non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार - SexBaba
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non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार

hotaks

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कभी गुस्सा तो कभी प्यार

नमस्कार दोस्तों, इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है और उनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है और अगर ऐसा कुछ होता है तो यह मात्र एक संयोग हो सकता है। इस कहानी का उद्देश्य सिर्फ लोगों का मनोरंजन करना है और किसी भी धर्म, जाती, भाषा, समुदाय का अपमान करना नहीं।

इस कहानी के कुछ दृश्य आपको विचलित कर सकते हैं, पाठकगण कृपया अपने विवेक से निर्णय लें। यह कहानी मात्र वयस्कों के लिए लिखी गयी है, इसलिए 18 वर्ष से अधिक की उम्र होने पर ही आप इस कहानी को पढ़ें।

आपके कमेंट और सुझाव सादर आमंत्रित हैं जिससे मुझे खुद को और कहानी को बेहतर बनाने में सहयोग मिले। आशा करता हूँ की यहाँ भी आप इसे पसंद करेंगे और मेरा उत्साहवर्धन करते रहेंगे। धन्यवाद

ये कहानी आज से 12-13 साल पहले की है जब स्मार्ट फोन तो नही ही आया था, फोन भी बहुत कम लोगों के हाथ मे था. और हमारी इस कहना की मुख्य किरदार है पूनम सक्सेना. एक सीधी सादी सिंपल और शरीफ लड़की की. और ये सारी खूबियाँ उसमे तब थी जब वो देखने
मे बेहद हसीन थी. लंबा उँचा कद, गोरा बदन, घने काले लंबे बाल, पूरी काली आँखें जिनमे देख कर कोई व मदहोश हो जाए. पतले गुलाबी
होठ जिनके रस को पीने के लिए कोई भी बेकरार हो जाए. 5'5" हाइट और 32सी 28 34 की कातिल फिगर.

अपर मिड्ल क्लास होने की वजह से उसकी अदाएँ भी कातिल थी. वो अच्छे बड़े कॉनवेंट स्कूल मे पढ़ी थी और स्टाइल और सादगी का संगम थी हमारी कहानी की हेरोइन पूनम सक्सेना. उसके बोलने का लहज़ा इतना आकर्षक था कि लगे कि बस वो बोलती ही रहे और लोग सुनते ही रहें. चाल इतनी मस्तानी की बस उसकी हिलती हुई कमर को ही देख कर कोई भी खो जाए. कपड़े सिंपल लेकिन इतने लगता कि बस
उसके लिए ही बना है और ऐसे फिट कि उसके बदन का निखार और बढ़ जाता था. हो सकता है कि तारीफ करते करते मैं कुच्छ ज़्यादा
बहक गया हूँ, लेकिन पूनम एक बेमिसाल लड़की थी.

पूनम के पापा एक सरकारी कंपनी मे जॉब करते थे और पुराने ख्यालों के थे. उनका रहन सहन भी सादा ही था. पूनम की माँ भी एक साधारण घरेलू औरत थी. घर मे माँ पापा और बस वो रहते थे. उसका एक बड़ा भाई था जो बाहर पढ़ाई करने के बाद वहीं जॉब कर रहा था.
उसकी एक बड़ी बहन भी थी जिसकी शादी हो चुकी थी और वो अपने ससुराल मे रहती थी.

पूनम के पापा ने एक नया घर बनवाया था और वो लोग वहाँ अभी हाल मे ही शिफ्ट हुए थे. ये एक नया बन रहा मुहल्ला था जहाँ अभी बहुत कम घर बने थे और कई सारे घर अंडर कन्स्ट्रक्षन थे.

हालाँकि पूनम बहुत अच्छी और शरीफ लड़की थी, लेकिन जब जवानी का नशा चढ़ता है तो कितनो क कदम बहक जाते हैं. अभी कुच्छ दिन पहले ही पूनम 21 साल की हुई थी और जवानी की इस बहकी हुई हवा मे पूनम के भी कदम फिसल गये और अब उसका भी एक बाय्फ्रेंड था.
 
कदम फिसलने का ये बिल्कुल मतलब नही था कि पूनम कुच्छ ग़लत हरकत कर चुकी थी. वो अपने बाय्फ्रेंड के साथ डेट पे गयी थी लेकिन
एक सिंपल हग और माथे पे किस के अलावा ना तो पूनम ने कुच्छ करने दिया था और ना ही उसके बाय्फ्रेंड अमित ने कुच्छ किया था.

पूनम के पिता रूढ़िवादी ख़यालों के थे और बहुत रिस्ट्रिक्ट थे. लेकिन जैसे जैसे टाइम बदलता जाता है तो लोग अपने बच्चों के हिसाब से बदल जाते हैं. पूनम चाहती थी कि शादी के पहले कम से कम वो कुच्छ तो कर ले, अपने आपको साबित कर पाए. पूनम के पिता को ये पसंद नही था की उनकी बेटियाँ नौकरी करे, उसके पिता अब उसकी शादी करने के मूड मे थे. पूनम की दीदी भी अभी 23 साल की ही थी और उसकी
शादी कर दी गयी थी. लेकिन पूनम की अपनी ज़िद थी कि वो कहीं जॉब करे.

