Rishton mai Chudai - परिवार - SexBaba
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desiaks

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Aug 28, 2015
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मेरा नाम राहुल है और मैं अभी मात्र 16 साल का हु मेरी लंबाई साढ़े5 फिट है रंग गोरा है । मेरे घर मे सभी लोग है केवल पिता जी को छोड़ कर पिता जी आर्मी में थे तो एक लड़ाई में वो सहीद हो गए । हम बहुत अमीर तो नही और न ही गरीब है माध्मयवर्गीय परिवार है । मेरे पापा के गुजर जाने के बाद घर की पूरी जिमेदारी चाचा के ऊपर आ गयी थी । चाचा खेतो में काम करते थे और मैं भी अपनी पढ़ाई से जब भी फुर्सत मिलती थी तो चाचा के साथ खेतो में उनका हाथ बटा दिया करता था। मेरे और कोई भाई तो नही था लेकिन मुझसे बड़ी एक बहन थी जिसका नाम सुवर्णा था ।जैसा उसका नाम वैसी ही उसकी रंगत भी थी । पूरे गांव में उंसके जितनी सुंदर कोई भी नही थी । ना जाने कितने ही लड़के उंसके रूप पर फिदा हो कर उंसके हाथो से पिट चुके थे। क्यूंकि वह किसी भी लड़के को भाव नही देती थी।
घर के लोगो से परिचय कर लेते है
इंदुमती देवी : मेरी माँ पिता जी जल्द ही सहीद हो जाने के कारण इनकी शादी शुदा जिंदगी ज्यादा अच्छी नही रही । मा की उम्र 40 साल थी गांव में जल्दी सादी हो जाती है जिसके कारण इनकी भी जल्दी ही हो गयी।
वसन्त कुमार : चाचा इनकी उम्र 42 साल है ये पिता जी मर जाने के बाद घर की जिम्मेदारी उठाते उठाते अपने उम्र से ज्यादा के दिखते थे।
रजनी चाची इनकी 3 लड़कियां है लेकिन इन्हें देख कर कोई भी नही कह सकता कि ये 3 लड़कियो की माँ होगी। मुझे इनकी गांड सबसे ज्यादा पसंद है जब भी मुझे मौका मिलता है मैं तब तब देखता हूं।
सुवर्णा पूरे गांव में इनकी जितनी सुंदर और कोई भी लड़की नही है । इनकी उम्र 19 साल है और इनकी फिगर 34 36 36 थी ।जब भी वह अपनी गांड मटका कर चलती थी जवान तो जवान बूढ़े भी इन्हें चोदने का ख्वाब देखते थे ।
चंचल चाचा की बड़ी लड़की और सुवर्णा दीदी की परछाई उनकी जितनी सुंदर तो नही लेकिन कम भी नही थी।ये दीदी से 3 महीने छोटी थीं । इनकी भी फिगर दीदी की तरह थी ।
रूपा चाचा की दूसरी लड़की और मूझसे 2 साल भर बड़ी थी । इनका रंग थोड़ी सावली थी लेकिन फिर भी यह सुंदरता में अपनी दोनों बड़ी बहनों से कम नही थी।
कोमल चाचा की तीसरी लड़की और मुझसे 6 महीने बड़ी थी ।ये कुछ देख नही सकती थी क्यूंकि बचपन मे मैं एक बार कांटो में गिर गया था मुझे बचाने के लिए ये खुद की परवाह नही करते हुए मुझे बचाने की कोशिश की जिनमे इनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गयी ।
राहुल मैं खुद मेरी उम्र 16 साल थी ।मेरा पूरा सरीर तो बड़ा हो गया था लेकिन उस हादसे में जंहा दीदी की आंखों की रोशनी चली गयी थी।वही मेरे लण्ड की एक नस में कांटा धस जाने के उसका विकास रुक गया ।जिस वक्त मेरे साथ यह हादसा हुआ तो मेरी उम्र 5 साल की थी तो आज भी मेरा लण्ड छोटे बच्चे की तरह था ।गांव के सभी लड़के मुझे चिढाते थे।
मैं अपने घर के बाहर खाट डालकर सोया हुआ था । माँ मुझे खाना देकर गयी और खाने को बोलकर चली गयी चाची और वह दोनों आपस मे बाते कर रही थी।
चाची "दीदी मुझे तो राहुल की बहुत ही चिंता होती है और उससे भी ज्यादा इस बात की चिंता रहती की हमारे बाद हमारे वंश को चलाने वाला कोई भी नही रहेगा।"
माँ "हा छोटी बोल तो तू सही रही है मैं भी कई डॉक्टर को दिखा चुकी उसे लेकिन किसी भी इलाज का कोई असर नही पडा।"
चाची " दीदी इस बार जब गांव गयी थी तो माँ एक वैध के बारे बता रही थी कि अगर उससे हम राहुल का इलाज कराए तो जरूर फायदा होगा।"
माँ "अगर ऐसा है तो हम कल ही राहुल के साथ तुम्हारे गांव चलते है और वैध जी को भी दिखा लेंगे।
 
चाची " दीदी आप बोल तो बिल्कुल ठीक रही हो ।मुझे भी बहुत दिनों से मैं भी सोच रही हु की माँ से मिल लू क्यूंकि माँ की तबियत भी आज कल ठीक नही रहती है और वैसे भी उस वैध जी के बारे में सिर्फ माँ ही जानती है तो इसके लिए भी हमे माँ से जल्द ही मुलाकात कर लेनी चाहिए।"
माँ "ठीक है तो तुम देवर जी से आज ही परमिशन ले लेना।"
चाची "क्या दीदी आप तो जानती ही हो कि उनसे कोई बात मनवानी हो तो उसके लिए मुझे कुछ नही करना बल्कि उसके लिए आपको अपनी टांगो की बीच की जगह खोलनी पड़ेगी ।"
माँ " तू तो जानती है कि इस वक्त मैं साफ नही हु इसलिए मैं तो नही कर सकती इसलिए इस बार तो यह तुम्हे ही करनी होगी ।"
चाची " ठीक है मैं कर लुंगी आप इसकी बिल्कुल भी चिन्ता ना करे।
पीछे चंचल खड़ी हो कर इन लोगो की बाते सुन रही थी ।जब वह यह सुनती है कि आज बड़ी माँ की चुदाई नही होगी तो वह यह बात बताने के लिए सुवर्णा के पास चली जाती है जो इस वक्त उसी का इंतजार कर रही थी। चंचल उंसके पास पहुचती है और बोलती है कि
चंचल "दीदी आप शर्त हार गई ।आज बड़ी माँ की चुदाई नही होगी बल्कि आज माँ जा रही है पापा के पास।"
सुवर्णा "तुझे कैसे पता कि आज कौन जाएगी ।क्या चाची ने आकर बोला तुझे ।
चंचल "क्या दीदी आप भी किस रण्डी की बात को लेकर बैठ गयी ।उसकी बस में रहे तो वह हमें जिंदगी भर यही बैठा कर रखे। मेरे साथ कि जितनी भी लडकिया है सभी लण्ड का स्वाद ले चुकी है ।एक हम है जो आज तक सिर्फ दूर से देखते आ रहे है ।"
सुवर्णा "तू चिंता क्यों करती है आजा आज भी मैं तेरी बुर को चाट देती हूं और तू मेरी चाट देना ।जब हम दोनों है तो तीसरे की क्या जरुरत है ।"
