hotaks444
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मैंने मधु से कहा,“पर अनारकली तो अभी छोटी ही है। अभी तो मुश्किल से १७-१८ की हुई होगी!” मैं जानता हूँ वो एक साथ दो दो लंड अपनी चूत और गांड में लेने लायक बन गई है पर मधु के सामने तो उसे बच्ची ही कहना ठीक था।
“अरे आप इन लोगों की परेशानी नहीं जानते। गरीब की लुगाई हरेक की भाभी होती है। जवान होने से पहले ही मोहल्ले, पड़ोस और रिश्तदारों के लौंडे लपाड़े तो क्या घर के लोग ही उनका यौन शोषण कर लेते हैं। चाचा, ताऊ, जीजा, फूफा यहाँ तक कि उसके सगे भाई और बाप भी कई बार तो नहीं छोड़ते हैं।” मधु ने बताया।
“पर अनारकली को तो ऐसी कोई समस्या थोड़े ही है। तुम गुलाबो को समझाने कि कोशिश क्यों नहीं करती ?” मैंने कहा।
“तुम नहीं जानते उसका बाप एक नम्बर का शराबी और चुद्दकड़ है। अनु बता रही थी कि कल उसकी मासी घर आई थी उसके बापू ने उसे पकड़ लिया था। मासी ने शोर मचा कर अपने आप को छुड़ाया। अनु डर रही थी कि कहीं उसे ही ना ….”
मैं तो सुनकर ही हक्का बक्का रह गया। एक और मैं अनारकली को चोदने के चक्कर में लगा था और दूसरी और उसका बाप ही उसकी वाट लगाने पर तुला था। अगर उसका गौना हो गया तो मेरी पिछले २ महीनों की सारी मेहनत बेकार चली जायेगी। मेरा तो मूड ही ख़राब हो गया।
गुरूजी कहते हैं “समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कभी नहीं मिलता ” पता नहीं भाग्य में कब कहाँ कैसे क्या लिखा है।
उस दिन शाम को मधु ने बताया कि उसकी मम्मी की तबियत ठीक नहीं है। भइया का फ़ोन आया था वो भी जा रहे हैं और मुझे भी जयपुर जाना पड़ेगा। अब ग्वालियर से जयपुर कोई ज्यादा दूर तो है नहीं मैंने झटपट दूसरे दिन ही उसकी रेल की टिकेट कन्फर्म करवा दी। मैंने ऑफिस में जरूरी काम का परफेक्ट बहाना बना दिया।
उसने जाते हुए अनु को मेरा ध्यान रखने को समझाया कि कब नाश्ता देना है, खाना कब देना है, क्या क्या बनाना है। बस तीन चार दिनों की बात है। मजबूरी है। किसी तरह काट लेना।
मैंने मन में भगवान का धन्यवाद किया और थोड़ी सी आशा मन में जगी कि अब अनार को अनारकली बनने का माकूल (सही) समय आ गया है।
मैंने स्टेशन पर उसे छोड़ते समय इतनी बढ़िया एक्टिंग की जैसे कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका से बिछुड़ रहा हो। अगर दिलीप कुमार उस वक्त देख लेता तो कहता मधुमती में उसकी एक्टिंग भी ऐसी नहीं थी। मधु एक बार तो बोल ही पड़ी कि “वैसे भइया तो जा ही रहे हैं तुम मेरे बिना इतने उदास हो रहे हो तो मैं जाना कैंसिल कर दूँ?”
मैं घबरा गया अच्छी एक्टिंग भी कई बार महंगी पड़ जाती है। मैंने कहा “अरे बूढा शरीर है ऐसे समय में जाना जरूरी होता है। कल को कोई ऐसी वैसी बात हो गई तो हमें जिन्दगी भर पछतावा रहेगा तुम मेरी चिंता छोडो किसी तरह ३-४ दिन तुम्हारे बिना काट ही लूँगा पर लौटने में देरी कर दी तो मुझे जरूरी काम छोड़ कर भी तुम्हे लेने आना पडेगा हनी डार्लिंग !”
आप तो जानते ही है जब मुझे मधु को गोली पिलानी होती है मैं उसे हनी कहता हूँ। मधु ने मेरी और ऐसे देखा जैसे मैं कोई शहजादा सलीम हूँ और वो अनारकली जो मुझसे दूर जा रही है।
रात अनारकली के सपनों में ही बीत गई। सुबह मुझे अनारकली की मीठी आवाज ने जगाया। वो आते ही बोली “दीदी के पहुँचने का फोन आया क्या ..??”
“क्यों हम अकेले अच्छे नहीं लगते क्या ?”
“ओह … वो ..वो .. बात नहीं …” अनारकली थोड़ा झिझकते हुए बोली “आपके लिए चाय बनाऊं ?”
“नहीं पहले मेरे पास बैठो मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है ” मैंने आज पहली बार उसे बेड पर अपने पास बैठाया।
वो हैरानी से मेरी ओर देखने लगी।
“मैंने सुना है तुम्हारी शादी हो रही है?”- मैंने पूछा।
“शादी नहीं साहब गौना हो रहा है।”
“हाँ हाँ वही ! पर तुम तो अभी बहुत छोटी हो। इतनी कम उम्र में ??”