आख़िरकार उसके पिता को उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और पूनम एक प्राइवेट. कंपनी मे कंप्यूटर डेटा अनलयसिस्त के जॉब पे लग गयी. उसका ऑफीस अच्छा था और घर से थोड़ा ही दूर था. सुबह वो 9:30 मे अपने घर से पैदल ही ऑफीस पहुँच जाती थी और शाम मे 6:00 बजे वो ऑफीस से निकल कर वापस अपने घर आ जाती थी.

पूनम को जॉब करते हुए 3 महीने हो चुके थे और उसे अपने काम मे बहुत मन लग रहा था. 12000 रुपये महीने मिलते थे उसे और वो अपनी मर्ज़ी से उन रुपयों को खर्च करती थी. अपने पैसों से उसने अपनी माँ को एक साड़ी और पापा को एक सूट गिफ्ट किया था. वो बहुत खुश थी अपने लाइफ से.

पिच्छले कुच्छ दिनो से वो नोटीस कर रही थी कि 2 लड़का उसे ऑफीस आते और जाते वक्त घूरते रहते थे, लेकिन वो उनको इग्नोर करती थी. ये कोई नयी बात नही थी उसके लिए. जब से उसने जवानी की दहलीज़ पे कदम रखा था, तब से ये हो रहा था उसके साथ. ऑफीस मे भी कितने ही लोगों ने उसे प्रपोज करने की कोशिश की थी, लेकिन उसका हाव भाव इतना शांत रहता था कि किसी को लगा ही नही कि पूनम
उसके ज़्यादा करीब आ गयी है और उसे प्रपोज किया जा सकता है. वो अपने बाय्फ्रेंड के लिए कोँमिटेड थी और बस उसी से वो बातें करती थी. लेकिन अभी भी उन दोनो ने वो लिमिट पर नही की थी.

एक दिन जब पूनम ऑफीस से लौट रही थी तो उसे देखा कि वो दोनो लड़के किसी आदमी को पीट रहे थे और वहाँ भीड़ लगी हुई थी. घर आने पे रात मे उसके पापा ने उसे बताया उन्दोनो के बारे मे कि वो दोनो रोड बना रहे ठेकेदार हैं. एक तो पहले से ही पूनम अपने मन मे
उनके लिए बुरा सोचे हुए थी, अब ये सब सुनने और देखने के बाद तो उसके मन मे उन लड़कों के लिए नफ़रत आ गयी थी और साथ ही
साथ पूनम के मन मे एक डर भी बैठ गया था.

अगले दिन फिर पूनम ऑफीस जा रही थी तो फिर से दोनो लड़के एक चाइ के ठेले पे खड़े थे और पूनम को देख कर मुस्कुरा रहे थे.
अचानक से पूनम की नज़र उनपे चली गयी और नज़र मिलते ही वो मुस्कुरा दिए. पूनम को उन लड़कों पे और गुस्सा आ गया और वो बुरा
सा मुँह बनाती हुई आगे बढ़ गयी.
 
शाम को जब पूनम वापस घर आ रही थी तो उनमे से एक लड़का उसके घर के लिए जाने वाली गली के कॉर्नर पे खड़ा था. पूनम का घर मेन रोड से अंदर एक गली आती थी, उसमे लगभग 200-250 मीटर अंदर था. पूनम का बदन सिहर गया. एक अंजाने भय और रोमांच से उसका जिस्म हिल उठा.

वो चुपचाप अपनी नज़रें नीचे किए, अपने घर की तरफ बढ़ती रही. उसे लग रहा था कि पता नही क्या होगा, कहीं उसने रास्ता रोक लिया तो, हाथ पकड़ लिया तो या कुच्छ बदतमीज़ी ही कर दी तो. पूनम मन ही मन खुद की हिम्मत बढ़ाते हुए और आगे बढ़ती रही. पूनम उसके
सामने से गुज़री लेकिन उस लड़के ने कुच्छ नही किया और जब पूनम अपने घर के पास पहुँच गयी तब उसकी जान मे जान आई.

रात मे पूनम उस लड़कों के बारे मे सोच रही थी. दिखता तो ठीक ही है, पता नही मेरे पिछे क्यूँ पड़ा है. उस दिन मारपीट कर रहा था, ठेकेदार है तो शरीफ तो नही ही होगा. पता नही ऐसा गुंडा मेरे पिछे क्यूँ पड़ गया. कहीं ऐसा ना हो कि ये कुच्छ ऐसे वैसे कर दे कि इसके
चक्कर मे फिर पापा घर से निकलना ना बंद करा दें. फिर तो हो गयी नौकरी और हो गयी मस्ती. ऑफीस के लिए घर से निकलूंगी ही नही तो फिर अमित से कैसे मिलूंगी. नही, मैं ऐसा नही होने दे सकती.'

वो बहुत देर तक उन्दोनो के बारे मे सोचती रही और मन मे ये ठान ली कि अगर उन लड़कों ने कभी उसे कुच्छ कहा या बदतमीज़ी की तो
मैं उन लोगों को ज़ोर से डाँट दूँगी और साफ साफ मना कर दूँगी.