चंचल "दीदी इस तरह से तो हमारी बुर की आग कुछ देर के लिए शांत जरूर हो जाती है ।लेकिन जब तक बुर में लण्ड डाल कर कोई कस कर चुदाई ना कर दे तब तक मजा नही आता।"
सुवर्णा "हा मैं जानती हूं कितना दम है इन लड़को में ।क्या नाम था तेरे प्रेमी का जिससे तू चुदने वाली थी एक तो उसका लण्ड भी छोटा था और जब तूने उंसके लण्ड को लेकर मुह चूसी तो वह 1 मिनट में झड़ गया बाद में मैंने ही तेरी चूत को चाट कर तुझे ठंडा की थी ।गांव के सारे लड़के हर समय बस मुठ मारते रहते है ।याद है ना जब मैं अपनी सहेली रमा से मिलने गयी थी तो कैसे उसका बाप मेरी चुचियो को घूर रहा था।"
चंचल "अब उसकी भी क्या गलती दीदी जब आप अपने इस पहाड़ को सही से सम्भल कर नही रखोगी तो लोग घूरेंगे ही ना।'
इतना बोल कर चंचल उसकी चुचियो को दबाने लगती है और साथ मे उंसके होठो पर अपने होठ रख देती है ।कुछ देर तक ऐसे ही दोनों एक दूसरे के चुचियो को बुरी तरह मसलती है और साथ मे एक दूसरे को होठो को चुस्ती भी रहती है । करीब 5 मिनट तक ऐसे ही दोनों एक दूसरे के सरीर के साथ खेलती रहती है ।
 
फिर सुवर्णा बोलती है कि रण्डी रुक जा तुझे मौका मिला कि नही तुरन्त सुरु हो जाती है । तेरी इन्ही हरकतों की वजह से हम कितनी बार पकड़ाने से बच गए है ।बस इतना ही सुनी या ओर भी कुछ ।क्यूंकि जब कोई बात मनवानी हो तभी वो लोग चाचा के ऊपर खुस होती है ।
इसपर चंचल बोलती है कि
चंचल "हा दीदी आप बिलकुल ठीक समझी हो ।वह लोग काल चाची के मायके जाने की तैयारी कर रही है।"
सुवर्णा "लेकिन किस लिए वो भी अचानक तेरी नानी की तबियत तो ठीक है ना"
चंचल "दीदी नानी की तबियत बिल्कुल ठीक है माँ और बड़ी माँ राहुल को लेकर एक वैध के पास जा रही है ।जिसके बारे में नानी ने मा को बताया और माँ ने बड़ी माँ को तो इसलिए कल माँ और बड़ी माँ के साथ राहुल भी जा रहा है।"
सुवर्णा " भगवान करे कि इस बार उस वैध की दवा काम कर जाए ।उस हादशे के बाद एक बहन ने अपनी आंखें खो दी और हमारे एकलौते भाई के साथ ऐसा हादसा हुआ कि उसका पूरा जीवन ही बेकार हो गया। तुझे तो पता ही है कि गांव के सारी लडकिया हमारे भाई को हिजड़ा कहती है तो मुझे कितना बुरा लगता है ।"
चंचल "हा दीदी आप बिलकुल ठीक बोल रही हो गांव की लड़कियां ही नही बल्कि पूरा गांव उसे हिजड़ा बोलता है जब भी मैं यह सुनती हो मेरे मन मे बस एक ही ख्याल आता है कि मैं इन सबकी मुह तोड़ दु।"
सुवर्णा "सोच जब हमें यह सब बातें सुनकर इतना बुरा लगता है तो उस बेचारे के ऊपर क्या बीतता होगा ।"
चंचल "आप बोल तो बिल्कुल ठीक रही हो । जानती हो दीदी मेरा हमेशा से एक ख्वाब था कि मेरी सील मेरा भाई ही तोड़े मैंने बहुत दिनों तक इंतजार की लेकिन जब उम्मीद नही रही तो एक लड़के से दोस्ती की लेकिन उस लड़के में इतना दम नही था कि वह किसी लड़की की चोद सके ।लेकिन अगर इस बार भाई का इलाज कामयाब रहा तो मैं अपना सपना जरूर पूरा कर पाऊंगी।"
सुवर्णा " तुमने तो अपनी उम्मीद खो कर एक दूसरे लड़के के साथ वह सब कुछ करने को तैयार हो गई जो सपना तूने अपने भाई के साथ करने का देख रखा था। लेकिन मुझे देख ले मैंने आज तक उस नजर से तेरे सिवा किसी और को देखा तक नहीं। मैं तुझसे इतना खुलकर बात करती हूं तो इसका मतलब यह मत समझ लेना कि मेरा चक्कर बाहर भी चलता है।"
चंचल " दीदी आपको सफाई देने की कोई भी जरूरत नहीं है मैं तो आपकी परछाई भला परछाई से भी कोई बात छुप सकती है। इसीलिए तो मैंने भी उस लड़के के बाद किसी और की तरफ कभी भी नहीं देखा क्योंकि जिस उम्मीद पर आप जी रहे हैं उसी उम्मीद पर अब मैं भी हूं।
सुवर्णा " वैसे तुझे क्या लगता है इस बार भाई का इलाज सही से हो पाएगा।
इधर चाची चाचा से चुदाई करा लेने के बाद उनके लण्ड को अपने हाथों में पकड़ कर फिर से हिला रही थी।लेकिन चाचा में अब हिम्मत नही बची थी कि अब वह एक औऱ बार कर सके इसलिए वो चाची से बोलते है कि
चाचा " अब तुम मुझे छोड़ दो मुझ में इतनी ताकत नहीं है कि मैं तेरी एक बार और चुदाई कर सकूं। तेरी शरीर की गर्मी तो दिन पर दिन बढ़ती जा रही है लगता है तेरी यह चुदाई की भूख अब एक लण्ड से शांत नही होने वाली है । वैसे इस मेहरबानी की वजह मैं पूछ सकता हूं क्योंकि जहां तक मैं तुझे जानता हूं तू बिना मतलब के शूज मुझे हाथ भी नहीं लगाने देती है अब बता तुझे क्या चाहिए जल्दी बोल मुझे सोना भी है क्योंकि कल खेतों में काम कुछ ज्यादा ही है।"
चाची " मुझे आपसे रुपए पैसे नहीं चाहिए मुझे तो आपसे बस एक परमिशन लेनी थी।"
चाचा " कैसी परमिशन लेनी है तुझे कहीं कोई दूसरा तो पसंद नहीं आ गया जिसके साथ तू चुदाई करने के लिए परमिशन लेने आ गई।"
चाची " आप क्या अपनी तरह समझ लिए हो कि औरत देखी नही और कुत्ते की तरह लार टपकाना चालू ।मैं और दीदी कल मेरे मायके माँ से मिलने जाना चाहती है ।"
चाचा "कही तरी माँ ऊपर तो नही जाने वाली है जो उनसे मिलने के लिए तुम दोनों जाना चाहती हो।"
चाची "नही ऐसी कोई बात नही है ।माँ ने एक वैध के बारे में बताया था बस उंसके पास राहुल को दिखाने के लिए ले जाना चाहती हूँ। मा बताती है कि वंहा पर जड़ी बूटियों से इलाज होता है । तो माँ ने कहा था कि एक बार तू भी राहुल को ले जाकर दिखा ले।"
चाचा "जब सहर के बड़े बड़े डॉक्टर कुछ नही कर पाए तो इसकी क्या गैरन्टी है कि वंहा पर ठीक हो जाएगा।"
चाची "माँ बताती है कि वंहा पर ऐसे ऐसे लोग जाकर ठीक हो गए जिनको डॉक्टर ने बचने की उम्मीद छोड़ दी थी ।"
