़े लगी। मैंने अपनी उंगली उसकी योनी में तब तक रखी, जब तक कि वह नॉर्मल नहीं हो गयी।

वह बैठ गई और उसने मुझे मेरी पीठ पर धकेल दिया। उसने मेरी गर्दन को चूमाऔर मेरा 9 इंची लंड हाथ से सहलाने लगी। मैं कराहने लगा।

"ओह बेबी, अच्छा लग रहा है, लेकिन प्लीज, मेरा लंड चूसो" मैं बोला।

एक क्षण में, वह मेरे पैरों के बीच में थी। फिर, एक तेज झटके के साथ, उसने मेरा पूरा लंड सहलाया और अपने मुँह में पूरा ले गयी, उसने अपने गले की मांसपेशियों का उपयोग करके मेरे लंड की मालिश शुरू कर दी। मेरी कराह ज़ोर से निकली, उसने ऐसा तब तक किया जब तक कि मैं थोड़ा शांत नहीं हुआ, फिर लगभग 15 मिनट के बाद, वह मेरी गेंदों की मालिश करने लगी। यह मेरे लिए बहुत अधिक था और एक कराह के साथ मैंने अपना वीर्य उसके गले में डाल दिया।

मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया। एना ने कई बार मेरे लिंग को सहलाया और हम चूमने लगे। मेरा लंड एक बार फिर खड़ा हो गया। एना वापस बिस्तर पर लेट गई और मैं उसके ऊपर आ गया और मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी टपकती चूत पर रख दिया।

मेरा लण्ड उसकी चूत में मिशनरी पोज़िशन में घुसाने के लिए उसकी योनि के ऊपर फिट कर दिया और ज़ोर लगायातो अंदर नहीं गया, अभी भी उसकी योनि बहुत तंग थी, एक तेज़, धक्के के साथ, मैंने अपना पूरा लंड उसके अंदर घुसा दिया और एना ने एक तेज़ चीख मारी।।

फिर मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा। । वह आह-आह करती कराह रही थी। मेरी गेंदों उसकी जाँघों पर टकरा रही थी जब पूरा लंड उसकी कसी हुई चूत में समाता था। वह स्पष्ट रूप से बहुत आनंद का अनुभव कर रही थी क्योंकि उसकी योनि गीली थी और लंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा, मेरे लिए ऐसा करने में बहुत अधिक समय नहीं लगा।

मैंने कहा। "मेरे लंड को तुम्हारी टाइट चूत में बहुत अच्छा लग रहा है" उसने जवाब दिया मुझे भी मज़ा आ रहा है।

उसके बाद, मैंने लंड को धीरे से वापस खींच लिया और उसे फिर उसकी चूत में धकेल दिया। मैंने पहले धीरे-धीरे धक्के मारे जब उसने मुझसे कहा " मुझे ज़ोर से चोदो, तो मैं पिस्टन की तरह उसके अंदर और बाहर तेजी से करने लगा।

मैं जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा। अंदर और बाहर। अंदर और बाहर। मैं अपने कूल्हों को हिला रहा था और एना को झटका देते हुए हर बार मेरी गेंदों से उसकी चूत पर टक्क्रर मारता था। उसे यह बहुत अच्छा लगा।

वह ख़ुशी से कराह रही थी, "वह चीखने लगी ऊओओह-ए-ए-ए-आआआआआआआआआआआआआहह"। मुझे ऐसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ और वह झड़ने वाली थी।

इस समय मैं भी उत्तेजना से बेहाल था, मैंने उसकी जमकर चुदाई शुरू कर दी और उसकी गर्म गांड के खिलाफ मेरी गेंदों के थप्पड़ मारने की आवाज़ बहुत सेक्सी थी। "

वह हर ढ़ाके पर ज़ोर से चिल्ला रही थी।

उसे कई मिनी ओर्गास्म मिल सके। अंत में, मैं नीचे पहुँच गया और उसकी क्लिट से खेलने लगा। वह झड़ने लगी और उसकी चूत की मांसपेशियाँ मेरे लंड पर और भी सख्त हो गई हैं। मैं इसे और नहीं सह पाया और मैं उसी समय मैंने भी उसकी योनि को अपने वीर्य से भर दिया।

"यह अविश्वसनीय था" मैं उसके कानों में फुसफुसाया।

फिर हम कुछ देर के लिए चिपक कर सो गए।

कहानी जारी रहेगी


दीपक कुमार
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे[/font]

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CHAPTER- 3

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

रुसी युवती ऐना

PART-9


गर्भदान[/font]







[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कुछ देर बाद दरवाजे की घंटों बजी तो हम उठे .. मैंने टॉवल गाउन पहन कर गेट खोला तो सामने जूही थी और रात का खाना ले कर आयी थी जूही हमे इस हालत में देख कर मुस्कुरायी और ऐना बिस्तर में नंगी लेटी हुई थी उसने खुद को ढकने का कोई प्रयास नहीं किया .. जूही बोली बहुत मेहनत की है तुम दोनों ने भूख लग गयी होगी चलो कुछ खा लो