अगले दिन पूनम जब घर से निकली तो रोड पे पोलीस की वॅन खड़ी थी और वो दोनो लड़के वॅन मे बैठे पोलीस वालों से हंस हंस कर बातें कर रहे थे. सभी मस्ती मे चाइ पी रहे थे. दोनो पूनम को जाते हुए देख रहे थे. पूनम इन दोनो को इग्नोर करते हुए ऑफीस चल दी लेकिन पिछे जो ज़ोर की हँसी सुनाई दी सबकी, तो पूनम को लगा कि ये हँसी उसी के बारे मे है. उसे और गुस्सा आया और इसबार ये गुस्सा उन
पोलीस वालों के लिए था. 'ऐसे गुणडो के साथ ऐसे बातें कर रहे हैं जैसे कितने गहरे दोस्त हों. अरे... मार पीट करते हैं, लड़कियाँ छेड़ते हैं.
इन्हे पकरो और जैल मे डालो. लेकिन यहाँ खड़े होकर उनके साथ गप्पें लड़ा रहे हैं.'

दोपहर मे पूनम अपने बाय्फ्रेंड अमित से मिली. लंच टाइम था तो पूनम उसी के साथ एक रेस्टोरेंट मे लंच मे कर रही थी. पूनम कई रोज़ से इसी उधेड़बुन मे थी कि अमित को बताए कि नही. आज फाइनली वो अमित को पूरी बात बता दी. अमित उनलोगों को जानता था और पूनम को समझाते हुए बोला "दूर रहना इन गुंडे मवालियों से, सालों का काम ही यही है. मारपीट करना, लोगों को डराना धमकाना. अब एक नेता
का हाथ पड़ गया है उनके सिर पे तो ठेकेदार बन गये हैं. इसी गुंडई क दम पे पैसा कमाते हैं. जैल भी जा चुके हैं, लेकिन क्या फ़र्क पड़ता है उससे इन जैसे लोगों को."
 
पूनम का डर और बढ़ गया था. शाम मे फिर वही हुआ, पूनम के घर आते वक़्त आज फिर वो लड़का वहीं कॉर्नर पे खड़ा था. शाम का वक़्त था तो कोई इधर रहता नही था. वैसे भी ये नया डेवेलप हो रहा एरिया था तो इधर लोग कम ही रहते थे. आज पूनम को कल की तरह बैचैनि
नही हो रही थे, आज उसे डर लग रहा था. अमित की बातें उसे याद आ रही थी. 'क्या गॅरेंटी ऐसे लड़कों का कि क्या कर दें. इसे किसी चीज़
का डर तो है नही. पोलीस, नेता सब तो इसी के हैं. हे भगवान... उफ़फ्फ़....'

वो मन ही मन खुद को मज़बूत बनाते हुए आगे बढ़ती रही. उसे डर भी लग रहा था. एक तो आसपास कोई नही था और उसपर से ये लोग
मामूली लड़के नही थे.

जैसे ही पूनम उसके सामने से गुज़री, वो लड़का धीरे से बोला तुम बहुत सुंदर हो पूनम. पूनम का मन हुआ कि उसे चाँटा मार दे या कुच्छ
डाँट दे, लेकिन उसकी भी इतनी हिम्मत नही हुई और चुपचाप सीधे अपने घर आ गयी. घर आने के बाद उसे बहुत अफ़सोस हो रहा था कि
वो चुपचाप क्यू सुन ली, अब इन लड़कों की हिम्मत और भी बढ़ जाएगी.

पूनम फिर से उसी लड़के के बारे मे सोच रही थी. एक बार उसका मन हुआ कि अपनी माँ को बता दे. लेकिन माँ को या पापा को बताने का मतलब होता कि उसकी नौकरी बंद और घर से बाहर निकलना बंद. फिर जल्दी से उसकी शादी की बात चलने लगती. पूनम सोचते सोचते ही सो गयी.

सुबह पूनम देखी कि दोनो लड़के रोड पे खड़े थे और उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे. पूनम की नज़र उनसे मिली और पता नही ऐसा कैसे हुआ, लेकिन पूनम के चेहरे पे मुस्कुराहट फैल गयी. वो जल्दी से अपनी मुस्कुराहट रोकने की कोशिश की और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा ली,
लेकिन वो दोनो इस हसीन मुस्कान को पूनम के होठों पे नाचते हुए देख चुके थे.

पूनम ऑफीस आ गयी. उसे अपने पे गुस्सा भी आ रहा था. वो सोच ली कि आज अगर वो लड़का वहाँ पे खड़ा होगा तो मैं रुक कर अपनी
तरफ से उन्हे क्लियर कर दूँगी और अपना पीछा करने से मना कर दूँगी.
 