चाचा "अगर ऐसी बात है मैं तो यही कहूंगा कि सिर्फ राहुल को ही नही बल्कि उसके साथ कोमल को भी दिखा दो।वैसे भी जब तक सुबह उठ कर राहुल कोमल का चेहरा नही देखता तब तक किसी की तरफ नही देखता और कोमल भी उंसके बिना एक पल भी नही रह पाती है ।'"
चाची "आपकी बात तो बिल्कुल ठीक बोल रहे है ।क्या पता वहां के इलाज से कोमल को भी फायदा हो जाये ।ठीक है तब कल मैं और दीदी उन दोनों को लेकर चली जाती हूं।"
चाचा "दोनों की जाने की क्या जरूरत है ।तुम लेकर चली जाओ ।"
चाची "मैं लेकर तो चली जाउंगी लेकिन आप जिस उम्मीद में बोल रहे है ।वह पूरा नही होगा क्यूंकि दीदी इस समय छूटी पर है ।
 
चाचा " तो उन्ही को लेकर जाने दे ना तू तो रुक जा।
चाची "नही हम दोनों कोमल और राहुल कल मेरे मायके जा रहे बोल दिया ना बस और कोई बहस नही करनी मुझे इस बारे में ।वैसे भी आपको क्या कमी है घर पर नही तो बाहर कही चले जाइयेगा।
चाचा "ठीक है जैसी तेरी मर्जी तू जाना चाहती।मुझे भी कुछ दिनों के लिए छुटी मिलेगी।
चाची "जैसी तुम्हारी मर्जी लेकिन एक बात का ध्यान रखना जो तुम आज कल कर रहे हो इस बारे मे मैं ही नही बल्कि बड़ी दीदी भी जानती है । उन्होंने कहा है कि तुम चिंता मत करो जल्द ही तुम्हारा सपना जरूर पूरा होगा।इसलिए तुम कोई ऐसी वैसी हरकत मत कर देना ।"
चाचा " तुम कहना क्या चाहती हो क्या बात है समझ में नहीं आ रहा है। तुम जो कुछ भी कहना चाहती हो खुल कर कहो।"
चाची "सुनो अगर साफ सब्दो में कहु तो तुम जो आज कल सुवर्णा और चंचल को चोदने के चक्कर मे वह बात हम दोनों को पता है । इसलिए दीदी नही चाहती कि तुम्हारी गलती की सजा हमको गांव में अपनी इज्जत से चुकानी पड़ी समझे।
चाची की बाते सुनकर चाचा इधर उधर देखने लगते है। उन्हें कुछ जवाब नही सूझता है।इसके बाद वो दोनों आराम से सो जाते है ।
सुबह जब मेरी नीद खुलती है तो रोज की तरह मैं पहले कोमल दीदी खोजने लगता हूँ। उधर कोमल दीदी को जब इस बात का एहसास होता है कि मैं सो कर उठ गया हूं। वो भी मुझे खोजते हुए वहां पर चली आती जंहा पर मैं उन्हें खोजते हुए बैठा था। कोमल दीदी जब मेरे पास आती और बोलती है कि
कोमल" मैने तुझे कितनी बार समझाया कि अपनी आदत छोड़ दे ।अगर किसी दिन मैं नही रही तो तू क्या करेगा।"
मैं "दीदी आप भी जानती हो कि जब तक मैं आपका चहेरा नही देख लेता तब तक मैं किसी और को नही देखता हूं और आप ये बार बार क्यों बोलती है कि अगर आप नही रहोगी तो मैं क्या करूँगा।"
कोमल "तू समझता क्यों नही मेरी बात कल को तेरी शादी होगी तो तेरी बीवी बुरा नही मानेगी।"
मैं "दीदी यह बात आप भी जानती हो कि मेरी क्या हालत है ।इस हालत में कोई भी लड़की मुझसे क्यों शादी करेगी ।
अभी इन दोनों की बाते चल ही रही थी कि पीछे से माँ बोलती है कि
माँ "बेटा अब तुझे ज्यादा चिंता करने की कोई जरूरत नही है ।तेरी चाची की माँ ने हमे एक वैध के बारे बताया है । जंहा पर हम तुम दोनों के इलाज के लिए आज लेकर जाने वाले है ।भगवान ने चाहा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।"
मैं "माँ आप दीदी को लेकर जाओ मुझे कोई दवा नही करानी है ।मैं नही चाहता कि फिर से कोई मेरा मजाक उड़ाए।"
कोमल "तू क्या समझता है कि अगर तू नही गया तो मैं तेरे बिना चली जाउंगी ।अगर तू यह सोच रहा है तो गलत सोच रहा है ।जाएंगे तो दोनों साथ वरना मुझे भी नही जाना है ।
माँ "तुम दोनो आपस मे तय कर के 1 घण्टे में तैयार रहना ।हमे आज ही निकलना है ।
इतना बोल कर माँ चली जाती है ।फिर कुछ देर मैं दीदी को जाने के लिए मनाता रहता हूं लेकिन जब वह किसी भी तरह से मानने को तैयार नही होती है तो लास्ट मे मैं भी चलने के लिए तैयार हो जाता हूं ।इसके बाद 1 घण्टे बाद मा और चाची दोनो तैयार हो कर मेरे पास आती है ।मैं भी उनके साथ दीदी के रूम की तरफ चल देता हूं ।जंहा रूपा दीदी कोमल दीदी को तैयार कर चुकी थी ।रूपा दीदी ने बचपन से कोमल दीदी को बहन कि तरह नही बल्कि एक माँ की तरह देख भाल की थी ।जैसे कोमल दीदी की जान मेरे बस्ती थी वैसे ही रूपा दीदी की जान कोमल में बसती थी । रूपा दीदी मुझे देखती है तो बोलती है कि
रूपा "देख कोमल को सिर्फ तेरे भरोशे भेज रही हूँ ।जैसे तू लेकर जा रहा वैसे ही लेकर आना अगर इसे कुछ भी हुआ तो तू जानता है ना कि मैं तेरे साथ क्या करूँगी।"
कोमल "दीदी आप इतना चिंता क्यों कर रही है मैं कोई हमेशा के लिए तो नही जा रही हु ना बस हम दोनों दवा लेंगे और 2 या 3 दिनों में वापस घर आ जाएंगे ।आप बिलकुल भी चिंता ना करे ।फिर मेरे साथ माँ और बड़ी माँ भी तो होगी ना ।'"
 
मैं " दीदी आप बिलकुल भी चिंता मत कीजिये । मैं जैसे लेकर जा रहा हूं वैसे ही लेकर भी आऊंगा।
इसके बाद रूपा दीदी फिर शांत हो जाती है और हम सभी लोग नानी से मिलने उनके घर चल देते है ।गांव मे जितने भी लोग मिले सभी ने मा से यही बोला कि अगर आप इसका इलाज कराने के लिए ले कर जा रही हो तो बेकार है ।कोमल दीदी सब कुछ बर्दाश्त कर लेती थी लेकिन अगर कोई मुझे कुछ कहता था वो बर्दाश्त नही कर पाती थी । जब चाची ने सुना कि वह मुझे उल्टा सीधा बोल रहा है तो कोमल दीदी के हाथों को पकड़ लेती है ।ताकि कोमल दीदी उन्हें कुछ भी नही कर पाए। उन सबकी तानो को सुनते हुए मैं अपनी गर्दन नीचे कि0ये हुए आगे बढ़ गया ।लेकिन मुझे इस तरह से तेजी में जाते हुए महशुश करके कोमल दीदी की आंखों से आँशु बहने से रोक नही पाती है।
माँ कोमल को इस तरह रोते हुए देख कर बोलती है कि