“छोटी कहाँ हूँ ! पूरी १८ की हो गई हूँ। और फ़िर गरीब की बेटी तो घरवालों, रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों, शोहदों की नज़र में तो १०-१२ साल की भी जवान हो जाती है। हर कोई उसे लूटने खसोटने के चक्कर में रहता है।”
अनारकली ने माहौल ही संज़ीदा (गम्भीर) बना दिया। मैंने बात को अपने मतलब की ओर मोड़ते हुए कहा,“ चलो वो तो ठीक है पर तुम तो जानती हो मैं …. मेरा मतलब है मधु …. हम सभी तुम्हें कितना प्प्यऽऽ ….. चाहते हैं, तुम हम से दूर चली जाओगी” मैं हकलाता हुआ सा बोला और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। उसने हाथ छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की।
मेरा जी तो कर रहा था कि कह दूँ कि मैं भी तुम्हें चोदने के चक्कर में ही तो लगा हूं, पर कह नहीं पाया।
“हाँ साहब ! मैं जानती हूँ। आप और मधु दीदी तो मुझे बहुत चाहते हो, दीदी तो मुझे छोटी बहन की तरह मानती हैं। दुःख तो मुझे भी है पर ससुराल तो एक दिन जाना ही पड़ता है ना ! क्यों ! मैं गलत तो नहीं कह रही ?”
“ ” मैं चुप रहा।
अनारकली फ़िर बोली,“साहब आप उदास क्यों होते हो ! आपको कोई और नौकरानी मिल जाएगी।”
“पर तुम्हारे जैसी कहाँ मिलेगी !”
“क्यों ऐसा क्या है मुझ में ?”
“अरे मेरी रानी तुम नहीं जानती तुम कितनी सुन्दर हो …. म्म…. मेरा मतलब है तुम हर काम कितने सुन्दर ढंग से करती हो।”
“काम का तो ठीक है पर इतनी सुन्दर कहाँ हूँ?”
“हीरे को अपनी कीमत का पता नहीं होता, कभी मेरे जैसे ज़ोहरी की नज़रों से भी तो देखो ?”
“साहब इतने सपने ना दिखाओ कि मैं उनके टूटने का गम बर्दाश्त ही ना कर पाऊँ !”
“देखो अनारकली मैं सच कहता हूँ, तुम्हारे जाने के बाद मेरा मन बहुत उदास हो जाएगा।”
“मैं जानती हूँ साहब” अनारकली ने अपनी पलकें बंद कर ली।
लोहा गरम हो गया था, जाल बिछ गया था, अब तो बस शिकार फ़ंसने ही वाला था। मैं जबरदस्त ऐक्टिंग करते हुए बोला, “ अनार मुझे लगता है हमारा पिछले जन्म का जरूर कोई रिश्ता है। कहीं तुम पिछले जन्म में अनारकली या मधुबाला तो नहीं थी ?” मैंने पासा फ़ेंका।
मैं आगे बोलने जा ही रहा था कि ” और मैं शहज़ादा सलीम ” पर मेरे ये शब्द होंठों में ही रह गए।
अनारकली बोली,“मुझे क्या मालूम बाबूजी, आप तो मुझे सपने ही दिखा रहे हैं” अनारकली की आँखें अब भी बंद थी वो कुछ सोच रही थी।
“मैं तुम्हें कोई सपना नहीं दिखा रहा बिल्कुल सच कहता हूँ मैं तुम्हें इन दो महीनो में ही कितना चाहने लगा हूँ अगर मेरी शादी नहीं हुई होती तो मैं तुम्हें ही अपनी दुल्हन बना लेता !”
“साहब मैं तो अब भी आपकी ही हूँ !”
मेरा दिल उछलने लगा। मछली फंस गई। मेरा लंड तो इस समय कुतुब मीनार बना हुआ था। एक दम १२० डिग्री पर अगर हाथ भी लगाओ तो टन्न की आवाज आए।
मैंने उसे अपनी बाहों में भर लेना चाहा पर कुछ सोच कर केवल उसकी ठुड्डी को थोड़ा सा उठाया और अपने होंठ उसकी और बढाए ही थे कि उसने अपनी आँखें खोली और मुझे अपनी ओर बढ़ते हुए देख कर अचानक उठ खड़ी हुई। मेरा दिल धक् से रह गया कहीं मछली फिसल तो नहीं जा रही।
“नहीं मेरे शहजादे इतनी जल्दी नहीं। तुम्हारे लिए हो सकता है ये खेल हो या टाइम पास का मसाला हो पर मेरे लिए तो जिन्दगी का अनमोल पल होगा। मैं इतनी जल्दबाजी में और इस तरीके से नहीं गुजारना पसंद करुँगी ”
“प्लीज़ एक बार मेरी अनारकली बस एक बार !” मैं गिड़गिड़ाया। मैं तो अपनी किल्ली ठोक देने पर उतारू था।
पर वो बोली,“सब्र करो मेरे परवाने इतनी भी क्या जल्दी है। आज की रात को हम यादगार बनायेंगे !”
“पर रात में तुम कैसे आओगी ?? तुम्हारे घरवाले ?” मैंने अपनी आशंका बताई।
“वो मुझ पर छोड़ दो। आप नहीं जानते, जब आप टूर पर कई कई दिनों के लिए बाहर जाते हो, मैं दीदी के पास ही तो सोती हूँ मेरे घरवालों को पता है ” अनारकली ने मेरे होंठों पर अंगुली रखते हुए कहा।
मैं गुमसुम मुंह बाए वहीँ खड़ा रह गया। अनारकली चाय बनने रसोई में चली गई।
मैं सोचने लगा कहीं वो मुझे मामू (चूतिया) तो नहीं बना गई ?