शाम मे जब पूनम वापस घर आ रही थी तो आज वहाँ कोई नही था. वो दोनो लड़के कहीं दिख नही रहे थे. पूनम थोड़ा रिलॅक्स फील की. जैसे ही पूनम गली के लिए मूडी, एक 7-8 साल की लड़की दौड़ती हुई उसके पास आई और उसे एक एन्वेलप देती हुई बोली दीदी, ये आपके लिए जीजा जी ने दिया है.

जब तक पूनम कुच्छ समझ कर रिक्ट कर पाती, वो लड़की उसे एन्वेलप पकड़ा कर वापस भाग चुकी थी. पूनम उसे आवाज़ देकर पुछ्ने जा रही थी लेकिन वो अपने घर के पास आ गयी थी, तो वो उस लड़की को आवाज़ नही दी और सोचने लगी कि एन्वेलप का क्या करे. तभी उसे
उसकी माँ घर का मेन गाते खोलती हुई दिखी तो वो झट से एन्वेलप को अपने पर्स मे रख ली.

पूनम की माँ सब्जी लाने जा रही थी. पूनम घर मे आई और गेट अंदर से बंद कर ली. उसके पापा अभी ऑफीस से आए नही थे. वो रूम मे जाकर सब से पहले पर्स से एन्वेलप निकाल कर उसे खोलने लगी. उसे लगा कि अंदर उन लड़कों ने लव लेटर लिखा होगा. उसका दिल जोरों
से धड़क रहा था. उसे बहुत डर लग रहा था. उसे अपने आप पे गुस्सा आ रहा था कि उस दिन वो उन लोगों को देख कर हँसी क्यू थी.

पूनम इस तरह की लड़की नही थी और उसपे वो अपने बाय्फ्रेंड को लेकर कमिटेड थी. उसे इस बात का भी अफ़सोस हो रहा था कि वो एन्वेलप ली ही क्यू, और अगर ली भी तो उसे वहीं पे फेक क़्न नही दी. उसे उस लड़की की बात याद आ गयी "दीदी, ये आपके लिए जीजा जी ने दिया है." पूनम को गुस्सा तो आ ही रहा वो था, साथ ही साथ हँसी भी आ गयी कि दीदी के साथ जीजा भी बन गये वो लोग.

पूनम अभी भी बस यही सोच रही थी कि लेटर पढ़ लूँगी और माँ के आने से पहले उसे फाड़ कर दूर फेंक दूँगी.

एन्वेलप के उपर 3 स्टेप्लर पिन लगा हुआ था, जिसे पूनम खोल रही थी. एन्वेलप से गुलाब की खुश्बू बाहर आ रही थी. वैसे तो वो एन्वेलप
खोलती भी नही, लेकिन चूँकि अभी उसकी माँ घर पे नही थी, इसलिए उसके पास तोड़ा टाइम था और उसकी हिम्मत बनी हुई थी.

वो एन्वेलप का पिन हटाकर पूनम बेड पे ठीक से रखी. एन्वेलप खोलते ही उसके नथूनो मे गुलाब की खुश्बू भर गयी. एन्वेलप के अंदर से एक पेपर बाहर झाँक रहा था. पूनम जल्दी से उस पेपर को बाहर निकाली और एन्वेलप को बेड पे रखने लगी, लेकिन उसे एन्वेलप मे और भी कुच्छ होने का अंदाज़ा लगा.

पूनम एन्वेलप को उल्टा कर दी और अंदर से 10 पोस्टकार्ड साइज़ के फोटो और साथ मे गुलाब की कई सारी पंखुड़ियाँ उसके हाथों मे और ज़मीन पे आ गिरी. उसकी नज़र अपने हाथ के उन फोटोस पे पारी और उपर वाला पहला फोटो देखते ही पूनम का दिमाग़ घूम गया. उसका
बदन झंझणा उठा और उसकी रूह सिहर गयी.
 
कहाँ तो पूनम को लग रहा था कि ये लव लेटर होगा, लेकिन ये तो कुच्छ और ही था. ये फोटो एक नंगी लड़की की थी जो सीधी खड़ी थी और पिछे से दो हाथ सामने आ कर उसकी दोनो चुचियों को ज़ोर से मसले हुए था. वो लड़की अपनी चुचियाँ दबाए जाने पे जो आनंद महसूस कर
रही थी, वो उसके चेहरे पे झलक रहा था. लड़की का एक हाथ उसकी जांघों पे था और दूसरा उस हाथ के उपर जो उसकी चुचियों को आटे
की लो की तरह मसले हुए था. पूनम के बदन पे चीटिया रेंगने लगी थी.

वो जल्दी से दूसरी फोटो देखी तो उसमे एक दूसरी नंगी लड़की दोनो पैरों को फैलाए हुए सीधी लेटी हुई थी और एक लड़का उसके दोनो पैरों क बीच मे अपना मुँह लगाए हुए था. लड़की का एक हाथ लड़के के सिर पे था और दूसरा हाथ उसकी अपनी चुचियों पे था जिसे वो खुद से
ज़ोर से मसले हुई थी. इस लड़की की आँखें बंद थी और चेहरे पर भी आनंद की अनुभीति फैली हुई थी.