माँ "बेटी तू अपने दिल को छोटा मत कर भगवान ने चाहा तो इस बार सब ठीक होगा।"
कोमल "माँ मुझे एक बात समझ मे नही आती है कि गांव वालों को इस तरह से मेरे भाई को परेशान करके क्या मिल जाता है ।जब देखो तब वो सब मेरे भाई के पीछे पड़े रहते है।"
चाची "तू चिंता मत कर इस बार सब ठीक ही होगा।मेरा दिल कह रहा है कि इस बार तुम दोनों का इलाज सही से होगा।"
इसी तरह से माँ दीदी को समझाते हुए बस स्टैंड तक चली गयी ।जंहा से चाची के गांव जाने के लिए बस मिलती है।फिर हम सभी लोग चाची के गांव के लिए चल देते है। चाचा ने सुबह ही फोन करके बता दिया था कि हम लोग उनके यंहा पर आ रहे है ।तो हमे लेने के लिए चाची के छोटे भाई जिनका नाम संजय है वह लेने के लिए आये हुए थे।
कुछ नए लोगो से इंट्रो करा दु आप लोग का
चंद्रावती उम्र 62 साल चाची की माँ ।इनको भी थोड़ी बहुत बुटी की जनकारी है।इसलिए गांव के सभी लीग इनके यंहा पर इलाज के लिए भी आते है ।
संजय उम्र 38 साल चाची से 1साल छोटे है ।यह सामान्य कद काठी के व्यक्ति है औऱ यह भी खेती करके ही अपने जीवन यापन करते है ।
चंदा संजय मामा की पत्नी इनकी ऐज 35 साल की थी ।इनकी गांड तो ज्यादा नही निकली है लेकिन चुचिया किसी पहाड़ से कम नही थी । औऱ घर के सारे काम यही करती है लेकिन इन सबके बावजूद इनकी खूबसूरती पर थोड़ी सी भी असर नही पड़ी थी वरन उंसके उल्टे दिन पर दिन यह और भी ज्यादा खूबसूरत हो गयी है।मैं जब भी उनके यंहा पर जाता तो यह मेरे साथ खूब मस्ती करती थी ।लेकिन सबकी तरह इन्होंने कभी भी मेरा मजाक नही उड़ाया था ।इसलिए मैं बहुत खुश था वहां जाने पर ।
रूबी "माँ की इकलौती लड़की और यह खूबसूरती में अपनी माँ से एक दम बढ़ कर थी ।लेकिन इसका गुस्सा हमेशा उसकी नाक और ही रहता था ।यह गुस्सा तब ओर भी ज्यादा बढ़ जाता था जब कोई भी इसके सामने कोमल दीदी को कुछ भी कह दे ।यानी कि रूपा दीदी की परछाई थी
बिल्कुल।
हम सब जब वंहा पर बस से पहुचे तो हमे वंहा पर जाने में केवल 2 घण्टे ही लगे इसलिए हम लोग दोपहर होते होते वंहा पर पहुच गए । वंहा पहुचने पर मैंने जाकर मामा के पांव छुए तो उन्होंने आगे आकर मुझे गले से लगा लिया ।मामा कभी भी मुझको अपने पैर को नही छूने नही देते थे ।वे पुराने रीति रिवाजों को बहुत मानते थे ।
संजय मामा "भांजे आ गए तुम ।तुम्हे तो जल्दी अपने इस मामा की याद भी नही आती है और बाकी के सभी लोग कंहा पर है जीजा जी का फोन आया तो वी बोले थे कि दोनों दीदी ओर कोमल भी तेरे साथ आये है लेकिन वे सब तो कही पर नजर ही नही आ रहे है ।"
तभी चाची पीछे से बोलती है कि
चाची "आये तो सभी लोग है लेकिन तुझे तो पहले अपने भांजे से ही मिलना है तो कोई क्या कर सकता है। तुझे उंसके सिवा और कोई दिखाई दे तब ना देखो।"
मामा "नही दीदी ऐसी कोई बात नही है बस आज भांजे से बहुत दिनों बाद मिला ना इसलिए ।और बताओ दीदी आने में कोई तकलीफ नही हुई ना।"
चाची "नही कोई तकलीफ नही हुई बस से आये है ना । तू बता घर पर सब ठीक तो है ना ।"
संजय मामा "दीदी घर पर सब ठीक है ।लेकिन मेरी समझ मे एक बात नही आई कि आज आप सभी लोग अचानक बिना बताए आ गए कोई खास बात है क्या।"
माँ "बिना बताए का क्या मतलब है ।देवर जी ने सुबह ही मेरे सामने तुमसे बात तो की थी ना और क्या हम लोग ऐसे नही आ सकते है क्या ।देख रही है ना छोटी तेरा भाई क्या बोल रहा है।"
चाची "मैं क्या देखु दीदी आप दोनों के बीच की बात है इसे आप लोग ही समझे ।वैसे भी यह मुझसे ज्यादा तो आपकी इज्जत करता है ।"
मामा "दीदी यह सब बातें तो हम घर चल कर भी कर सकते है ।ऐसे इस तरह आप लोगो का खड़ा रहना मुझे ठीक नही लग रहा है ।माँ भी आप लोगो की राह देख रही होगी।आप लोग यही रुकिए मैं ऑटो वाले को ले कर आता हूं।"
इतना बोल कर मामा वहाँ से चले जाते है और कुछ ही देर में वे ऑटो वाले को लेकर आते है। फिर हम सभी लोग ऑटो में बैठ कर मामा के साथ उनके घर चल देते है ।लगभग आधे घण्टेबाद हम लोग मामा के घर पहुच गए। गाड़ी आने कि आवाज सुनकर रूबी और मामी दोनो ही घर से बाहर आ जाती है ।रूबी को रूपा दीदी ने फोन करके बोल दी थी कि कोमल भी हमारे साथ आ रही है ।वह उसे कोमल दीदी का ध्यान रखने को बोली थी । जबकि वो अच्छी तरह से जानती है कि जैसे उनके प्राण कोमल में बसते है ।वैसे ही रूबी भी कोमल से प्रेम करती है। रूबी आकर कोमल को लेकर घर के अंदर नानी के पास लेकर चली जाती है ।जंहा कोमल दीदी नानी के पैर छूती है तो नानी उनको आशिर्वाद देती है और दीदी से उनके हाल चाल पूछती है ।फिर कोमल दीदी को रूबी अंदर ले कर चली जाती है ।तबतक हम सब भी नानी के पास पहुच जाते है ।मैं जाकर नानी के पाव को छूता हु और उनके बगल में जाकर बॉथ जाता हूं ।तबतक माँ और चाची भी आ जाती है ।माँ ओर चाची भी नानी के पांव छुटी है तबतक मामी सभी के लिए पानी पीने को ले कर आती है ।नानी चाची से बोलती है कि
नानी "तब और बता बेटी घर पर सब कुछ तो ठीक है ना और आज अचानक कैसे आने के प्लान बना ली ।"
माँ "माँ आप तो जानती है कि बचपन मे हुए हादसे के कारण राहुल और कोमल के साथ जो हुआ उंसके बारे आप सब कुछ जानती है ।जब छोटी ने बताया कि आप किसी ऐसे वैध के बारे में जानती है जिससे कि इन दोनों का इलाज कराया जाय तो यह सही हो सकते है ।"
नानी "इससे तो मैं बहुत पहले बोली थी लेकिन इसे तो मेरी कोई बात नही सुननी है अगर सुनी हुई तो अब तक सब कुछ ठीक हो गया होता। "
 