ये साला सक्सेना भी एक नम्बर का गधा है। (अरे यार ! हमारा पड़ोसी !). हर सही चीज ग़लत समय पर करेगा। रात को ११ बजे भजन सुनेगा और सुबह सुबह फरीदा खानम की ग़ज़ल। अब भी उसके फ्लैट (हमारे बगलवाले) से डेक पर सुन रहा है_
यूँ ही पहलू में बैठे रहो !
आज …. जाने की जिद ना ….करो !!
पर आज मुझे लगा कि उसने सही गाना सही वक्त पर लगाया है।
आज शुक्रवार का दिन था। ऑफिस में कोई ख़ास काम नहीं था। मैंने छुट्टी मार ली। दिन में अनारकली के लिए कुछ शोपिंग की। मेरा पप्पू तो टस से मस ही नहीं हो रहा था रात के इन्तजार में। एक बार तो मन किया की मुठ ही मार लूँ पर बाद में किसी तरह पप्पू को समझाया “थोड़ा सब्र करना सीखो ”
रात कोई १०.३० बजे अनारकली चुपचाप बिना कॉल बेल दबाये अन्दर आ गई और दरवाजा बंद कर दिया। मैं तो ड्राइंग रूम में उसका इन्तजार ही कर रहा था। एक भीनी सी कुंवारी खुशबू से सारा ड्राइंग रूम भर उठा।
उसके आते ही मैं दौड़ कर उससे लिपट गया और दो तीन चुम्बन उसके गालों होंठो पर तड़ा तड़ ले लिए। वो घबराई सी मुझे बस देखती ही रह गई।
“ओह .. फिर उतावलापन मेरे शहजादे हमारे पास सारी रात पड़ी है जल्दी क्या है ?”
“मेरी अनारकली अब मुझसे तुम्हारी ये दूरी सहन नहीं होती !”
“पहले बेडरूम में तो चलो !”
मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेडरूम में आ गया। अब मेरा ध्यान उसकी ओर गया। पटियाला सूट पहने, बालों में पंजाबी परांदा (फूलों वाली चोटी), होंठों पर सुर्ख लाली। मैं तो बस उसे देखता ही रह गया। सूट में टाइट कसे हुए उसके उन्नत उरोज पतली कमर, मोटे नितम्ब मैं अपने आप को काबू में कहाँ रख पाता। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसने भी अपनी आँखें बंद कर ली।
“मेरी अनारकली !”
“हाँ मेरे शहजादे !”
“मुझे तो विश्वास ही नहीं था कि तुम आओगी। मुझे तो लग रहा है कि मैं अब भी सपना देख रहा हूँ !”
“नहीं मेरे शहजादे ! ये ख्वाब नहीं हकीकत है। ख्वाब तो मेरे लिए हैं !”
“वो क्यों ?”
“मेरा मन डर रहा है कहीं तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे। अनारकली कि किस्मत में तो दीवार में चिनना ही लिखा होता है !”
“नहीं मेरी अनारकली मै तुमसे प्यार करता हूँ तुम्हें कैसे धोखा दे सकता हूँ ” मैंने कह तो दिया पर बाद में सोचा अगर उसने पूछ लिया क्या मधु के साथ ये धोखा नहीं है तो मेरे पास कोई जवाब नहीं होगा। मैंने उससे कहा “अनारकली मैं शादी शुदा हूँ अपनी बीवी को तो नहीं छोड़ सकता पर तुम्हें भी उतना ही प्यार करता रहूँगा जितना मधु से करता हूँ। ”
“मुझे यकीन है मेरे शहजादे !”
अनु जिस तरीके से बोल रही थी मैं सोच रहा था कहीं अनारकली सचमुच ‘मुग़ल-ऐ-आज़म’ तो नहीं देख कर आई है।
अब देरी करना कहाँ की समझदारी थी। मैंने पूरा नाटक करते हुए पास पड़ी एक छोटी सी डिबिया उठाई और उसमें से एक नेकलेस (सोने का) निकाला और अनारकली के गले में डाल दिया। (इस मस्त हिरणी क़यामत के लिए ५-१० हज़ार रुपये की क्या परवाह थी मुझे)
अनारकली तो उसे देखकर झूम ही उठी और पहली बार उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर चूम लिए। मैंने उसके कपड़े उतार दिए और अपना भी कुरता पाजामा उतार दिया।
उसने लाइट बंद करने को कहा तो मैंने मना कर दिया। हमारे प्यार का भी तो कोई गवाह होना चाहिए। वो बड़ी मुश्किल से मानी।
मैं सिर्फ़ चड्डी में था। अनारकली ब्रा और पैन्टी में। ये वोही ब्रा और पैन्टी थी जो मैंने उसे १०-१५ दिन पहले लाकर दी थी। वो पूरी तैयारी करके आई थी।
मैं तो उसका बदन देखता ही रह गया। मैंने उसे बाहों में भर लिया और ब्रा के हुक खोल दिए …..
एक दम मस्त कबूतर छलक कर बाहर आ गए, गोरे गोरे छोटे नाज़ुक मुलायम ! एरोला कोई १.५ या २ इन्च का गहरे गुलाबी रंग के चुचूक मटर के दाने जितने।
मैंने उनको मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। वो ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करने लगी। मैं एक हाथ से एक अनार दबा रहा था और उसके नितम्बों पर कभी पीठ पर घुमा रहा था। उसके हाथ मेरे सिर पर और पीठ पर घूम रहे थे। कोई दस मिनट तक मैंने उसके स्तनों को चूसा होगा। अब मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। उसने शर्म के मारे अपने हाथ चूत पर रख लिए।
मैंने कहा- “मेरी रानी ! हाथ हटाओ !”