पूनम जल्दी जल्दी बाकी फोटो देखने लगी. और भी पिक्स इसी तरह के थे. पूनम के जिस्म के अंदर कुच्छ बदलने लगा था. वो अपनी जांघों के बीच मे गीलापन महसूस कर रही थी. वो अपने हाथों से अपनी चूत को सहलाई. वो अपनी चूत को दबा रही थी, उसे समझ मे नही आ रहा
था कि ये क्या है. उसे इन लड़कों पे बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन अभी गुस्सा से ज़्यादा उसका जिस्म रोमांचित हो रहा था.

पूनम कभी भी इस तरह की पिक्स नही देखी थी. उसकी एक सहेली स्कूल मे ऐसी ही पिक्स वाली एक बुक लाई थी, लेकिन पूनम उसे गंदा चीज़ बोलते हुए अपनी सहेली को ही डाँट दी थी. बाद मे हालाँकि उसका मन किया था इन पिक्स को देखने का, लेकिन वो देखी नही थी.
अभी भी पूनम का मन हो रहा था और पिक्स देखने का, लेकिन उसे डर लग रहा था कि उसकी माँ आने वाली होगी.

वो लेटर को और उन पिक्स को अपने आल्मिराह मे कपड़ों के बीच मे छुपा दी और पिन, एन्वेलप और गुलाब की पंखुड़ियों को समेट कर घर
के पिछे के खुले मैदान मे फेक दी. उसकी माँ अभी भी नही आई थी.

पूनम वापस अपने रूम मे आ गयी और अपने ऑफीस के कपड़े खोल कर घर मे पहनने वाली नाइट ड्रेस टॉप और ट्राउज़र पहन ली. वो
आल्मिराह खोली और पिक्स को और लेटर को अपने हाथ मे लेकर देखने लगी. वो अपने हाथ से अपनी चूत को ज़ोर से दबाई.

अभी जो पिक उपर था उसमे एक लड़की नीचे अपने पंजो के बल बैठी हुई थी और सामने खड़े लड़के का लंड अपने मुँह मे भरे हुए थी.

पूनम अपना ट्राउज़र और पैंटी को घुटने तक नीचे कर ली और गौर से उस पिक को देखने लगी. लंड का सिर्फ़ सुपाडा लड़की के मुँह मे था जिसे अंदर लेने के लिए लड़की अपना मुँह पूरा फाडे हुए थी. लड़की के दोनो हाथ उस लड़के की कमर पे थे और लड़के ने लड़की के सिर
को अपने दोनो हाथों से पकड़ा हुआ था और जैसे उसे अपने लंड पे दबा रहा हो.
 
ये पहला मौका था जब पूनम कोई लंड इस तरह देखी थी. पूनम की उंगलियाँ उसकी चूत की दरारों मे रेंग रही थी और उसकी चूत का गीलापन उसकी उंगलियों पे आ रहा था.

पूनम अपने हाथों से अपनी चूत सहला रही थी. इससे पहले वो ऐसा तब की थी जब अमित ने पहली बार एक रेस्टोरेंट के कॅबिन मे उसे हग किया था और उसके माथे पे किस किया था. पूनम की बड़ी चुचियाँ अमित के सीने से दब गयी थी. पूनम का मन हो रहा था कि अमित कुच्छ और शरारत करे, लेकिन अमित पहली मुलाकात मे कुच्छ और कर के खुद को छिछोरा नही दिखाना चाहता था. और उसी दिन रेस्टोरेंट से
निकलते वक़्त ग़लती से एक वेटर की कोहनी उसकी चुचि से टकरा गयी थी और पूनम का रोम रोम झंझणा उठा था. उस रात पूनम पूरी नंगी होकर सोई थी और खुद को अमित से चुदवाते हुए इमॅजिन करते हुए अपनी छूट सहलाई थी और चूत से पानी निकाली थी.

पूनम अगला पिक देखी जिसमे एक लड़का नीचे लेटा हुआ था और उसके उपर एक लड़की उसके लंड को अपनी चूत मे फसाए हुए बैठी हुई थी. लड़के के दोनो हाथ उस नंगी लड़की की चुचियो पे थे और ज़ोर से मसले हुए थे. लड़की परम सुख के आनंद मे डूबी हुई थी.

पूनम अपनी चूत को सहलाती हुई जल्दी जल्दी बाकी पिक्स भी देखने लगी. सभी पिक्स इसी तरह के थे. पूनम अब लेटर खोली और उसे पढ़ने लगी.

प्यारी पूनम डार्लिंग,

तुम बहुत अच्छी हो. तुम्हारा कसा हुआ जिस्म टाइट कपड़ो मे बहुत आकर्षक लगता है. तुम्हारी चाल इतनी मस्तानी है कि मेरा मन करता है कि रोड पे ही तुम्हे पकड़ लूँ और अपने सीने से दबा कर तुम्हारे रसीले होठों को चूमने लगूँ. जब तुम मेरे सीने से लगोगी और तुम्हारी गोल
मुलायम चुचियाँ मेरे सीने से दबेगी तो कितना मज़ा आएगा ये सोच कर ही मेरा लंड टाइट हो जाता है. मैं तुम्हारी इन रसीली चुचियों को मुँह
मे भरकर चूस लूँ

पूनम लेटर पढ़ने मे और अपनी चूत सहलाने मे मशगूल थी की उसे गेट पे आहट सुनाई दी. वो जल्दी से लेटर और फोटोस को आल्मिरा मे अपने कपड़ों के बीच मे छुपाई और अपने ट्राउज़र और पैंटी को उपर करती हुई दौड़ कर बाहर आई और गेट खोली. उसकी माँ सब्जी लेकर आ चुकी थी. पूनम वापस अपने रूम मे चली गयी, लेकिन अभी वो उस लेटर को पढ़ने की हिम्मत नही कर सकती थी.