माँ "मैंने भी इसे इस बात के लिए बहुत डांटा अगर इसने मुझे पहले ही इस बारे में बता दी होती तो आज सब कुछ ठीक हो गया होता लेकिन कोई बात नहीं मा देर से ही सही लेकिन उसने मुझे बताया तो।
नानी " ठीक है फिर तुम सब आज आराम कर लो हम लोग कल वहां के लिए निकलेंगे क्योंकि गुरुजी का आश्रम यहां से 5 घंटे की दूरी पर है इसलिए हम लोग आज नहीं निकलेंगे कल जाएंगे । मैं भी बहुत दिनों से उनसे मिलने को सोच रही थी लेकिन घर के कामों की वजह से जा नहीं पा रही थी तुम लोगों की वजह से मैं भी उनसे मिलना हो जाएगा।
इधर रूबी कोमल दीदी को अपने कमरे में ले कर चली जाती है वह उसे वहां पर ले जाकर बैठ आती है। उनसे बोलती है कि
रूबी " कोमल तुम यहीं पर बैठो मैं तुम्हें पानी पीने के लिए लेकर आती हूं।"
कोमल " अरे मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही हूं पहले जा बाहर पानी दे कर आजा।"
रूबी " हां मैं जानती हूं तुझे सबसे ज्यादा किसकी फ़िक्र हो रही है लेकिन तू चिंता मत कर मम्मी ने वहां पर पानी पीने के लिए पहुंचा दिया है और अब वह चाय बना रही है तो वहां की बिल्कुल भी चिंता मत करो तुम यहां पर चुपचाप शांति से बैठे मैं अभी आती हूं।"
इतना बोल कर रूबी वहां से चली जाती है और कुछ ही देर में उसे पानी पीने के लिए लेकर आती है। कुछ देर दोनों आपस में हंसी मजाक करती रहती हैं फिर रूबी संजीदा होकर कोमल से पूछती है कि
रूबी " अच्छा कोमल एक बात बता तू मुझे क्या तूने अपने प्यार का इजहार कर दिया है।"
रूबी " आखिर कब तक तू अपने प्यार को इस तरह से उस से छुपाती फिरेगी आखिर एक ना एक दिन तो तुझे उसे अपने प्यार के बारे में बताना ही होगा मेरी बात मान तो उससे अपने प्यार का इजहार कर ही दो कहीं ऐसा ना हो कि देर हो जाए।"
कोमल " देख रूबी इस बारे में सिर्फ तू ही जानती है और मैं यही चाहूंगी कि इस बारे में तुम्हारे सिवा किसी और को पता ना चले।"
रूबी " आखिर कब तक तू उससे छुपाती फिरेगी। तूने समाज के नियम को तोड़ कर उससे प्यार किया है और अब जब प्यार कर चुकी है तू उसे बताने में कैसी शर्म।"
कोमल" शर्म की बात नहीं है रूबी यह बात तू जानती है और मैं जानती हूं कि मैं उससे प्यार करती हूं लेकिन तुझे यह पता नहीं है वह अपनी हालात में ऐसा उलझा हुआ है कि वह किसी लड़की से प्यार करना तो दूर की बात है बातें भी नहीं करता है।"
रूबी " देख कोमल मैंने आज तक तुझे अपनी हर बात बताई है और तू यह भी जानती है कि मैंने सिर्फ तेरे लिए ही अपने प्यार का गला घोट दिया नहीं तो तू जानती ही है कि मैं उससे कितना प्यार करती थी और आज भी करती हूं।"
कोमल " इसीलिए तो मैं बोलती हूं कि मैं प्यार का इजहार तब ही करूंगी जब तुम यह वचन दो कि मेरे बाद तुम भी अपने प्यार का इजहार करोगी।"
रूबी " तू यह बात अच्छी तरह से जानती है कि अगर उसे यह पता चला कि अपनी चीज दीदी को वह देवी की तरह पूजता है वही उससे प्यार करती है तो मेरी बात का यकीन करो वह पूरी दुनिया से तुम्हारे लिए लड़ जाएगा लेकिन तुम्हारे सिवा किसी और की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखेगा तो इस हालत में मैं कहां पर फिट होती हूं । और उसके साथ तो यह भी नहीं है कि हम उसे अपना जिस्म दिखा कर मुझे किसी भी तरह से अपने की तरफ आकर्षित कर सकते हैं।"
कोमल " हां यार बातों ही बातों में मैं तुझे बताना भूल गई कि इस बार मैं और राहुल दोनों यहां पर इलाज कराने के लिए आए हुए हैं।"
रूबी " यहां पर किससे दादी से जहां तक मैं जानती हूं दादी अपनी सारी नुस्खा आजमा चुकी है और उनके इलाज से तुम दोनों को कोई भी फर्क नहीं पड़ा है फिर भी यह सब जानते हुए भी बड़ी बुआ और छोटी बुआ ने तुमको यहां पर इलाज के लिए लेकर आई है।"
कोमल " मैंने तो सिर्फ यही कहा ना कि हम दोनों यहां पर इलाज के लिए आए हुए हैं मैंने तुझे यह कब बोला कि हम लोग नानी से इलाज कराने के लिए आए हुए हैं।"
रूबी " फिर किससे तुम यहां पर इलाज कराने के लिए आई हुई हो।"
कोमल " मां बता रही थी कि नानी किसी ऐसे वैध के बारे में जानती है जो पुराने से पुराने बीमारी का इलाज ढूंढ लिया है भगवान ने चाहा तो इस बार सब कुछ ठीक हो जाएगा अगर ऐसा हो गया तो सच बता रही हूं मुझे बहुत ही अच्छा लगेगा।"
रूबी " हां तुझे तो अच्छा लगेगा ही ना क्योंकि अगर वह अच्छा हो गया तो तुझे अपनी बुर के बाल की मुंडन करने का मौका मिल जाएगा ।जो तूने आज तक नही बनाई है ।"
कोमल "आखिर बनाऊ भी तो किसके लिए ।मैं हूं जो देख नही सकती और जिसे मैं दिखाना चाहती हु वो देखेगा नही "
रूबी " बुर की बाल को साफ नहीं करती हो क्यूंकि उसे कोई देखने वाला नही है तो अपने सरीर के बाकी बालो क्यों साफ करती है।"
कोमल " तू तो जानती है कि मैं कुछ भी नहीं करती हूं यह सब तो रूपा दीदी करती हैं अब भला मैं उन्हें कैसे मना कर सकती हूं तुम तो जानती है कि वह अपने आगे किसी की भी नहींसुनती है।ऐसे में अगर मैंने मना किया तो वह इसका कारण पूछेंगी और मैं बता नही पाऊंगी।"
रूबी " तो क्या उन्होंने कभी वहां के बाल बनाने के लिए नहीं कहा।"
कोमल "बोली तो थी पर मैं बोल दी कि मुझे शर्म आती है इसलिए उन्होंने ज्यादा फोर्स नही किया बल्कि एक क्रीम दी है उसे लगाने को बोली ।बताया कि इससे बाल एकदम साफ हो जायँगे।"
रूबी " तो इसका मतलब यह हुआ कि तूने रूपा दीदी को भी चूना लगा ही दिया कम से कम उन्हें तो बता दी होती।"