तो वो बोली- “मुझे शर्म आती है !”
मैंने कहा,“ अगर शर्म आती है तो अपने हाथ अपनी आँखों पर रखो, इस प्यारी चीज़ पर नहीं, अब इस पर तुम्हारा कोई हक नहीं रहा। अब यह मेरी हो गई है !”
“हाँ मेरे शहज़ादे ! अब तो मैं सारी की सारी तुम्हारी ही हूँ !”
मैंने झट से उसके हाथ परे कर दिए। वाह !! क्या कयामत छुपा रखी थी उसने ! पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई लाल सुर्ख चूत मेरे सामने थी, बिल्कुल गोरी चिट्टी! झाँटों का नाम निशान ही नहीं, जैसे आज़ ही उसने अपनी झाँट साफ़ की हो। चूत की फ़ांकें संतरे की फ़ांकों जितनी मोटी और रस भरी। अन्दर के होंठ हल्के गुलाबी और कोफ़ी रंग के आपस में जुड़े हुए। चूत का चीरा कोई चार इन्च क गहरी पतली खाई जैसे। चूत का दाना मटर के दाने जितना बड़ा सुर्ख लाल बिल्कुल अनारदाने जैसा। गोरी जांघें संगमरमर की तरह चिकनी। दांई जांघ पर एक तिल। चूत की प्यारी पड़ोसन (गाण्ड) के दर्शन अभी नहीं हुए थे क्योंकि अनारकली अभी लेटी थी और उसके पैर भींचे हुए थे।
मैंने उसके पैरों को थोड़ा फ़ैलाया तो गाण्ड का छेद भी नज़र आया। छेद बहुत बड़ा तो नहीं पर इतना छोटा भी नहीं था, हल्के भूरे रंग का बिल्कुल सिकुड़ा हुआ चिकना चट्ट्। उस छेद की चिकनाहट देख कर मुझे हैरानी हुई कि यह छेद इतना चिकना क्यों है !
बाद में मुझे अनारकली ने बताया था कि वो पूरी तैयारी करके आई थी। उसने अपनी झाँट आज़ ही साफ़ की थी और चूत और गाण्ड दोनों पर उसने मेरी दी हुई खुशबू वाली क्रीम भी लगाई थी।
मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और अपने जलते होंठ उसकी गुलाबी चूत की फ़ांकों पर रख दिए। वो जोर जोर से सीत्कारने लगी। उसकी कुँवारी चूत की महक से मेरा तन मन सब सराबोर हो गया। एक चुम्मा लेने के बाद मैंने जीभ से उसकी अन्दर वाली फ़ांकें खोली और अपनी जीभ उसके अन्दर डाल दी।
उसने अपनी दोनों जांघें ऊपर मोड़ कर मेरे गले में कैंची की तरह डाल दी और मेरे सिर के बाल पकड़ लिए। मैं मस्त हुआ उसकी चूत चूसे चाटे जा रहा था। कोई दस मिनट तक मैंने उसकी चूत चाटी होगी। वो मस्त हुई सीत्कार किए जा रही थी और बड़बड़ा रही थी,“ मेरे शहज़ादे ! मेरे सलीम ! साहब जी ! ……”
अब उसके झड़ने का वक्त नज़दीक आ रहा था, वो जोर जोर से चिल्ला रही थी और जोर से चूसो ! और जोर से चूसो ! मज़ा आ रहा है !
मेरा लण्ड चड्डी में अपना सिर धुन रहा था। मैंने एक हाथ से उसके एक संतरे को कस कर पकड़ लिया और उसे मसलने लगा। दूसरे हाथ की तर्ज़नी उंगली से उसकी नर्म चिकनी गाण्ड का छेद टटोलने लगा। जब छेद मिल गया तो मैंने तीन काम एक साथ किए। पहला उसकी एक चूची को मसलना, दूसरा चूत को पूरा मुंह में ले कर जोर से चूसना और तीसरा अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड के छेद में डाल दी।
उसका शरीर पहले से ही अकड़ता जा रहा था, उसकी जांघें मेरे गले के गिर्द जोर से लिपटी हुई थी। उसने एक जोर की किलकारी मारी और उसके साथ ही वो झड़ गई। उसकी चूत से कोई दो चम्मच शहद जैसा खट्टा मीठा नमकीन नारियल पानी जैसे स्वाद वाला काम रस निकला जिससे मेरा मुंह भर गया। मैं उसे पूरा पी गया। फ़िर वो शांत पड़ गई। औरत को स्खलित करवाने का यह सबसे बढ़िया तरीका है, समझो ‘ राम बाण ‘ है। मधु को झड़ने में कई बार जब देर लगती है तो मैं यही नुस्खा अपनाता हूँ।
मैंने अपनी चड्डी निकाल फेंकी। मेरा शेर दहाड़े मारने लगा था। आज तो उसका जलाल देखने लायक था। ७” का मोटा गेहुंआ रंग १२० डिग्री में मुस्तैद जंग लड़ने वाले सिपाही की तरह। मैंने अनारकली से उसे प्यार करने को कहा तो वो बोली “नही आज नहीं चूस सकती !” मैंने जब इसका कारण पूछा तो वो बोली “आज मेरा शुक्रवार का व्रत है नहीं तो मैं आपको निराश नहीं करती। मैं जानती हूँ इस अमृत को पीने से आंखों की ज्योति बढ़ती है और पति की उमर, पर क्या करूं ये कुछ खट्टा सा होता है न और शुक्रवार के व्रत में खट्टा नहीं खाया पीया जाता !”