पूनम को बैचैनि हो रही थी. उसका मन कर रहा था कि कब जल्दी से रात हो और वो पूरी चिट्ठी पढ़े. उसे उन दोनो लड़कों पे बहुत गुस्सा आ रहा था कि उनकी हिम्मत कैसे हुई इस तरह के फोटो भेजने की और ऐसा लेटर लिखने की. पूनम पहली बार इस तरह कहीं से चुचियाँ और
लंड वर्ड लिखा हुआ पढ़ी थी. और जिन चुचियों की बात हो रही थी वो उसी की थी. कोई लड़का लव लेटर मे उसे चोदने की बात कर रहा था.
 
पूनम को बैचैनि हो रही थी. उसका मन कर रहा था कि कब जल्दी से रात हो और वो पूरी चिट्ठी पढ़े. उसे उन दोनो लड़कों पे बहुत गुस्सा आ रहा था कि उनकी हिम्मत कैसे हुई इस तरह के फोटो भेजने की और ऐसा लेटर लिखने की. पूनम पहली बार इस तरह कहीं से चुचियाँ और
लंड वर्ड लिखा हुआ पढ़ी थी. और जिन चुचियों की बात हो रही थी वो उसी की थी. कोई लड़का लव लेटर मे उसे चोदने की बात कर रहा था.

पूनम के दिमाग़ मे बहुत कुच्छ चलता रहा. वो बाथरूम गयी तो उसकी चूत से कुच्छ सफेद सा निकल कर उसकी पैंटी मे लगा हुआ था. उसकी पैंटी अभी भी गीली थी. पूनम के दिमाग़ मे लेटर मे लिखे हुए वर्ड्स इमॅजिन होने लगे और साथ ही वो पिक्स भी उसकी आँखों के
सामने घूमने लगी. उसका मन हुआ कि चूत मे उंगली करने लगे, लेकिन वो तुरंत ही बाहर आ गयी.

पूनम के पापा भी घर आ गये थे और पूनम नॉर्मल की तरह बातें करने मे और टीवी देखने मे बिज़ी हो गयी. वो चाह रही थी कि कब रात हो और वो अपने रूम मे जाकर लेटर पूरा पढ़ पाए और फिर उसे फाड़ कर बाहर फेक आए. उसके मन मे ये डर समाया हुआ था कि कहीं किसी ने उस सब को देख लिया तो क्या होगा.

पूनम आज जल्दी ही सोने के लिए रूम मे आ गयी. वो कभी गेट बंद कर के नही सोती थी. गेट का दरवाजा बस सटा हुआ रहता था. पूनम बेड पे लेट गयी. अभी उसके मम्मी पापा सोने नही गये थे. वो धीरे से आल्मिरा खोली और पिक्स और लेटर निकाल कर बेड के नीचे छुपा दी,
क्यू कि रात मे सबके सोने के बाद अगर वो आल्मिराह खोलती तो आवाज़ होता.
पूनम बेड पे लेटी हुई थी और उसके मन मे बहुत कुच्छ चल रहा था. उसे गुस्सा भी आ रहा था उन लड़कों पे, हँसी भी आ रही थी कि उसे
इस तरह का लव लेटर मिला है और उसकी आँखों के सामने पिक्स वाले सीन भी घूम रहे थे.

थोरी देर बाद पूनम के मम्मी पापा सो गये. पूनम पहले उठी और बाथरूम जाने के बहाने से पूरा कन्फर्म कर ली कि उसके मम्मी पापा नींद मे सो गये हैं कि नही. फिर वो अपने रूम मे आई और धीरे से गेट बंद कर ली और लाइट जलता हुआ रहने दी. पूनम का जिस्म उत्तेजना से
काँपने लगा था. वो बेड के नीचे से पिक्स और लेटर निकाली और फिर से पहले पिक्स ही देखने लगी.

उसमे एक लड़की नंगी होकर डॉगी स्टाइल मे थी और एक लड़का पिछे से उसकी कमर को पकड़े हुए उसकी चूत मे लंड डाले हुए था. आधा लंड बाहर दिख रहा था. एक दूसरा लंड उस लड़की के मुँह मे था. इसका भी आधा लंड बाहर दिख रहा था. लड़की की चुचियाँ नीचे की
तरफ लटकी हुई हवा मे झूल रही थी. दो लंड एक साथ लेते हुए वो लड़की कॅमरा की तरफ देख रही थी.