कोमल " तू पागल तो नहीं हो गई है ना अगर दीदी को इस बारे में पता भी चल गया कि मैं राहुल से प्यार करती हूं तो वह मुझे को छोड़ेंगे नहीं और अब तो मैं भगवान से यही प्रार्थना कर रही हूं कि मेरी आंखें ठीक हो ना हो लेकिन राहुल ठीक हो जाए।"
रूबी " आखिर ऐसा क्या हो गया जिसके तू ऐसा बोल रही है।"
कोमल " आज तुझे मैं एक बात और बताती हूं जो मैंने कल शाम को ही सुना।"
रूबी " ऐसी क्या बात हो गई जो तुझे यह बोलने पर मजबूर कर दिया।"
कोमल " मैं जो बात उसे बताने जा रही हूं उसे बस तू अपने तक ही सीमित रखना तू जानती है हम कितनि बहने है।"
रूबी " अगर मुझे भी लेकर जोड़ो तो हम पांच बहने हैं।
कोमल " और तू जानती है पांच बहनों में से चार बहने राहुल से ही अपनि बुर फड़वाना चाहती है ।"
रूबी " दो तो हम हैं जो बचपन से लेकर आज तक सिर्फ राहुल से ही प्यार किया है और जब से चुदाई के बारे में जाना तबसे उसी से करना चाहती है ।लेकिन उस हादशे के कारण हमारी ख्वाइश आज तक अधूरी ही है और बाकी 2 कौन है।"
कोमल "रूपा दीदी को छोड़कर बाकी सभी बहने राहुल से पहली बार चुदने के लिए तैयार है ।"
इतना बोलकर कोमल अपनी बुर को ऊपर से खुजाने लगती है तो रूबी की नजर पड़ जाती है और वह देखती है कोमल की सलवार बुर की जगह पर बुरी तरह से भीग गयी है ।तो वह बोलती है कि
रूबी " क्या बात है कोमल रानी कहीं बैठे-बैठे पेशाब नहीं कर दी तूने या फिर इतना ज्यादा पानी छोड़ देगी जिससे तेरी चड्डी पूरी भीग चुकी है और तेरी बुर का पानी अब सलवार भी भिगो रहा है ।।"
उधर इन सभी लोग के चले जाने के बाद चाचा खेतो की तरफ चले जाते है और रूपा दीदी अपने आप को कमरे में बंद कर लेती है तो सुवर्णा को चंचल दीदी को मस्ती करने के लिए पूरी छूट मिल जाती है। सुवर्णा चंचल दीदी से बोलती है कि
सुवर्णा "आज घर मे हम अकेले है तो क्यों ना आज खुल कर मजा लिया जाए।"
चंचल " शायद तुम भूल रही हो कि घर में हम अकेले नहीं है हमारे साथ घर में रुपा भी है। "
सुवर्णा " तू तो जानती ही है कि कोमल के जाने के बाद उसका घर में रहना नहीं रहना सब एक बराबर ही होता है अब जब तक कोमल वापस नहीं आ जाती है तब तक ना तो सही से खाना खाएगी और ना ही घर से बाहर निकलेगी रहना नहीं रहना हमारे लिए कोई भी मतलब नहीं सकता है अगर तुझे मजा करना है तो मेरी एक बात को मानेगी।"
 
चंचल "कौन सी बात तुझे मनवानी है जो ऐसे बोल रही है।"
सुवर्णा " मैं चाहती हु की हमारे खेल में रूपा भी शामिल हो जाये तो कितना मजा आएगा ।"
चंचल "कही तू पागल तो नही हो गयी है ना जो इस तरह की बाते बोल रही है तू जानती है ना कि अगर उसे पता भी चल गया तो वह कितना हंगामा मचाएगी।"
सुवर्णा " अच्छा ठीक है लेकिन मुझे एक बात खटक रही है कुछ दिनों से मैं डरती हु की कही तू मेरी बातों को बुरा ना मान जाओ।"
चंचल "तेरी बातो का मैं बुरा मान जाऊ यह कभी हो सकता है क्या।"
सुवर्णा "आज कल मेरी पैंटी और ब्रा पर लण्ड का रस लगा रहता हैऔर पैंटी के आगे बुर का भाग एकदम साफ रहता है ऐसा करीब 1 महीने से हो रहा है।मुझे लगता है कि चाचा की नजर मा के बाद मेरे पर भी है।"
चंचल " क्या तू सच कह रही है ऐसा तो मेरे साथ भी हो रहा है मेरी भी पैंटी साफ मिलती है और पिछली बार जब मैंने आपनि झांट के बाल को साफ करके छुपा कर रखी थी तो शाम तक वह भी गायब हो गयी थी।पहले तो मुझे लगा कि राहुल यह सब कर रहा है लेकिन एक दिन मैंने पापा को रूपा की पैंटी को चाटते हुए देख लिया था ।"
सुवर्णा "तो इसका मतलब यह हुआ कि चाचा की नजर सिर्फ सोनिया को छोड़ के बाकी घर की सारी लड़कियों और औरतों पर है ।लेकिन मैंने तो सोच लिया है कि मेरी बुर में पहला लण्ड अगर किसी का जाएगा तो राहुल का होगा या फिर मेरे पति का बाकी और किसी का नही ।हा अगर राहुल ने पेल दिया तो उसके बाद मुझे किसी और से चुदने में कोई भी दिक्कत नही है ।"
अभी इन लोगो की बाते चल ही रही थी कि अचानक बाहर से रूपा की चिलाने की आवाज आने लगी। दोनो ही बाहर निकल कर देखती है तो चाचा अपनी गर्दन नीचे झुकाए हुए खड़े थे और रूपा उन्हें बुरा भला कहे जा रही थी।सुवर्णा ने जब रूपा को इस तरह से बोलते हुए देखा तो सुवर्णा बोलती है कि
सुवर्णा "तुझे क्या हुआ है क्यों इस तरह से भड़की हुई है अब सोनिया नही है तो इसका क्या मतलब उसका गुस्सा तू सब पर उतारेगी।'
सुवर्णा को इस तरह से बीच मे बोलते हुए देख कर रूपा गुस्से में उन दोनों की तरफ देखते हुए बोलती है कि
रूपा "दीदी पहले बात को समझा करो फिर बीच मे बोलना ठीक रहता है बिना जाने बीच मे बोलना गलत बात है ।"
चंचल "आखिर तू पापा पर इस तरह से क्यों नाराज हो रही है आखिर इन्होंने किया क्या है।"
रूपा "दीदी आप तो ऐसे बोल रही हो जैसे आपको इनकी हरकतों के बारे में मालूम नही है ।सब कुछ जानते हुए इस तरह का सवाल करते हुए आपको शर्म नही आ रही है।"
चंचल रूपा की बाते सुनकर समझ जाती है कि आज पापा ने फिर से वही गलती की और आज पकड़े गए।इसलिए रूपा इनके ऊपर गुससा कर रही है ।वह सुवर्णा से बोलती है कि
 
चंचल "लगता है आज पापा ने फिर से वही गलती की है घर में किसी का नही होने का फायदा उठा कर हममे से किसी की पैंटी को चाट या सूंघ रहे थे और रूपा ने पकड़ ली है।"
सुवर्णा"हा तू सही कह रही है मुझे भी यही लग रहा है ।"
अभी इन दोनो की बाते चल ही रही थी कि रूपा फिर से भड़कते हुए बोलती है कि