“अरे आप इन लोगों की परेशानी नहीं जानते। गरीब की लुगाई हरेक की भाभी होती है। जवान होने से पहले ही मोहल्ले, पड़ोस और रिश्तदारों के लौंडे लपाड़े तो क्या घर के लोग ही उनका यौन शोषण कर लेते हैं। चाचा, ताऊ, जीजा, फूफा यहाँ तक कि उसके सगे भाई और बाप भी कई बार तो नहीं छोड़ते हैं।” मधु ने बताया।
“पर अनारकली को तो ऐसी कोई समस्या थोड़े ही है। तुम गुलाबो को समझाने कि कोशिश क्यों नहीं करती ?” मैंने कहा।
“तुम नहीं जानते उसका बाप एक नम्बर का शराबी और चुद्दकड़ है। अनु बता रही थी कि कल उसकी मासी घर आई थी उसके बापू ने उसे पकड़ लिया था। मासी ने शोर मचा कर अपने आप को छुड़ाया। अनु डर रही थी कि कहीं उसे ही ना ….”
मैं तो सुनकर ही हक्का बक्का रह गया। एक और मैं अनारकली को चोदने के चक्कर में लगा था और दूसरी और उसका बाप ही उसकी वाट लगाने पर तुला था। अगर उसका गौना हो गया तो मेरी पिछले २ महीनों की सारी मेहनत बेकार चली जायेगी। मेरा तो मूड ही ख़राब हो गया।
गुरूजी कहते हैं “समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कभी नहीं मिलता ” पता नहीं भाग्य में कब कहाँ कैसे क्या लिखा है।
उस दिन शाम को मधु ने बताया कि उसकी मम्मी की तबियत ठीक नहीं है। भइया का फ़ोन आया था वो भी जा रहे हैं और मुझे भी जयपुर जाना पड़ेगा। अब ग्वालियर से जयपुर कोई ज्यादा दूर तो है नहीं मैंने झटपट दूसरे दिन ही उसकी रेल की टिकेट कन्फर्म करवा दी। मैंने ऑफिस में जरूरी काम का परफेक्ट बहाना बना दिया।
उसने जाते हुए अनु को मेरा ध्यान रखने को समझाया कि कब नाश्ता देना है, खाना कब देना है, क्या क्या बनाना है। बस तीन चार दिनों की बात है। मजबूरी है। किसी तरह काट लेना।
मैंने मन में भगवान का धन्यवाद किया और थोड़ी सी आशा मन में जगी कि अब अनार को अनारकली बनने का माकूल (सही) समय आ गया है।
मैंने स्टेशन पर उसे छोड़ते समय इतनी बढ़िया एक्टिंग की जैसे कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका से बिछुड़ रहा हो। अगर दिलीप कुमार उस वक्त देख लेता तो कहता मधुमती में उसकी एक्टिंग भी ऐसी नहीं थी। मधु एक बार तो बोल ही पड़ी कि “वैसे भइया तो जा ही रहे हैं तुम मेरे बिना इतने उदास हो रहे हो तो मैं जाना कैंसिल कर दूँ?”
मैं घबरा गया अच्छी एक्टिंग भी कई बार महंगी पड़ जाती है। मैंने कहा “अरे बूढा शरीर है ऐसे समय में जाना जरूरी होता है। कल को कोई ऐसी वैसी बात हो गई तो हमें जिन्दगी भर पछतावा रहेगा तुम मेरी चिंता छोडो किसी तरह ३-४ दिन तुम्हारे बिना काट ही लूँगा पर लौटने में देरी कर दी तो मुझे जरूरी काम छोड़ कर भी तुम्हे लेने आना पडेगा हनी डार्लिंग !”
आप तो जानते ही है जब मुझे मधु को गोली पिलानी होती है मैं उसे हनी कहता हूँ। मधु ने मेरी और ऐसे देखा जैसे मैं कोई शहजादा सलीम हूँ और वो अनारकली जो मुझसे दूर जा रही है।
रात अनारकली के सपनों में ही बीत गई। सुबह मुझे अनारकली की मीठी आवाज ने जगाया। वो आते ही बोली “दीदी के पहुँचने का फोन आया क्या ..??”
“क्यों हम अकेले अच्छे नहीं लगते क्या ?”
“ओह … वो ..वो .. बात नहीं …” अनारकली थोड़ा झिझकते हुए बोली “आपके लिए चाय बनाऊं ?”
“नहीं पहले मेरे पास बैठो मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है ” मैंने आज पहली बार उसे बेड पर अपने पास बैठाया।
वो हैरानी से मेरी ओर देखने लगी।
“मैंने सुना है तुम्हारी शादी हो रही है?”- मैंने पूछा।
“शादी नहीं साहब गौना हो रहा है।”
“हाँ हाँ वही ! पर तुम तो अभी बहुत छोटी हो। इतनी कम उम्र में ??”