पूनम पिक्स को पहले बेड पे रख दी और फिर उठ कर अपने कपड़े उतार दी. वो पूरी नंगी हो गयी और अब उस फोटो को गौर से देखने
लगी. उसे आश्चर्य हो रहा था कि एक लड़की दो लोगों के साथ मज़ा कर रही है.

पूनम अपने पैर को मोड़ कर फैला ली और एक हाथ से अपनी चूत को फिर से सहलाने लगी थी. पूनम पिक को नीचे बेड पे रख दी और उसी तरह डॉगी स्टाइल मे होकर खुद को उसी लड़की की तरह इमॅजिन करने लगी. वो खुद को आगे पिछे करने लगी जैसे कोई उसे पिछे से धक्का लगा रहा हो. उसकी चुचियाँ हवा मे झूल रही थी.
 
वो फिर ठीक से बैठ गयी और बाकी पिक्स देखने लगी. अगली पिक्स मे लड़का सोफा पे बैठा हुआ था और लड़की उसके लंड को अपनी चूत मे समा कर बैठी हुई थी. ये लड़की भी आनंद से परिपूर्ण थी. उसकी एक चुचि को वो अपने हाथ से पकड़े हुई थी और दूसरी चुचि उस लड़के के मुँह मे थी. पूनम अपनी चूत मे ज़ोर ज़ोर से उंगली चलाने लगी.

वो और बाकी पिक्स भी देखने लगी और अपनी चूत मे उंगली ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगी. अभी जो अगला पिक पूनम की नज़रों के सामने था उसमे लड़की नंगी लेटी हुई थी और उसके चेहरे के सामने लंड था. उस लड़के के चेहरे और होठों पे कोई सफेद सा लिक्विड गिरा
हुआ था. पूनम को समझ नही आया कि वो सफेद लिक्विड क्या है. उसे लगा कि ये लड़की भी लंड चूस रही होगी.

पूनम की उत्तेजना और बढ़ गयी और उसकी उंगली की स्पीड चूत मे और बढ़ गयी. फिर वोही होना था, उसकी चूत ने ढेर सारा काम रस बहा दिया और पूनम निढाल होकर बेड पे पड़ गयी. वो सारा काम रस धीरे धीरे उसकी चूत से बह कर बाहर उसकी जांघों पे फैलने लगा
और बेड पे आने लगा. पूनम अपनी आँखें खोली और अपनी पैंटी से अपनी चूत और उस पर लगे काम रस को पोछ ली.

चूत से पानी निकाल लेने के बाद उसे होश आया. उसे उन लड़कियों पे घृणा आ रही थी और इन लड़कों पे गुस्सा. 'कैसे कोई लड़की एक साथ दो लड़कों के साथ सेक्स कर सकती है और ऐसे पिक्स खिचवा सकती है. अगर उसके घर के किसी आदमी ने देख लिया तो फिर क्या
होगा. छ्हिह.....' अब उसका ध्यान लेटर पे गया.

वो पेट के बल लेट गयी और लेटर पढ़ने लगी.

प्यारी पूनम डार्लिंग,

तुम बहुत अच्छी हो. तुम्हारा कसा हुआ जिस्म टाइट कपड़ों मे बहुत आकर्षक लगता है. तुम्हारी चाल इतनी मस्तानी है कि मेरा मन करता है कि रोड पे ही तुम्हे पकड़ लूँ और अपने सीने से दबा कर तुम्हारे रसीले होठों को चूमने लगूँ. जब तुम मेरे सीने से लगोगी और तुम्हारी गोल
मुलायम चुचियाँ मेरे सीने से दबेगी तो कितना मज़ा आएगा ये सोच कर ही मेरा लंड टाइट हो जाता है.

मैं तुम्हारी इन रसीली चुचियों को मुँह मे भरकर चूसना चाहता हूँ, तुम्हारे सॉफ्ट निपल को अपने जीभ और दाँतों से मसलना चाहता हूँ. मेरी हूर परी, मैं तुम्हारी चूत की गहराई मे अपने लंड को उतारना चाहता हूँ. अपने लंड से निकलने वाले ताज़े वीर्य को तुम्हारी टाइट कमसिन चूत
मे भरना चाहता हूँ. तुम्हे अपने टेस्टी वीर्य को टेस्ट करवाना चाहता हूँ और तुम्हारी बेशक़ीमती चूत के रस से अपनी प्यास बुझाना चाहता हूँ.

तुम यकीन मानो कि तुम्हे इस खेल मे बहुत मज़ा आएगा. साथ के जो पिक्स हैं उनमे तुम उन लड़कियों को देख सकती हो कि वो कितनी खुश है और उन्हे इसमे कितना मज़ा आ रहा है. मेरी जान, इसमे कोई घबराने या शरमाने जैसी बात नही है. ये तो प्रकृति का उपहार है जिसका मज़ा हमे लेना चाहिए. फिर जवानी लौट कर वापस नही आती. यही उमर है मस्ती करने की और हमे दिल खोल कर करनी चाहिए.