रूपा "पापा इससे पहले भी मैं आपको ना जाने कितनी बार माफ कर चुकी हूं लेकिन आज आपने जो कुछ किया है उंसके लिए तो मैं आपको कभी भी माफ नही कर सकती हूं।आप जानते हों कि सोनिया को आपने और माँ पैदा जरूर किया है लेकिन जबसे मैंने अपना होश संभाला तबसे मैं उसे अपनी बहन की तरह नही बल्कि एक बेटी की तरह पाला है। मैं जानती हूं कि आपकी नजर इतनी खराब हो चुकी है कि आपने माँ समान अपनी भाभी को नही छोड़ा और गांव में भी ना जाने कितनी औरतों के साथ आपका सम्बन्ध है मैं गिनवा नही सकती ।"
चाचा धीरे आवाज में बोलते है कि
चाचा "बेटी एक बार मुझे माफ़ कर दे आज के बाद मैं कभी भी ऐसी गलती नही करूँगा।"
रूपा "पापा लगता है कि आपकी यादाश्त बहुत ही कमजोर है इसलिए सायद आपको याद नही आ रहा है। इसके पहले भी आपने जितनी बार गलती की सभी बार इसी तरह से माफी मांगते रहे है और हर बार मैं आपको माफ भी करती रही लेकिन आज आपने जो किया उंसके बाद तो मैं आपको कभी भी माफ नही कर सकती हूं ।"
सुवर्णा "छोटी आखिर चाचा ने ऐसी कौन सी गलती कर दी है जिसके लिए तू इतनी गुस्सा हो रही है।"
रूपा " दीदी अगर कोई यह सोचता है कि मुझे घर मे होने वाली हरकतों के बारे में मालूम नही है या मैं कुछ नही जानती हूं तो वह सबकी गलत फहमी है और रही बात इनकी गलतियों की तो इनको मैं आज तक बहुत माफ करती आई हूं लेकिन इन्होंने जो गलती आज की है उंसके लिए मैं इन्हें कभी भी माफ नही कर सकती हूं।"
सुवर्णा "तू बातो को इतना क्यों घुमा रही है ।सीधे सीधे बोल ना कि इनकी गलती क्या है ।
रूपा "दीदी आप जानती हो इनकी मानसिकता कितनी गिरी हुई है ।इन्होंने आज सोनिया की पैंटी को चाट रहे थे और बार बार उसे चोदने की बात कर रहे थे। इसके पहले भी मैंने इन्हें बहुत बार पकड़ चुकी हूं ।इन्होंने कई बार तो मेरी पैंटी और आप दोनों की पैंटी को चाटते हुए पकड़ी हुई ।लेकिन हर बार मैं इन्हें बहुत बार माफ कर चुकी हूं लेकिन मैं इन्हें आज माफ नही कर सकती हूं। इनकी नजर हम सबसे होते हुए सोनिया पर भी पड़ गयी है ।बड़ी माँ और माँ से मन भर गया तो आप दोनों पर बहुत दिनों से ट्राय कर रहे थे लेकिन आप दोनों की नजर तो कही और है ।इसलिए इनपर नजर नही पड़ी आप लोगों की ।तो इन्होंने सोचा कि सोनिया को ही पटाने की कशिश की जाए।"
सुवर्णा" तू कहना क्या चाहती है कि हम लोग किसी और से प्यार करती है ।क्या तूने आज तक किसी लड़के से बात करते हुए देखी है हम लोगों को।"
रूपा " दीदी मैंने पहले ही बोल दी थी कि इस घर मे होने वाली हर हरकत पर मेरी नजर रहती है ।आप लोगो से मैं बाद में बात करती हूं पहले इनसे निपट लू फिर आप लोगो की बात भी सुन लुंगी और अपना सुना भी दूँगी।"
सुवर्णा और चंचल दोनो एक साथ बोलती है कि ठीक है पहले तू इनसे निपट ले फिर हम बाते कर लेंगी।
रूपा "हा तो पिता जी आपको ज्यादा ही गर्मी चढ़ी हुई है जो अपनी ही बेटियों पर गंदी नजर रखने लगे है ।
चाचा "नही बेटी ऐसी बात नही है ।जैसा तू सोच रही है वैसा कुछ भी नही मैं नही जानता था कि वो सोनिया की है।"
रूपा "पापा अगर आपकी गर्मी अपनी ही बेटियों के साथ शांत होगी तो मैं आपको यकीन दिलाती हु। एक दिन मैं खुद आप के साथ वो सब करूँगी। जो आपकी इच्छा होगी लेकिन उसके लिए आपको मुझे यह यकीन दिलाना होगा कि आप सोनिया को गन्दी नजर से कभी भी नही देखेंगे।
चाचा "अगर ऐसी बात है तो मैं आज तेरी कसम खा के बोलता हूं कि मैं वो सब करूँगा जो तू बोलेगी ।"
 
रूपा "अच्छा तो ठीक है अभी आप को अगर कोई काम हो तो जाए ।मुझे कुछ काम है ।"
चाचा "ठीक है बेटी लेकिन तुम अपना वादा याद रखना।"
रूपा "मैं अपना वादा जरूर पूरा करूँगी बस आप अपने आप को सुधार कर दिखाए पहले ।अगर आप सही तरीके से रहे तो हम अपना वादा जरूर पूरा करूँगी।"
इसके बाद चाचा वहां से चले जाते है ।उनके जाते ही सुवर्णा और चंचल दोनो ही रूपा को ग़ुस्से से देखती है ।सुवर्णा बोलती है कि
सुवर्णा "तूने अपनी लाज शर्म सब कुछ खत्म कर दी है क्या ।तू क्या बोल रही थी चाचा से।"
चंचल "पहले तो तू उनपर इतना गुस्सा हो रही थी कि मानो उनका खून ही कर देगी ।लेकिन अगले ही पल तू जो बात की वह हम दोनों को विश्वक्ष नही हुआ कि तू ऐसा करने का सोच भी सकती है ।हमे अभी तक इस बात का विश्वास नही हो रहा है तू ऐसा करने को बोल रही थी।"
रूपा "मैंने तो अभी सिर्फ करने के लिए सोचा है कि नही हु लेकिन आप लोग जो कर रही है या करने के लिए सोच रही है वह ठीक है ।"
सुवर्णा "तू कहना क्या चाहती है मैं कुछ समझ नही पा रही हु तू जो भी कहना चाहती है खुल कर बोल।"
रूपा "दीदी जी आप दोनों के बीच सम्बन्ध और आप दोनों जो राहुल के चक्कर मे पड़ी हो आप को क्या लगता है मैं इस बारे में कुछ भी नही जानती हूं।
सुवर्णा " देख रही है ना चंचल जिसे हम सब इतना सीधी समझती है वह तो हम सबकी अम्मा निकली ।इसे तो सारी बातों का जानकारी है ।तो सच बोल तेरे दिमाग में चल क्या रहा है ।"
चंचल "हा बोल तो बिल्कुल ठीक ही रही हो ।हम तो अभी सोच ही रहे कि कैसे करे लेकिन इसने तो अपना जुगाड़ भी कर लिया है।"
रूपा "जुगाड़ कर लिया क्या मतलब है दीदी आपका।"
चंचल "मतलब साफ है मेरी छोटी बहना हम तो तब कुछ करेंगी ना जब राहुल ठीक होगा लेकिन तूने तो पापा के साथ ही चुदने का जुगाड़ कर लिया है ।अभी भी नही समझ में आया है तो बोल और खुल कर बताऊ।
इतना बोल कर दोनों हँसने लगती है ।उनकी हसी सुनकर रूपा खुज जाती है और गुस्से में बोलती है कि
रूपा "आप लोगो को ऐसा लगता है कि मैं ऐसा कुछ कर सकती हूं मैंने जो भी किया सिर्फ सोनिया और आप दोनों के लिए ही कि हु।"