“छोटी कहाँ हूँ ! पूरी १८ की हो गई हूँ। और फ़िर गरीब की बेटी तो घरवालों, रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों, शोहदों की नज़र में तो १०-१२ साल की भी जवान हो जाती है। हर कोई उसे लूटने खसोटने के चक्कर में रहता है।”
अनारकली ने माहौल ही संज़ीदा (गम्भीर) बना दिया। मैंने बात को अपने मतलब की ओर मोड़ते हुए कहा,“ चलो वो तो ठीक है पर तुम तो जानती हो मैं …. मेरा मतलब है मधु …. हम सभी तुम्हें कितना प्प्यऽऽ ….. चाहते हैं, तुम हम से दूर चली जाओगी” मैं हकलाता हुआ सा बोला और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। उसने हाथ छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की।
मेरा जी तो कर रहा था कि कह दूँ कि मैं भी तुम्हें चोदने के चक्कर में ही तो लगा हूं, पर कह नहीं पाया।
“हाँ साहब ! मैं जानती हूँ। आप और मधु दीदी तो मुझे बहुत चाहते हो, दीदी तो मुझे छोटी बहन की तरह मानती हैं। दुःख तो मुझे भी है पर ससुराल तो एक दिन जाना ही पड़ता है ना ! क्यों ! मैं गलत तो नहीं कह रही ?”
“ ” मैं चुप रहा।
अनारकली फ़िर बोली,“साहब आप उदास क्यों होते हो ! आपको कोई और नौकरानी मिल जाएगी।”
“पर तुम्हारे जैसी कहाँ मिलेगी !”
“क्यों ऐसा क्या है मुझ में ?”
“अरे मेरी रानी तुम नहीं जानती तुम कितनी सुन्दर हो …. म्म…. मेरा मतलब है तुम हर काम कितने सुन्दर ढंग से करती हो।”
“काम का तो ठीक है पर इतनी सुन्दर कहाँ हूँ?”
“हीरे को अपनी कीमत का पता नहीं होता, कभी मेरे जैसे ज़ोहरी की नज़रों से भी तो देखो ?”
“साहब इतने सपने ना दिखाओ कि मैं उनके टूटने का गम बर्दाश्त ही ना कर पाऊँ !”
“देखो अनारकली मैं सच कहता हूँ, तुम्हारे जाने के बाद मेरा मन बहुत उदास हो जाएगा।”
“मैं जानती हूँ साहब” अनारकली ने अपनी पलकें बंद कर ली।
लोहा गरम हो गया था, जाल बिछ गया था, अब तो बस शिकार फ़ंसने ही वाला था। मैं जबरदस्त ऐक्टिंग करते हुए बोला, “ अनार मुझे लगता है हमारा पिछले जन्म का जरूर कोई रिश्ता है। कहीं तुम पिछले जन्म में अनारकली या मधुबाला तो नहीं थी ?” मैंने पासा फ़ेंका।
मैं आगे बोलने जा ही रहा था कि ” और मैं शहज़ादा सलीम ” पर मेरे ये शब्द होंठों में ही रह गए।
अनारकली बोली,“मुझे क्या मालूम बाबूजी, आप तो मुझे सपने ही दिखा रहे हैं” अनारकली की आँखें अब भी बंद थी वो कुछ सोच रही थी।
“मैं तुम्हें कोई सपना नहीं दिखा रहा बिल्कुल सच कहता हूँ मैं तुम्हें इन दो महीनो में ही कितना चाहने लगा हूँ अगर मेरी शादी नहीं हुई होती तो मैं तुम्हें ही अपनी दुल्हन बना लेता !”
“साहब मैं तो अब भी आपकी ही हूँ !”
मेरा दिल उछलने लगा। मछली फंस गई। मेरा लंड तो इस समय कुतुब मीनार बना हुआ था। एक दम १२० डिग्री पर अगर हाथ भी लगाओ तो टन्न की आवाज आए।
मैंने उसे अपनी बाहों में भर लेना चाहा पर कुछ सोच कर केवल उसकी ठुड्डी को थोड़ा सा उठाया और अपने होंठ उसकी और बढाए ही थे कि उसने अपनी आँखें खोली और मुझे अपनी ओर बढ़ते हुए देख कर अचानक उठ खड़ी हुई। मेरा दिल धक् से रह गया कहीं मछली फिसल तो नहीं जा रही।
“नहीं मेरे शहजादे इतनी जल्दी नहीं। तुम्हारे लिए हो सकता है ये खेल हो या टाइम पास का मसाला हो पर मेरे लिए तो जिन्दगी का अनमोल पल होगा। मैं इतनी जल्दबाजी में और इस तरीके से नहीं गुजारना पसंद करुँगी ”
“प्लीज़ एक बार मेरी अनारकली बस एक बार !” मैं गिड़गिड़ाया। मैं तो अपनी किल्ली ठोक देने पर उतारू था।
पर वो बोली,“सब्र करो मेरे परवाने इतनी भी क्या जल्दी है। आज की रात को हम यादगार बनायेंगे !”
“पर रात में तुम कैसे आओगी ?? तुम्हारे घरवाले ?” मैंने अपनी आशंका बताई।
“वो मुझ पर छोड़ दो। आप नहीं जानते, जब आप टूर पर कई कई दिनों के लिए बाहर जाते हो, मैं दीदी के पास ही तो सोती हूँ मेरे घरवालों को पता है ” अनारकली ने मेरे होंठों पर अंगुली रखते हुए कहा।
मैं गुमसुम मुंह बाए वहीँ खड़ा रह गया। अनारकली चाय बनने रसोई में चली गई।
मैं सोचने लगा कहीं वो मुझे मामू (चूतिया) तो नहीं बना गई ?
ये साला सक्सेना भी एक नम्बर का गधा है। (अरे यार ! हमारा पड़ोसी !). हर सही चीज ग़लत समय पर करेगा। रात को ११ बजे भजन सुनेगा और सुबह सुबह फरीदा खानम की ग़ज़ल। अब भी उसके फ्लैट (हमारे बगलवाले) से डेक पर सुन रहा है_
यूँ ही पहलू में बैठे रहो !