तुम उपरवाले का भेजा हुआ हसीन तोहफा हो. मेरी तरफ से कोई ज़बरदस्ती नही है, लेकिन एक बार. बस एक बार हम कुदरत के इस
हसीन तोहफे का लुफ्त उठाना चाहते हैं.

तुम्हारे जवाब का इंतेज़ार रहेगा मेरी हुस्न परी. इस जवानी को यूँ जाया मत होने दो.

तुम्हारे हसीन जिस्म का मज़ा लेने को बेताब

प्यासा.”

ये लेटर पढ़ते पढ़ते पूनम की चूत फिर से गुदगुदा उठी और उसमे से फिर से कुच्छ रिस कर बाहर आने लगा. उस लड़के ने चिट्ठि से ही पूनम की चुदाई कर दी थी. पूनम दुबारा से वो लेटर पढ़ी और फिर से पिक्स देखने लगी. अब उसे समझ आ गया था कि उस लड़की के फेस
पे जो सफेद लिक्विड गिरा हुआ है, दरअसल वो वीर्य है, जो वो लड़की टेस्ट कर रही है.
 
पूनम फिर से सारे पिक्स देखने लगी. अब पिक्स देखते हुए पूनम के दिमाग़ मे लेटर मे लिखी हुई बातें भी आ रही थी. पूनम उन लड़कियों को पहचानने की कोशिश करने लगी. वो किसी भी लड़की को पहचान नही पाई और लड़कों के फेस पिक्स मे नही दिख रहे थे. फोटो मे 2 अलग अलग लड़कियाँ और 2 अलग अलग मॅरीड औरतें थी. पूनम अब गौर से उनके बदन और हरकतों को देख रही थी और उनके बदन से खुद
को कंपॅरिज़न करने लगी. वो चारों खुसूरत चेहरे, गोरे और कसे हुए जिस्म वाली थी. पूनम अपनी चुचि के साइज़ और निपल को देखी तो उसे लगा कि उन चारों से मैं कम तो नही ही हूँ. लेकिन जब वो अपनी बालों से भरी चूत और उन चारों की चिकनी चमकती हुई चूत देखी तो उसे लगा कि मैं इनकी तरह नही हूँ. मैं शरीफ और अच्छे घर की लड़की हूँ.

पूनम अब ये सब रख दी और उन लड़कों के बारे मे सोचने लगी कि 'कैसें हैं वो लड़के जो इतनी लड़कियों के साथ ये सब कर रहे हैं. उनलोगों को और किसी चीज़ से कोई मतलब नही है. बस सेक्स करना है और काम ख़तम. तभी तो सीधा सीधा लेटर मे चुदाई की बात कर रहे हैं. कोई प्यार मोहब्बत नही. सीधी बात, नो बकवास.' उसे पक्का यकीन था कि इस फोटो मे जो लंड है वो इन लड़कों का ही होगा. उसे
फिर से इन लड़कियों पे भी गुस्सा आ रहा था कि 'ये गंदा काम तो करवा ही रही है, मस्ती मे पिक भी खिंचवा रही है. अगर ये पिक उसके किसी घरवाले ने देख लिया तो क्या इज़्ज़त रह जाएगी उसकी.'

फिर उसे लगा कि क्या पता कि ये लड़कियाँ भी इसी तरह की होंगी और कई सारे और लड़कों के साथ भी ऐसा करती होगी. उसके दिमाग़ मे लेटर मे लिखी लाइन चलने लगी कि यही उमर है मस्ती करने की और जवानी फिर लौट कर वापस नही आती. पूनम अपने बारे मे सोचने
लगी कि ‘ये लोग इतने लोगों के साथ मस्ती कर रहे हैं, और एक मैं हूँ जो अभी तक लिप किस भी नही करने दी बेचारे अमित को. लेकिन
शादी के बाद तो ये सब करना ही है. दीदी भी तो अभी जीजा जी से चुदवा ही रही होगी. लेकिन शादी मे तो अभी टाइम है.

पूनम अपने मन मे कुच्छ सोच ली और मुस्कुराते हुए फिर से पिक्स देखने लगी. वो अभी गौर से लंड देख रही थी. उसे अब रियल लंड देखना
था. वो फिर से चूत मे उंगली करने लगी और उसकी चूत ने दुबारा काम रस उगल दिया. पूनम तेज साँसे लेती हुई बेड पे निढाल हो पड़ी रही और उसकी चूत से रस बहकर बेड पे गिरता रहा.

पूनम इसी तरह नंगी ही सो गयी. सुबह अचानक से उसकी आँख खुली तो वो देखी कि फोटो और लेटर इसी तरह बेड पे ही रखा हुआ है. वो हड़बड़ा कर उठी और अपने कपड़े पहन ली और रात मे सोचे हुए अपनी बात के बारे मे सोचने लगी. उसका मन उधेरबुन मे था. वो फिर से
एक बार लेटर पढ़ी और पिक्स को हल्की नज़र से देखी और फोटो और लेटर को आल्मिराह मे अच्छे से छुपा कर रख दी. पूनम अपने निश्चय को मज़बूत करती हुई बाहर आ गयी और बाथरूम चली गयी.

 
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