हम तीनो ने मिल कर खाना खाया तो उसके बाद जूही बोली आप एक कहानी सुनिए -

प्राचीन प्रथा के अनुसार, अगर कोई विवाहित स्त्री किसी कारणवश संतानोत्पत्ति करने और वंश को आगे बढ़ाने में अक्षम होती थी तो उसके पति को दूसरे विवाह की अनुमति मिल जाती थी। यह अनुमति उसे सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक तीनों ही क्षेत्रों में उपलब्ध करवाई जाती थी। हालांकि वर्तमान समय में कानूनों की सख्ती के बाद ऐसा करना अब इतना आसान नहीं रह गया है लेकिन एक दौर वो भी था जब स्त्री को या तो केवल भोग्या माना जाता था या फिर वंश को आगे बढ़ाने का मात्र एक साधन माना जाता था ।

लेकिन इसके विपरीत अगर कोई पुरुष वीर्यहीन या नपुंसक है तो उसकी पत्नी को संतान के जन्म के लिए एक अन्य विवाह करने की अनुमति तो नहीं मिलती थी , लेकिन गर्भाधान करने के लिए एक समगोत्रीय या उच्च वंश के पुरुष के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने की सुविधा जरूर उपलब्ध करवाई जाती थी।

इस सुविधा को ‘गर्भदान ’ के नाम से जाना जाता है। जिसका आशय किसी भी प्रकार के यौन आनंद से ना होकर सिर्फ और सिर्फ संतान को जन्म देने से है। गर्भदान के लिए किस पुरुष को चुना जाएगा, इसका निर्णय भी उसका पति ही करता था।[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गर्भदान [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पति द्वारा संतान उत्पन्न न होने पर या पति की अकाल मृत्यु की अवस्था में ऐसा उपाय है जिसके अनुसार स्त्री अपने देवर अथवा सम्गोत्री से गर्भाधान करा सकती है। उस में स्त्री की मर्जी होनी जरुरी हैं यदि पति जीवित है तो वह व्यक्ति स्त्री के पति की इच्छा से केवल एक ही और विशेष परिस्थिति में दो संतान उत्पन्न कर सकता है। इसके विपरीत आचरण प्रायश्चित् के भागी होते हैं। हिन्दू प्रथा के अनुसार नियुक्त पुरुष सम्मानित व्यक्ति होना चाहिए

‘गर्भदान ’ भारतीय समाज में व्याप्त एक बेहद प्राचीन परंपरा है। आज भी बहुत से भारतीय समुदायों में ‘गर्भदान ’ द्वारा संतानोत्पत्ति की प्रक्रिया को पूरी परंपरा के अनुसार अपनाया जा रहा है।

सर्वप्रथम गर्भदान एक ऐसी प्रक्रिया है जब पति की अकाल मृत्यु या उसके संतान को जन्म देने में अक्षम होने की अवस्था में स्त्री अपने देवर या फिर किसी समगोत्रीय, उच्चकुल के पुरुष के द्वारा गर्भ धारण करती है।

स्त्री अपने पति की इच्छा और अनुमति मिलने के बाद ही ऐसा कर सकती है। सामान्य हालातों में वह बस एक ही संतान को जन्म दे सकती है लेकिन अगर कोई विशेष मसला है तो वह गर्भदान के द्वारा दो संतानों को जन्म दे सकती है।[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गर्भदान [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]के द्वारा जन्म लेने वाली संतान, नाजायज होने के बावजूद भी जायज कहलाती है। उस पर उसके जैविक पिता का कोई अधिकार ना होकर उस पुरुष का अधिकार कहलाया जाएगा, जिसकी पत्नी ने उसे जन्म दिया है।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गर्भदान [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]की प्रक्रिया तमाम शर्तों के बीच बंधी है। जैसे कि कोई भी महिला गर्भदान का प्रयोग केवल संतान को जन्म देने के लिए ही कर सकती है ना कि यौन आनंद के लिए, गर्भदान नियोग के लिए नियुक्त किया गया पुरुष धर्म पालन के लिए ही इसे अपनाएगा, उसका धर्म स्त्री को केवल संतानोत्पत्ति के लिए सहायता करना होगा, संतान के उत्पन्न होने के बाद नियुक्त पुरुष उससे किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं रखेगा।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गर्भदान [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]से एक महिला जिसका पति मर चुका है और जो अपने भाई-बंधुओं को संतान की इच्छा रखती है (पुत्र को सहन कर सकती है)। (एक बहनोई की विफलता पर वह संतान प्राप्त कर सकता है) (एक सहपिन्दा के साथ), एक सपोटरा, एक समनपावार, या एक ही जाति से संबंध रखने वाला।

एक विधवा एक वर्ष (शहद), मांसाहारी शराब, और नमक के उपयोग से बचेंगी और जमीन पर सोयेंगी। छह महीने के दौरान मौदगल्या (घोषित करती है कि वह ऐसा करेगी)। उसके (समय) की समाप्ति के बाद (वह) वह अपने गुरुओं की अनुमति के साथ, अपने जीजा के लिए एक पुत्र को सहन कर सकती है, यदि उसके कोई पुत्र नहीं है।[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गर्भदान [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]का उल्लेख और है,