आज …. जाने की जिद ना ….करो !!
पर आज मुझे लगा कि उसने सही गाना सही वक्त पर लगाया है।
आज शुक्रवार का दिन था। ऑफिस में कोई ख़ास काम नहीं था। मैंने छुट्टी मार ली। दिन में अनारकली के लिए कुछ शोपिंग की। मेरा पप्पू तो टस से मस ही नहीं हो रहा था रात के इन्तजार में। एक बार तो मन किया की मुठ ही मार लूँ पर बाद में किसी तरह पप्पू को समझाया “थोड़ा सब्र करना सीखो ”
रात कोई १०.३० बजे अनारकली चुपचाप बिना कॉल बेल दबाये अन्दर आ गई और दरवाजा बंद कर दिया। मैं तो ड्राइंग रूम में उसका इन्तजार ही कर रहा था। एक भीनी सी कुंवारी खुशबू से सारा ड्राइंग रूम भर उठा।
उसके आते ही मैं दौड़ कर उससे लिपट गया और दो तीन चुम्बन उसके गालों होंठो पर तड़ा तड़ ले लिए। वो घबराई सी मुझे बस देखती ही रह गई।
“ओह .. फिर उतावलापन मेरे शहजादे हमारे पास सारी रात पड़ी है जल्दी क्या है ?”
“मेरी अनारकली अब मुझसे तुम्हारी ये दूरी सहन नहीं होती !”
“पहले बेडरूम में तो चलो !”
मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेडरूम में आ गया। अब मेरा ध्यान उसकी ओर गया। पटियाला सूट पहने, बालों में पंजाबी परांदा (फूलों वाली चोटी), होंठों पर सुर्ख लाली। मैं तो बस उसे देखता ही रह गया। सूट में टाइट कसे हुए उसके उन्नत उरोज पतली कमर, मोटे नितम्ब मैं अपने आप को काबू में कहाँ रख पाता। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसने भी अपनी आँखें बंद कर ली।
“मेरी अनारकली !”
“हाँ मेरे शहजादे !”
“मुझे तो विश्वास ही नहीं था कि तुम आओगी। मुझे तो लग रहा है कि मैं अब भी सपना देख रहा हूँ !”
“नहीं मेरे शहजादे ! ये ख्वाब नहीं हकीकत है। ख्वाब तो मेरे लिए हैं !”
“वो क्यों ?”
“मेरा मन डर रहा है कहीं तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे। अनारकली कि किस्मत में तो दीवार में चिनना ही लिखा होता है !”
“नहीं मेरी अनारकली मै तुमसे प्यार करता हूँ तुम्हें कैसे धोखा दे सकता हूँ ” मैंने कह तो दिया पर बाद में सोचा अगर उसने पूछ लिया क्या मधु के साथ ये धोखा नहीं है तो मेरे पास कोई जवाब नहीं होगा। मैंने उससे कहा “अनारकली मैं शादी शुदा हूँ अपनी बीवी को तो नहीं छोड़ सकता पर तुम्हें भी उतना ही प्यार करता रहूँगा जितना मधु से करता हूँ। ”
“मुझे यकीन है मेरे शहजादे !”
अनु जिस तरीके से बोल रही थी मैं सोच रहा था कहीं अनारकली सचमुच ‘मुग़ल-ऐ-आज़म’ तो नहीं देख कर आई है।
अब देरी करना कहाँ की समझदारी थी। मैंने पूरा नाटक करते हुए पास पड़ी एक छोटी सी डिबिया उठाई और उसमें से एक नेकलेस (सोने का) निकाला और अनारकली के गले में डाल दिया। (इस मस्त हिरणी क़यामत के लिए ५-१० हज़ार रुपये की क्या परवाह थी मुझे)
अनारकली तो उसे देखकर झूम ही उठी और पहली बार उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर चूम लिए। मैंने उसके कपड़े उतार दिए और अपना भी कुरता पाजामा उतार दिया।
उसने लाइट बंद करने को कहा तो मैंने मना कर दिया। हमारे प्यार का भी तो कोई गवाह होना चाहिए। वो बड़ी मुश्किल से मानी।
मैं सिर्फ़ चड्डी में था। अनारकली ब्रा और पैन्टी में। ये वोही ब्रा और पैन्टी थी जो मैंने उसे १०-१५ दिन पहले लाकर दी थी। वो पूरी तैयारी करके आई थी।
मैं तो उसका बदन देखता ही रह गया। मैंने उसे बाहों में भर लिया और ब्रा के हुक खोल दिए …..
एक दम मस्त कबूतर छलक कर बाहर आ गए, गोरे गोरे छोटे नाज़ुक मुलायम ! एरोला कोई १.५ या २ इन्च का गहरे गुलाबी रंग के चुचूक मटर के दाने जितने।
मैंने उनको मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। वो ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करने लगी। मैं एक हाथ से एक अनार दबा रहा था और उसके नितम्बों पर कभी पीठ पर घुमा रहा था। उसके हाथ मेरे सिर पर और पीठ पर घूम रहे थे। कोई दस मिनट तक मैंने उसके स्तनों को चूसा होगा। अब मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। उसने शर्म के मारे अपने हाथ चूत पर रख लिए।
मैंने कहा- “मेरी रानी ! हाथ हटाओ !”
तो वो बोली- “मुझे शर्म आती है !”
