desiaks
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- Aug 28, 2015
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मेरा नाम राहुल है और मैं अभी मात्र 16 साल का हु मेरी लंबाई साढ़े5 फिट है रंग गोरा है । मेरे घर मे सभी लोग है केवल पिता जी को छोड़ कर पिता जी आर्मी में थे तो एक लड़ाई में वो सहीद हो गए । हम बहुत अमीर तो नही और न ही गरीब है माध्मयवर्गीय परिवार है । मेरे पापा के गुजर जाने के बाद घर की पूरी जिमेदारी चाचा के ऊपर आ गयी थी । चाचा खेतो में काम करते थे और मैं भी अपनी पढ़ाई से जब भी फुर्सत मिलती थी तो चाचा के साथ खेतो में उनका हाथ बटा दिया करता था। मेरे और कोई भाई तो नही था लेकिन मुझसे बड़ी एक बहन थी जिसका नाम सुवर्णा था ।जैसा उसका नाम वैसी ही उसकी रंगत भी थी । पूरे गांव में उंसके जितनी सुंदर कोई भी नही थी । ना जाने कितने ही लड़के उंसके रूप पर फिदा हो कर उंसके हाथो से पिट चुके थे। क्यूंकि वह किसी भी लड़के को भाव नही देती थी।
घर के लोगो से परिचय कर लेते है
इंदुमती देवी : मेरी माँ पिता जी जल्द ही सहीद हो जाने के कारण इनकी शादी शुदा जिंदगी ज्यादा अच्छी नही रही । मा की उम्र 40 साल थी गांव में जल्दी सादी हो जाती है जिसके कारण इनकी भी जल्दी ही हो गयी।
वसन्त कुमार : चाचा इनकी उम्र 42 साल है ये पिता जी मर जाने के बाद घर की जिम्मेदारी उठाते उठाते अपने उम्र से ज्यादा के दिखते थे।
रजनी चाची इनकी 3 लड़कियां है लेकिन इन्हें देख कर कोई भी नही कह सकता कि ये 3 लड़कियो की माँ होगी। मुझे इनकी गांड सबसे ज्यादा पसंद है जब भी मुझे मौका मिलता है मैं तब तब देखता हूं।
सुवर्णा पूरे गांव में इनकी जितनी सुंदर और कोई भी लड़की नही है । इनकी उम्र 19 साल है और इनकी फिगर 34 36 36 थी ।जब भी वह अपनी गांड मटका कर चलती थी जवान तो जवान बूढ़े भी इन्हें चोदने का ख्वाब देखते थे ।
चंचल चाचा की बड़ी लड़की और सुवर्णा दीदी की परछाई उनकी जितनी सुंदर तो नही लेकिन कम भी नही थी।ये दीदी से 3 महीने छोटी थीं । इनकी भी फिगर दीदी की तरह थी ।
रूपा चाचा की दूसरी लड़की और मूझसे 2 साल भर बड़ी थी । इनका रंग थोड़ी सावली थी लेकिन फिर भी यह सुंदरता में अपनी दोनों बड़ी बहनों से कम नही थी।
कोमल चाचा की तीसरी लड़की और मुझसे 6 महीने बड़ी थी ।ये कुछ देख नही सकती थी क्यूंकि बचपन मे मैं एक बार कांटो में गिर गया था मुझे बचाने के लिए ये खुद की परवाह नही करते हुए मुझे बचाने की कोशिश की जिनमे इनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गयी ।
राहुल मैं खुद मेरी उम्र 16 साल थी ।मेरा पूरा सरीर तो बड़ा हो गया था लेकिन उस हादसे में जंहा दीदी की आंखों की रोशनी चली गयी थी।वही मेरे लण्ड की एक नस में कांटा धस जाने के उसका विकास रुक गया ।जिस वक्त मेरे साथ यह हादसा हुआ तो मेरी उम्र 5 साल की थी तो आज भी मेरा लण्ड छोटे बच्चे की तरह था ।गांव के सभी लड़के मुझे चिढाते थे।
मैं अपने घर के बाहर खाट डालकर सोया हुआ था । माँ मुझे खाना देकर गयी और खाने को बोलकर चली गयी चाची और वह दोनों आपस मे बाते कर रही थी।