एक पति का छोटा भाई, अपने बड़ों की अनुमति से अपने व्यक्ति पर संतान को पाने के उद्देश्य से अपने बड़े भाई की निःसंतान पत्नी के पास जा सकता है, पहले उसकी ओर से और उसके साथ और उसकी प्राप्ति हुई थी।

परिवार में एक पुत्र और एक उत्तराधिकारी पैदा करने के लिए बहनोई या एक चचेरे भाई या एक ही गोत्र के व्यक्ति गर्भ धारण करने तक विधवा विधवा के साथ संभोग कर सकते हैं। यदि वह उसके बाद उसे छूता है तो वह अपमानित हो जाता है। इस प्रकार पैदा हुआ पुत्र, मृत पति का वैध पुत्र है। ”

गर्भदान संस्कार से उत्पन्न पुत्र को अपने पूर्वजन्म के साथ-साथ अपनी माता के मृत पति का भी श्राद्ध करना चाहिए। तब वह सच्चा वारिस होगा।


भारतीय समाज में संतान को जन्म देना, पुरुष के मान-सम्मान और उसके पुरुषत्व से जुड़ा है। इसलिए गर्भदान के लिए नियुक्त किया गया पुरुष पूरी तरह विश्वसनीय होता था ताकि इस बात का खुलासा किसी भी रूप में ना हो सके, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो उनके पुरुषत्व को ठेस पहुंचेगी। गर्भदान के द्वारा उत्पन्न संतान ने उनके अपने जैविक पिता के नहीं बल्कि अपनी जैविक मां के पति के वंश को आगे बढ़ाया।[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गर्भदान [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]प्रथा के नियम निम्न हैं:-

१. कोई भी महिला इस प्रथा का पालन केवल संतान प्राप्ति के लिए करेगी न कि आनंद के लिए।

२. नियुक्त पुरुष केवल धर्म के पालन के लिए इस प्रथा को निभाएगा। वह उस औरत को संतान प्राप्ति करने में मदद कर रहा है।

३. इस गर्भदान से जन्मा बच्चा वैध होगा और विधिक रूप से बच्चा पति-पत्नी का होगा, नियुक्त व्यक्ति का नहीं।

४. नियुक्त पुरुष उस बच्चे के पिता होने का अधिकार नहीं मांगेगा और भविष्य में बच्चे से कोई रिश्ता नहीं रखेगा।

५. इस कर्म को करते समय नियुक्त पुरुष और पत्नी के मन में केवल धर्म ही होना चाहिए, वासना और भोग-विलास नहीं। पत्नी इसका पालन केवल अपने और अपने पति के लिए संतान पाने के लिए करेगी।

उसे बाद जूही ने पूरी विधि और नियम और गर्भदान की कहानिया विस्तार से समझायी

तो मैंने पुछा जूही तुम ये \मुझे क्यों सुना रही हो ? मैं इन में क़ाफी कहानिया जानता हूँ या सुन चूका हूँ l

तो जूही बोली आपके सवालों के जवाब जल्द ही मिल जाएंगे l
अगर स्त्री अथवा पुरुष में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है और उनके कोई संतान भी नहीं है तब अगर पुनर्विवाह न हो तो उनका कुल नष्ट हो जाएगा। पुनर्विवाह न होने की स्थिति में व्यभिचार और गर्भपात आदि बहुत से दुष्ट कर्म होंगे। इसलिए पुनर्विवाह होना अच्छा है।

ऐसी स्थिति में स्त्री और पुरुष ब्रह्मचर्य में स्थित रहे और वंश परंपरा के लिए स्वजाति का लड़का गोद ले लें। इससे कुल भी चलेगा और व्यभिचार भी न होगा और अगर ब्रह्मचारी न रह सके तो नियोग से संतानोत्पत्ति कर ले। पुनर्विवाह कभी न करें। आइए अब देखते हैं कि ‘नियोग’ क्या है ?

अगर किसी पुरुष की स्त्री मर गई है और उसके कोई संतान नहीं है तो वह पुरुष किसी नियुक्त विधवा स्त्री से यौन संबंध स्थापित कर संतान उत्पन्न कर सकता है। गर्भ स्थिति के निश्चय हो जाने पर नियुक्त स्त्री और पुरुष के संबंध खत्म हो जाएंगे और नियुक्ता स्त्री दो-तीन वर्ष तक लड़के का पालन करके नियुक्त पुरुष को दे देगी। ऐसे एक विधवा स्त्री दो अपने लिए और दो-दो चार अन्य पुरुषों के लिए अर्थात कुल 10 पुत्र उत्पन्न कर सकती है। (यहाँ यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यदि कन्या उत्पन्न होती है तो नियोग की क्या ‘शर्ते रहेगी ?) इसी प्रकार एक विधुर दो अपने लिए और दो-दो चार अन्य विधवाओं के लिए पुत्र उत्पन्न कर सकता है। ऐसे मिलकर 10-10 संतानोत्पत्ति की आज्ञा है।