मैंने कहा,“ अगर शर्म आती है तो अपने हाथ अपनी आँखों पर रखो, इस प्यारी चीज़ पर नहीं, अब इस पर तुम्हारा कोई हक नहीं रहा। अब यह मेरी हो गई है !”
“हाँ मेरे शहज़ादे ! अब तो मैं सारी की सारी तुम्हारी ही हूँ !”
मैंने झट से उसके हाथ परे कर दिए। वाह !! क्या कयामत छुपा रखी थी उसने ! पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई लाल सुर्ख चूत मेरे सामने थी, बिल्कुल गोरी चिट्टी! झाँटों का नाम निशान ही नहीं, जैसे आज़ ही उसने अपनी झाँट साफ़ की हो। चूत की फ़ांकें संतरे की फ़ांकों जितनी मोटी और रस भरी। अन्दर के होंठ हल्के गुलाबी और कोफ़ी रंग के आपस में जुड़े हुए। चूत का चीरा कोई चार इन्च क गहरी पतली खाई जैसे। चूत का दाना मटर के दाने जितना बड़ा सुर्ख लाल बिल्कुल अनारदाने जैसा। गोरी जांघें संगमरमर की तरह चिकनी। दांई जांघ पर एक तिल। चूत की प्यारी पड़ोसन (गाण्ड) के दर्शन अभी नहीं हुए थे क्योंकि अनारकली अभी लेटी थी और उसके पैर भींचे हुए थे।
मैंने उसके पैरों को थोड़ा फ़ैलाया तो गाण्ड का छेद भी नज़र आया। छेद बहुत बड़ा तो नहीं पर इतना छोटा भी नहीं था, हल्के भूरे रंग का बिल्कुल सिकुड़ा हुआ चिकना चट्ट्। उस छेद की चिकनाहट देख कर मुझे हैरानी हुई कि यह छेद इतना चिकना क्यों है !
बाद में मुझे अनारकली ने बताया था कि वो पूरी तैयारी करके आई थी। उसने अपनी झाँट आज़ ही साफ़ की थी और चूत और गाण्ड दोनों पर उसने मेरी दी हुई खुशबू वाली क्रीम भी लगाई थी।
मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और अपने जलते होंठ उसकी गुलाबी चूत की फ़ांकों पर रख दिए। वो जोर जोर से सीत्कारने लगी। उसकी कुँवारी चूत की महक से मेरा तन मन सब सराबोर हो गया। एक चुम्मा लेने के बाद मैंने जीभ से उसकी अन्दर वाली फ़ांकें खोली और अपनी जीभ उसके अन्दर डाल दी।
उसने अपनी दोनों जांघें ऊपर मोड़ कर मेरे गले में कैंची की तरह डाल दी और मेरे सिर के बाल पकड़ लिए। मैं मस्त हुआ उसकी चूत चूसे चाटे जा रहा था। कोई दस मिनट तक मैंने उसकी चूत चाटी होगी। वो मस्त हुई सीत्कार किए जा रही थी और बड़बड़ा रही थी,“ मेरे शहज़ादे ! मेरे सलीम ! साहब जी ! ……”
अब उसके झड़ने का वक्त नज़दीक आ रहा था, वो जोर जोर से चिल्ला रही थी और जोर से चूसो ! और जोर से चूसो ! मज़ा आ रहा है !
मेरा लण्ड चड्डी में अपना सिर धुन रहा था। मैंने एक हाथ से उसके एक संतरे को कस कर पकड़ लिया और उसे मसलने लगा। दूसरे हाथ की तर्ज़नी उंगली से उसकी नर्म चिकनी गाण्ड का छेद टटोलने लगा। जब छेद मिल गया तो मैंने तीन काम एक साथ किए। पहला उसकी एक चूची को मसलना, दूसरा चूत को पूरा मुंह में ले कर जोर से चूसना और तीसरा अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड के छेद में डाल दी।
उसका शरीर पहले से ही अकड़ता जा रहा था, उसकी जांघें मेरे गले के गिर्द जोर से लिपटी हुई थी। उसने एक जोर की किलकारी मारी और उसके साथ ही वो झड़ गई। उसकी चूत से कोई दो चम्मच शहद जैसा खट्टा मीठा नमकीन नारियल पानी जैसे स्वाद वाला काम रस निकला जिससे मेरा मुंह भर गया। मैं उसे पूरा पी गया। फ़िर वो शांत पड़ गई। औरत को स्खलित करवाने का यह सबसे बढ़िया तरीका है, समझो ‘ राम बाण ‘ है। मधु को झड़ने में कई बार जब देर लगती है तो मैं यही नुस्खा अपनाता हूँ।
मैंने अपनी चड्डी निकाल फेंकी। मेरा शेर दहाड़े मारने लगा था। आज तो उसका जलाल देखने लायक था। ७” का मोटा गेहुंआ रंग १२० डिग्री में मुस्तैद जंग लड़ने वाले सिपाही की तरह। मैंने अनारकली से उसे प्यार करने को कहा तो वो बोली “नही आज नहीं चूस सकती !” मैंने जब इसका कारण पूछा तो वो बोली “आज मेरा शुक्रवार का व्रत है नहीं तो मैं आपको निराश नहीं करती। मैं जानती हूँ इस अमृत को पीने से आंखों की ज्योति बढ़ती है और पति की उमर, पर क्या करूं ये कुछ खट्टा सा होता है न और शुक्रवार के व्रत में खट्टा नहीं खाया पीया जाता !”