चाची "दीदी मुझे तो राहुल की बहुत ही चिंता होती है और उससे भी ज्यादा इस बात की चिंता रहती की हमारे बाद हमारे वंश को चलाने वाला कोई भी नही रहेगा।"
माँ "हा छोटी बोल तो तू सही रही है मैं भी कई डॉक्टर को दिखा चुकी उसे लेकिन किसी भी इलाज का कोई असर नही पडा।"
चाची " दीदी इस बार जब गांव गयी थी तो माँ एक वैध के बारे बता रही थी कि अगर उससे हम राहुल का इलाज कराए तो जरूर फायदा होगा।"
माँ "अगर ऐसा है तो हम कल ही राहुल के साथ तुम्हारे गांव चलते है और वैध जी को भी दिखा लेंगे।
घर के लोगो से परिचय कर लेते है
इंदुमती देवी : मेरी माँ पिता जी जल्द ही सहीद हो जाने के कारण इनकी शादी शुदा जिंदगी ज्यादा अच्छी नही रही । मा की उम्र 40 साल थी गांव में जल्दी सादी हो जाती है जिसके कारण इनकी भी जल्दी ही हो गयी।
वसन्त कुमार : चाचा इनकी उम्र 42 साल है ये पिता जी मर जाने के बाद घर की जिम्मेदारी उठाते उठाते अपने उम्र से ज्यादा के दिखते थे।
रजनी चाची इनकी 3 लड़कियां है लेकिन इन्हें देख कर कोई भी नही कह सकता कि ये 3 लड़कियो की माँ होगी। मुझे इनकी गांड सबसे ज्यादा पसंद है जब भी मुझे मौका मिलता है मैं तब तब देखता हूं।
सुवर्णा पूरे गांव में इनकी जितनी सुंदर और कोई भी लड़की नही है । इनकी उम्र 19 साल है और इनकी फिगर 34 36 36 थी ।जब भी वह अपनी गांड मटका कर चलती थी जवान तो जवान बूढ़े भी इन्हें चोदने का ख्वाब देखते थे ।
चंचल चाचा की बड़ी लड़की और सुवर्णा दीदी की परछाई उनकी जितनी सुंदर तो नही लेकिन कम भी नही थी।ये दीदी से 3 महीने छोटी थीं । इनकी भी फिगर दीदी की तरह थी ।
रूपा चाचा की दूसरी लड़की और मूझसे 2 साल भर बड़ी थी । इनका रंग थोड़ी सावली थी लेकिन फिर भी यह सुंदरता में अपनी दोनों बड़ी बहनों से कम नही थी।
कोमल चाचा की तीसरी लड़की और मुझसे 6 महीने बड़ी थी ।ये कुछ देख नही सकती थी क्यूंकि बचपन मे मैं एक बार कांटो में गिर गया था मुझे बचाने के लिए ये खुद की परवाह नही करते हुए मुझे बचाने की कोशिश की जिनमे इनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गयी ।
राहुल मैं खुद मेरी उम्र 16 साल थी ।मेरा पूरा सरीर तो बड़ा हो गया था लेकिन उस हादसे में जंहा दीदी की आंखों की रोशनी चली गयी थी।वही मेरे लण्ड की एक नस में कांटा धस जाने के उसका विकास रुक गया ।जिस वक्त मेरे साथ यह हादसा हुआ तो मेरी उम्र 5 साल की थी तो आज भी मेरा लण्ड छोटे बच्चे की तरह था ।गांव के सभी लड़के मुझे चिढाते थे।
मैं अपने घर के बाहर खाट डालकर सोया हुआ था । माँ मुझे खाना देकर गयी और खाने को बोलकर चली गयी चाची और वह दोनों आपस मे बाते कर रही थी।
चाची "दीदी मुझे तो राहुल की बहुत ही चिंता होती है और उससे भी ज्यादा इस बात की चिंता रहती की हमारे बाद हमारे वंश को चलाने वाला कोई भी नही रहेगा।"
माँ "हा छोटी बोल तो तू सही रही है मैं भी कई डॉक्टर को दिखा चुकी उसे लेकिन किसी भी इलाज का कोई असर नही पडा।"
चाची " दीदी इस बार जब गांव गयी थी तो माँ एक वैध के बारे बता रही थी कि अगर उससे हम राहुल का इलाज कराए तो जरूर फायदा होगा।"
माँ "अगर ऐसा है तो हम कल ही राहुल के साथ तुम्हारे गांव चलते है और वैध जी को भी दिखा लेंगे।