इसी प्रकार संतानोत्पत्ति में असमर्थ स्त्री भी अपने पति महाशय को आज्ञा दे कि हे स्वामी! आप संतानोत्पत्ति की इच्छा मुझ से छोड़कर किसी दूसरी विधवा स्त्री से गर्भदान करके संतानोत्पत्ति कीजिए।

अगर किसी स्त्री का पति व्यापार आदि के लिए परदेश गया हो तो तीन वर्ष, विद्या के लिए गया हो तो छह वर्ष और अगर धर्म के लिए गया हो तो आठ वर्ष इंतजार कर वह स्त्री भी नियोग द्वारा संतान उत्पन्न कर सकती है। ऐसे ही कुछ नियम पुरुषों के लिए हैं कि अगर संतान न हो तो आठवें, संतान होकर मर जाए तो दसवें और कन्या ही हो तो ग्यारहवें वर्ष अन्य स्त्री से गर्भदान द्वारा संतान उत्पन्न कर सकता है। पुरुष अप्रिय बोलने वाली पत्नी को छोड़कर दूसरी स्त्री से गर्भदान का लाभ ले सकता है। ऐसा ही नियम स्त्री के लिए है।



कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 3

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

रुसी युवती ऐना

PART-10


परिवार की वंशावली[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जूही बोली दीपक जी गुजरात से समुद्री तट के पास एक राजघराना है हालांकि रजवाड़े तो आज़ादी के बाद खत्म कर दिए गए परन्तु अभी भी राजघराने तो हैं ही और अब उनमे से ज्यादातर राजनीति और व्यापार करते हैं l

उसी छोटी सी रियासत के राजा हैं राजा हरमोहिंदर जिनकी उम्र है लगभग 40 साल और उनकी राजघराना परम्परा के अनुसार आज के जमाने भी कई रानिया हैं . वरिष्ठ रानी और चार अन्य रानिया कुल मिला कर राजा की 4 रानिया हैं जब उनकी सबसे पहली शादी हुई थी जब उनकी उम्र थी २१ साल पर अभी तक उनकी कोई संतान नहीं है l

वो चाहते तो अन्य वह कई राजाओं की तरह एक बच्चा गोद ले सकते थे । लेकिन उनके शासन की राजनीतिक नाजुकता ने उन्हें इस सभी मानव असफलताओ का प्रचार करने की और फिर कोई बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं दी।

परिवार की परम्परा रही है वरिष्ठ रानी का पुत्र ही युवराज होगा और जब कई साल तक वरिष्ठ रानी की गोद हरी नहीं हुई तो पहले सोचा गया कि वरिष्ठ रानी बांझ हो सकती है। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि अन्य रानियों के साथ कोशिश की जाए। ऐसा करने से पहले, राजा को पट्टरानी के पिता को एक सन्देश भेजना आवश्यक था जो एक पड़ोस की रियासत का शक्तिशाली राजा था और आज की राजनीति में सांसद और केंद्रीय और राज्य सरकार मे अच्छी पकड़ रखता था । महत्वपूर्ण राजनीतिक गठजोड़ ऐसे मुद्दों की लापरवाही से खराब हो सकते हैं, जिनके मुकुट राजा और राजकुमार को धारण करने होते हैं ।

पट्ट रानी एक तो सबसे वरिष्ठ थी दूसरा उसके पिता अन्य रानियों के मायके से ज्यादा प्रभावशाली थे और स्वयं राजा हरमहेन्दर भी पट्टरानी की हर बात मानते थे .. और अन्य रानियों के साथ पुत्र पैदा करने की कोशिस की व्यवस्था भी पट्टरानी के सुझाव पर ही की जा रही थी l

इसलिए जब इस विषय पर संदेश पटरानी के पिता के पास गया, तो महारानी ने अपने पिता को इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है का सन्देश साथ में गया की राजा अपनी दूसरी रानियों के साथ संतान पैदा कर ले क्योंकि अन्य सभी रानिया और खुद राजा साहब उसका बहुत सम्म्मान करते थे और रानी को सबने ये आश्वासन दिया था इससे पटरानी की प्रधानता पर कोई आंच नहीं आएगी बल्कि जो भी पहला पुत्र होगा उसे अन्य रानी पटरानी को ही सौंप देगी और पटरानी ही उस पुत्र को पालेगी और अन्य रानी का उस पुत्र पर कोई अधिकार नहीं होगा इस व्ववस्था में पट्टरानी की प्रधानता के लिए कोई खतरा नहीं था।

जब महाराज अपनी हरम या रानिवास में अन्य रानियों की चुदाई कर रहे होते थे, यह जानते हुए कि महाराज एक अन्य रानी को चुदाई करने में व्यस्त हैं पटरानी बगल के कमरे में बैठीं हुई उनकी आहे कराहे सुनती रहती . बल्कि कई बार तो वो खुद चुदाई वाले कमरे में उपस्थित रह कर लेकिन यह सुनिश्चित करती थी राजा जी खूब अच्छे से रानियों की चुदाई करें ।

कई महीनों की चुदाई के बाद भी जब कोई नतीजा नहीं निकला तो पहले रानीयो के टेस्ट करवाए गए और उसके बाद राजा जी का टेस्ट करवाया गया तो पता चला राजा साहिब पिता नहीं बन सकते ।