सुवर्णा "तेरे कहने का क्या मतलब है तू जो कर रही है वह हमारे लिए कर रही हो ।हम दोनों का तो समझ मे आ रहा है लेकिन इसमें सोनिया कहा से आ गयी ।"
रूपा "दीदी इसमे सोनिया ही नही बल्कि रूबी भी आती है ।आप दोनों तो सिर्फ अपना जिस्म राहुल को सौपना चाहती है लेकिन वो दोनों तो जब उन सबको प्यार का मतलब भी पता नही था तबसे वो दोनों उससे प्यार करती है और मेरी पागल सोनिया यह नही जानती की मैं उसे बहन की तरह नही एक माँ की तरह पाली हु और एक माँ से अपने बच्चों के दिल की बात कभी भी छुपी नही रहती है। "
सुवर्णा "तो तेरे कहने का मतलब यह है कि रूबी और सोनिया दोनो ही राहुल से प्यार करती है ।पर उन दोनों को देख कर तो नही लगता कि वो दोनों एक दूसरे से जलती है या उनमे राहुल को पाने का कम्पटीशन है ।
रूपा "उन दोनों में कम्पटीशन नही है बल्कि राहुल जिसे भी पसन्द करेगा तो दूसरा अपने आप पीछे हट जाएगा।
उधर अगले दिन सुबह होते ही सोनिया राहुल साथ मे चाची मा और नानी पांचों गुरु जी आश्रम की तरफ चल देते है ।करीब 3 घण्टे के सफर के बाद वह सभी लोग जंगल के रास्ते से होते हुए करीब 2 घंटे पैदल चलने के बाद वो सभी लोग आश्रम पहुच जाते है ।वहा पर पहुचने के बाद देखते है कि वहाँ पर बहुत से साधु महात्मा पूजा पाठ हवन आदि कार्यो में लगें हुए थे।वह देख कर ऐसा नही लग रहा था कि वहा पर ।मरीज का इलाज भी किया जाता होगा ।लेकिन नानी का वहाँ पर पुरानी पहचान होने के कारण कुछ तपस्वी उन्हें पहचान जाते है तो उन लोगो से वहां पर आने का कारण पूछते है तो नानी उन लोगो को यंहा आने का कारण बताती है ।तो उनमें से एक बोलता है कि
साधु 1 "अम्मा वैसे तो गुरु जी का सख्त आदेश है कि हम किसी को उनसे मिलने का अनुमति नही दे ।लेकिन पिछले कुछ दिनों से गुरु जी आपका आने का स्वयं प्रतिछा कर रहे थे। ऐसी स्थिति में हम अगर आप के आने की खबर उन तक नही पहुचाई तो वो बहुत नाराज होंगे।"
नानी "तो आप के कहने अर्थ यह है कि गुरु जी को हमारे आने का इंतजार पहले से ही था।
 
साधु1 "हा अम्मा आपका सोचना बिल्कुल ठीक है गुरु जी को आपके आने का आभाष पहले ही हो गया था।आप इंतजार करें हम अभी उनकी आज्ञा लेकर आते है ।"
नानी "जैसी आप बोले हम यही पर उनके आदेश का इंतजार कर लेंगे।"
इतना सुनकर वो सभी लोग वहां से चले जाते है ।उनके जाने के बाद मा नानी से पूछती है कि
माँ "मा मुझे एक बात समझ मे नही आई कि उन्हें आपके आने का आभास कैसे हो गया ।क्या वह जोतिष विधा के जानकर है ।
नानी "हा उनके बारे में सम्पूर्ण जानकारी किसी को भी नही है।अगर उन्हें हमारे आने का आभाष था तो जरूर कोई आवयश्क कार्य होगा गुरु जी का और भगवान ने चाहा तो इन दोनों का इलाज यंहा पर जरूर हो जाएगा ।"
इधर वह साधु गुरु जी के पास जाता है ।गरु जी अपने कुटीर में ध्यान में लीन थे ।साधु के कई बार आवाज देने के कारण गुरु जी समाधि से बाहर आते है ।गुरु जी के पूछने पर वह साधु सब बता देता है।
गुरु जी " तो चंद्रावती आखिर आ ही गयी ।उंसके साथ मे और भी कोई है या वह अकेले ही यंहा पर आई हुई है ।"
साधु " नही गुरु जी वह अकेले यंहा पर नही आई हुई है ।बल्कि उनके साथ मे 4 और भी है है ।जिनमे 2औरते 1 लड़का और 1 लड़की है ।"
गुरु जी "तो इसका मतलब यह हुआ कि वह समय आखिर आ ही गया जिसका हमे इतने दिनों से इंतजार था ।"
साधु "गुरुदेव आप कहना क्या चाहते है ।यह बात तो बिल्कुल भी मेरी समझ मे नही आ रहा है ।"
गुरुजी "तुम समझ भी नही पाओगे क्यूंकि जो घटना घटने वाली है ।उसकी भूमिका तो बहुत पहले ही तय कर दी गयी थी हम तो बस निमित मात्र है।"
साधु "हमे आपकी बात समझ मे नही आ रहा है ।आप कहना क्या चाहते है ।खुल कर बताए।"
गुरुदेव "तुम्हे याद तो होगा ही कुछ वर्षों पहले मैंने तुम्हें एक काम दिया था । वह घटना तुम्हे याद है कि नही।"
साधु "गुरुदेव मैं उस घटना को कैसे भूल सकता हु ।मैं आज तक अपने उस गलती को नही भूल पाया जिसके कारण से उन मासूम बच्चों की जिंदगी बरबाद हो गयी ।'"
गुरुदेव "तो बस यही समझ लो अब तुम्हे प्रयाश्चित करने का मौका जल्द ही मिलने वाला है ।पहले तुम यह बताओ कि मैंने तुम्हें जंगल से जो जड़ी बूटी लाने को कहा था ।तुमने उसका इंतजाम कर दिया है कि नही।
साधु "गुरुदेव मैंने आपके कहने के अनुसार सारी जड़ी बूटियों का इंतजाम कर दिया है ।लेकिन मेरी समझ में एक बात नही आ रही है कि आप उन दुर्लभ जड़ी बूटियों का क्या करेंगे ।आप यह अच्छी तरह से जानते है कि अगर उसकी जानकारी किसी भी गलत हाथो में पड़ गयी तो उसका कितना गलत इस्तमाल किया जा सकता है ।"
गुरुदेव मैंने जिस जकह पर तुम्हे भेजा था ।वहां पर तुम पहले भी जा चुके हो कई बार क्या आज से पहले तुम्हे उन जड़ी बूटियों के दर्शन हुए थे।"
साधु "नही गुरुदेव आज से पहले ना जाने कितने लोग उसे पाने के लिए यंहा पर आए लेकिन उसे पाना तो दूर उसे देखने का नशीब भी उन लोगो को नही मिला लेकिन आज जब मैं गया तो मुझे बिना किसी परिश्रम के मिल गया।"
गुरुदेव " तो तुम्हे क्या लगता है यह सब बिना कारण के ही हो रहा है ।यह सब पहले से नियति ने पहले से निश्चित कर रखा था और अब तुम जाओ जाकर चन्द्रावती के साथ जीतने भी लोग आए है ।उन सभी लोगो को आदर सहित यंहा ले कर आओ।
साधु " जी गुरुदेव जैसी आपकी आज्ञा।"
इसके बाद साधु बाहर जाकर चन्द्रावती के पास जाता है और जाकर बोलता है कि
साधु "अम्मा आप सभी लोगो को गुरुदेव ने अपने कुटीर में बुलाया है।"
 
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