तो पहले राजा जी का इलाज करवाया गया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ और फिर राजमाता से आदेश आया कि राज्य को एक युवराज की जरूरत है।

दीपक अब इस कहानी और आपका सम्बन्ध यही से है l

लगभग 150. वर्षो पहले आपके परदादा के पिता ( दादा के दादा ) जी इस उपरोक्त राजघराने के राजा के छोटे भाई थे और किसी पर अनबन होने पर घर छोड़ कर कुछ धन ले कर विदेश चले गए थे और वहां पर उन्हों ने व्यापार कर लिया और फिर पंजाब में जाकर जमींदारी भी कर ली l

आपके पूर्वज के अलग होने की लेकिन इस घटना के बाद से सभी राजाओ के यहां कई रानियों होने के बाद भी केवल एक ही संतान का जन्म हुआ और आप के पूर्वजो के यहाँ भी क्रम अनुसार केवल एक ही पुत्र उतपन्न हुआ हालांकि आपके परिवार में अन्य सन्तानो के रूप में लड़किया पैदा होती रही l

आपके पूर्वज और फिर उनके वंशजो ने भी राजघराने से कभी कोई संपर्क नहीं रखा था .. इसलिए आपके बारे में परिवार के किसी भी बड़े बूढ़े को भी मालूम नहीं था l

अब जब ये समस्या उतपन्न हुई तो सबसे पहले राजगुरु मृदुल मुनि जी को परामर्श के लिए बुलाया गया लेकिन राजा का कोई दूसरा भाई नहीं था जिसे ताज पहनाया जा सके तो उन्हों ने इसके लिए नियोग का रास्ता सुझाया ।

फिर राजगुरु अपने गुरु महर्षि अमर मुनि के पास ले गए तो दादागुरु महर्षि अमर मुनि जी ने समस्या सुनी और ध्यान में चले गए और फिर बोले आपके पूर्वजो की पूरी कहानी सुनाईl दादा गुरु बोले ये राज दादा गुरु के दादा गुरु द्वारा बनाई गयी आपके परिवार वंशवली मे भी दर्ज है और प्रमाण के लिए परिवार के इतिहास और वंशावली की जांच के लिए राजगुरु को कनखल हरिद्वार भेजा जहाँ से पुरोहित से परिवार की पूरी वंशवली मिल गयी l


फिर महर्षि अमर मुनि जी बोले आपके परिवार का एक अन्य कुमार है दीपक सपुत्र मोहन कृष्ण जो आजकल लंदन में पढ़ायी पूरी करने के बाद किसी कंपनी के काम से सूरत आ रहा है l

तो राजा बोले जब हमारा दीपक या उनके पिता मोहन कृष्ण जी से कोई सम्पर्क ही नहीं है तो कैसे हमारी बात मान लेंगे तो महर्षि ने राजा जी और राजमाता तो इसका उपाय बताया जिसके तहत मुझे आपके पास भेजा गया है और ऐना मृदुल मुनि जी की शिष्या है और उन्ही की आज्ञा से आपको लेने आयी है l

दादागुरु महर्षि अमर मुनि जी बोले कुमार दीपक सपुत्र मोहन कृष्ण ही इस काम को अंजाम दे सकता है यदि किसी अन्य के साथ नियोग किया गया तो संतान नहीं होगी और आपको कुमार दीपक को मेरे पास लाना होगा मैं उन्हें पूरी प्रक्रिया और नियोग कैसे करना है सब समझा दूंगा l

जब जूही ने मेरे पिता जी का नाम लिया तो मैं चौंका पर फिर सोचा की शयद उसे मेरे पिताजी का नाम तब पता लगा होगा जब मैंने पूल के सदस्यता का फ़ार्म भरा था l

लेकिन तभी ऐना बोली मैं दादा गुरुजी के निर्देश के अनुसार आपके पूरे परिवार की वंशावली बता रही हूँ इससे आपको विश्वास हो जाएगा की मैं ठीक कह रही हूँ l

फिर उसने मुझे मेरी पूरी वंशवाली और राजा हरमोहिंदर की वंशावली बतायी तो मुझे केवल अपनी वंशवाली के बारे में पता था पर उसे सुन मुझे इस कहानी पर थोड़ा विश्वास होने लगा l

फिर उसने दादा गुरु के हाथ के बनी हुई वंशावली दिखाई और साथ ही में मुझे दादा गुरु का लिखा हुआ एक पत्र भी दिया l

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=small][size=x-large]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे[/size][/font][/size]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]CHAPTER- 3

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

रुसी युवती ऐना

PART-11


दादा गुरु महर्षि [/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दादा गुरु महर्षि अमर मुनि जी का सीलबंद पत्र मैंने खोला जिसपे हमारे परिवार का चिरपरिचित निशाँ की सील लगी हुईं थी और उंसमें मेरे लिए निम्न सन्देश था :-

प्रिय कुमार दीपक,
आयुष्मान भाव
अब तक तुम्हे मेरी शिष्या ऐना ने अपना तुम्हारे पास आने का प्रयोजन बता दिया होगा तुम्हे नियोग के बारे में बताने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि तुम पहले ही अपने वाहन चालक की पत्नी को गर्भ दान दे चुके हो अब तुम्हारे अपने परिवार को तुम्हारे वीर्य की जरूरत है और तुम्हे आगे पुत्र और संतान होती रहे इसके लिए कुछ कर्म तुम्हे निष्पादित करने होंगे अन्यथा इस परिवार और तुम्हारे परिवार की परम्परा के अनुसार अब तुम्हारे परिवार में अब और कोई पुत्र नहीं होगा.

मेरी शिष्या और कुमारी जूही तुम्हे मुझसे शीघ्र अतिशीघ्र मिलवाने की सभी व्यवस्था कर देगी ।
मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ रहेगा।"

महर्षि अमर मुनि.

उसमे हमारे परिवार का एक चिरपरिचित निशाँ जिसे मैं अपनी हर अंगूठी में बनवाता था वो लगा हुआ था और गुरुदेव के हस्ताक्षर थे.


मैंने कहा अब हम कब चल सकते हैं तो ऐना बोली हमने एक चार्टर्ड प्लेन बुक कर रखा है और गुरु जी इस समय हिमालय में हैं और हमे कल प्रातः 9 बजे उनके दर्शन करने की आज्ञा मिली हुई है l

इस समय लगभग १० बज रहे थे मैंने अपने ड्राइवर सोनू को फ़ोन कर बोला मैं किसी जरूरी काम से सूरत से बाहर जा रहा हूँ और परसो सुबह (सोमवार) को वापिस आ जाऊँगा और फिर हम तीनो त्यार हुए और उस स्पेशल चार्टर्ड फ्लाइट से हिमालय चले गये और एयरपोर्ट से उतरने के बाद हम लगभग दो घंटे कार में चले और फिर उसके बाद लगभग दो घंटे पैदल पहाड़ की चढ़ाई करने के बाद गुरूजी के आश्रम में सुबह ४ बजे पहुंचे तो वहां गुरु जी के शिष्यों ने हमे जड़ी बूटियों का एक गर्म पेय या काढ़ा दिया जिससे सारी थकान गायब हो गयी और फिर हमे कुछ देर आराम करने को कहा गया .. सुबह ७ बजे स्नान, पूजा और नाश्ता करने के बाद हम गुरूजी के दर्शनों के गए l

जब हम गुरु जी के पास पहुँच कर बाहर कमरे में उनके पास जाने का इंतजार कर रहे थे तो अंदर से मुझे चिर परिचित स्वर सुनाई दे रहे थे .. मैं हैरान हुआ .. यहाँ मेरा परिचित कौन हो सकता हैl

जब गुरूजी ने हमे अंदर बुलाया तो उनके चेहरे की आभा देख मेरी आँखे बंद हो गयी और मैं उनके चरणों में झुक गया तो मुझे मेरे पिताजी की आवाज सुनाई दी .. उठो बेटा दीपक और अपनी ताई और बड़े भाई राजा हरमोहिंदर जी के चरण स्पर्श करो l.

तभी गुरूजी की भी सार गर्भित वाणी सुनाई दी l

उठो चिरंजीव कुमार दीपक और आँखे खोलो l

मैंने आँखे खोली और गुरूजी के दर्शन किये और उन्हें एक बार फिर प्रणाम किया और फिर अपने पिताजी को प्रणाम किया फिर गुरु जी बोले कुमार ये हैं तुम्हारी बड़ी माँ ताई राजमाता राजेश्वरी देवी और बड़े भाई राजा हरमोहिंदर l

मैंने दोनों के चरण छु कर उन्हें प्रणाम किया तो सबने मुझे आयष्मान होने का आशीर्वाद दिया l

मेरे बाद ऐना आयी और गुरु जी को उसने प्रणाम किया फिर जूही आयी और उसने प्रणाम किया तो गुरु जी ने जूही को पुत्रवती होने का आशीर्वाद दियl l

फिर पिताजी बोले कुमार ये हमारे कुल गुरु हैं महर्षि अमर और इन्होने मुझे यहाँ बुलवा लिया है और सारी बात बता दी है l

तो महर्षि बोले बेटा तुह्मारे पुरखो से अनजाने में कुछ भूल हो गयी थी और एक पाप कर्म हो गया था जिसके कारण एक महात्मा ने तुम्हारे कुल को श्राप दिया था की अब से तुम्हारे कुल के पुरुष केवल एक ही पुत्र पैदा कर सकेंगे .. जिसके कारण तुम्हारे परिवार की वंश बेल में अब केवल तुम दो ही पुरुष हो l

तुम्हारे पुरखो को अपनी भूल और इस श्राप का पता चला तो उन्होंने महात्मा से इस पाप के लिए क्षमा मांगी और श्राप वापिस लेने को कहा l

तो महात्मा जी ने कहा था श्राप तो वापिस नहीं हो सकता लेकिन इसका सिमित कर सकते हैं तुम्हारे परिवार में सदा दो पुत्र तो रहेंगे l

जब भी इस परिवार का कोई बेटा संतान पैदा करने में अक्षम होगा तो दूसरा पुत्र अगर कुछ ख़ास विधि से वेद मंत्रो की सहायता से कुछ विशेष स्थानों पर जा कर पूजा करेगा ये श्राप ख़त्म हो जाएगा l

तो मैंने पुछा गुरुदेव मुझे क्या करना होगा l

तो गुरुदेव बोले अगर आप सभी सहमत हो तो मैं आपको इसका उपाय बताता हूँ l

सब बोले जी गुरूजी आप आज्ञा दे l

इसके लिए सबसे पहले राजा हरमोहिंदर को एक कुंवारी कन्या से विवाह करना होगा जिससे कुमार भी परिचित है और वो कन्या भी कुमार को पसंद करती है फिर उस कुंवारी कन्या के साथ कुमार को नियोग करना होगा l

सबसे पहले राजा को विवाह मेरे आश्रम में ही करना होगा और फिर पूजा पाठ के बाद कुमार नयी रानी के साथ गर्भदान करेगा l

फिर कुमार को राजा हरमोहिंदर की सभी रानियों के साथ गर्भदान करना होगा l

ये विवाह और गर्भदान अलग अलग स्थान पर किये जाएंगे l



कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 4

गर्भदान

PART-1


वंश वृद्धि के लिए साधन[/font]





[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दादा गुरु महर्षि अमर मुनि जी बोले कुमारो गर्भदान एक प्राचीन और स्वीकृत परंपरा है । महाराज उस समय उस प्रस्ताव को सुन कर विवेकहीन थे परन्तु शाही परिवार से जुड़े ऐसे नाजुक मुद्दों को गुरुओं, साधुओं और तपस्वियों के साथ साझा करने में सुरक्षा थी।

प्रत्येक शाही परिवार के पास अपने स्वयं के आध्यात्मिक परामर्शदाता होते थे और उन्होंने राज्यों से संरक्षण प्राप्त होता था । दोनों की ये व्यवस्था परस्पर जरूरतों को पूरा करती थी और पीढ़ी दर पीढ़ी वफादारी की कसौटी पर खरी उतरती थी । कभी भी किसी भी राजा ने प्रतिद्वंद्वी राजा के गुरु के साथ खिलवाड़ नहीं किया। गुरु और तपस्वी प्रलोभन से ऊपर थे और सैदेव राजा के हित की बात करते थे उसे शिक्षित करते थे और राजा हमेशा उनका मान सममान करते थे और उनकी सलाह के अनुसार चने का प्रयास करते

गुरु और तपस्वियों और साधुओ ने यौन इच्छा कामनाओ सहित सभी पर अपने कठोर तप और साधना से विजय प्राप्त की थी। और इस प्रकार यौन शक्ति और कौशल के लिए वो अधिकानाश तौर पर अनिच्छुक हो होते थे । उनके शरीर में योग, ध्यान, शारीरिक फिटनेस और ऊर्जा प्रवाह के उनके गहन अभ्यास से उनके पास अथाह शक्तिया उनके नियंत्रण में होती थी । उनके परिवार होते थे, लेकिन एक आदमी को अपना जीवन कैसे जीना चाहिए, इसके लिए वे सेक्स केवल संतान के लिए करते थे इसके इतर वे संयम का अभ्यास करते थे और शास्त्रों में इस संयम को शक्ति का एक स्रोत माना जाता है ।

गुरुओं के आश्रम शहरो के बाहर नदियों के तट पर तलहटी में, या हिमालय या पर्वतो में और जंगलो में होते थे । कुछ गुरुजन पहाड़ों में आगे बढ़ गए और आध्यात्मिक ऊंचाइयों को हासिल किया, जिससे वे कभी वापिस नहीं लौटे।

और जो गुरु और ऋषि शाही परिवारों के साथ जुड़े हुए थे, वे उन्हें उचित सलाह देते रहते थे और कभी कभी ही उन्हें नियोग के लिए भी राज परिवार में याद किया जाता था और किसी किसी मामले में राजवंश में उनका अच्छा खून कभी कभी वंश वृद्धि के काम लिया जाता था ।

यह सब महाराजा ने एक राजकुमार के रूप में प्रशिक्षण के तहत जाना और सिखा था। लेकिन उन्हों ने कभी नहीं सोचा था कि उनके साथ ऐसा होगा।

अनिच्छा से, महाराज इस प्रस्ताव पर सहमत हो गए थे , लेकिन यह सब चुपचाप किया जाना था।
महाराज ने कहा, "हम महारानी और रानियों को को विश्राम और यज्ञ के लिए गुरुदेव के आश्रम में भेज देते हैं। वहीँ पर गुरु जी की आज्ञा के अनुसार युवराज के लिए साधन किया जाएगा ।"

तो फिर गुरु जी के परामर्श के छ: नौकरानियों की एक छोटी टीम बनायीं गई उनके साथ १२ पुरुष, महाराज राजमाता और महारानी और अन्य चारो जूनियर रानियों के साथ मेरा 'तीर्थयात्रा' पर जाने का कार्यक्रम बना । इस यात्रा में केवल महाराज, मैं , राजमाता और महारानी ही यात्रा का असली उद्देश्य जानते थे । यात्रा में कुछ रात्रि ठहराव शामिल थे और हमे वहाँ 4 से 6 सप्ताह बिताने के लिए निर्धारित किया गया था, और हमे रानियों की गर्भावस्था की पुष्टि होने के बाद ही वापस लौटना था।

सबसे पहले पूरी टीम को गुरूजी के आश्रम जाना था वहां पर महाराजा का एक और विवाह होना तय हुआ .. इसके बाद महर्षि ने मुझे, जूही और ऐना को रुकने का ईशारा किया और महाराज , मेरे पिताजी और अन्य सभी लोग महर्षि से आज्ञा और आशीर्वाद ले कर अपने राज्य चले गए .

महर्षि बोले आप को वंश वृद्धि के लिए गर्भदान साधन और साधना करनी होगी

शास्त्रों में धर्म के साथ साथ अर्थ, काम तथा मोक्ष को भी महत्व दिया गया है। यहां काम को भी नकारात्मक रूप में न मान कर सृजन के लिए आवश्यक माना गया है। हालांकि साथ ही कहा गया है काम को योग के समान ही संयम और धैर्य से साधना चाहिए। यही कारण है कि प्राचीन भारत में काम की पूजा की जाती थी और मदनोत्सव भी मनाया जाता था, जो मनोहारी और अद्भुत होता था।

प्रेम और काम का देवता माना गया है। उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है। वे विवाहित हैं । वे इतने शक्तिशाली हैं कि उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है।



कहानी जारी रहेगी[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 4

नियम

PART-2

काम[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दादा गुरु महर्षि अमर मुनि जी बोले काम , कामसूत्र, कामशास्त्र और चार पुरुषर्थों में से काम की बहुत चर्चा होती है। खजुराहो में कामसूत्र से संबंधित कई मूर्तियां हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या काम का अर्थ सेक्स ही होता है? नहीं, काम का अर्थ होता है कार्य, कामना और कामेच्छा से। वह सारे कार्य जिससे जीवन आनंददायक, सुखी, शुभ और सुंदर बनता है काम के अंतर्गत ही आते हैं।

कई कहानियों में काम का उल्लेख मिलता है। जितनी भी कहानियों में काम के बारे में जहां कहीं भी उल्लेख हुआ है, उन्हें पढ़कर एक बात जो समझ में आती है वह यह कि कि काम का संबंध प्रेम और कामेच्छा से है।

लेकिन असल में काम हैं कौन? क्या वह एक काल्पनिक भाव है जो देव और ऋषियों को सताता रहता था ?


मदन

मदन काम भारत के असम राज्य के कामरूप ज़िले में स्थित एक पुरातत्व स्थल है। इसका निर्माण 9वीं और 10वीं शताब्दी ईसवी में कामरूप के राजवंश द्वारा करा गया था।

मदन मुख्य मंदिर है और इसके इर्दगिर्द अन्य छोटे-बड़े मंदिरों के खंडहर बिखरे हुए हैं। माना जाता है कि खुदाई से बारह अन्य मंदिर मिल सकते हैं।

वसंत काम का मित्र
 है, इसलिए काम का धनुष फूलों का बना हुआ है। इस धनुष की कमान स्वरविहीन होती है। यानी जब काम जब कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती है। वसंत ऋतु को प्रेम की ही ऋतु माना जाता रहा है। इसमें फूलों के बाणों से आहत हृदय प्रेम से सराबोर हो जाता है।

गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा, मौसम का नशा प्रेम की अगन को और भड़काता है। तापमान न अधिक ठंडा, न अधिक गर्म। सुहाना समय चारों ओर सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प, मंद-मंद मलय पवन, फलों के वृक्षों पर बौर की सुगंध, जल से भरे सरोवर, आम के वृक्षों पर कोयल की कूक ये सब प्रीत में उत्साह भर देते हैं। यह ऋतु कामदेव की ऋतु है। यौवन इसमें अँगड़ाई लेता है। दरअसल वसंत ऋतु एक भाव है जो प्रेम में समाहित हो जाता है।

दिल में चुभता प्रेमबाण : जब कोई किसी से प्रेम करने लगता है तो सारी दुनिया में हृदय के चित्र में बाण चुभाने का प्रतीक उपयोग में लाया जाता है। प्रेमबाण यदि आपके हृदय में चुभ जाए तो आपके हृदय में पीड़ा होगी। लेकिन वह पीड़ा ऐसी होगी कि उसे आप छोड़ना नहीं चाहोगे, वह पीड़ा आनंद जैसी होगी। काम का बाण जब हृदय में चुभता है तो कुछ-कुछ होता रहता है।

इसलिए तो बसंत का काम से संबंध है, क्योंकि काम बाण का अनुकूल समय वसंत ऋतु होता है। प्रेम के साथ ही बसंत का आगमन हो जाता है। जो प्रेम में है वह दीवाना हो ही जाता है। प्रेम का गणित मस्तिष्क की पकड़ से बाहर रहता है। इसलिए प्रेम का प्रतीक हृदय के चित्र में बाण चुभा बताया जाता है।[/font]



[size=large]कहानी जारी रहेगी[/size]
 
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