hotaks444
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खिलोना पार्ट--1
हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपके लिए एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ
आज रीमा बहुत खुश थी & होती भी क्यू ना-उसकी शादी की पहली सालगिरह जो थी.पिच्छले एक-डेढ़ महीने से उसका पति रवि कुच्छ उखड़ा-2 सा & परेशान रह रहा था,पर आज सवेरे ऑफीस जाने से पहले उसने पहले की तरह उसे बाहों मे भर कर जम कर चूमा & प्यार किया था & जाते-2 कह गया था की ऑफीस से आधे दिन की च्छुटी लेकर आ जाएगा.रीमा भी उसे रिझाने & खुश करने मे कोई कसर नही छ्चोड़ना चाहती थी.
बाथरूम मे घुस उसने सारे कपड़े उतारे & शवर ओन कर उसके नीचे खड़ी हो गयी & रवि से हुई वो पहली मुलाकात याद करने लगी.पुणे के जिस हॉस्पिटल मे वो नर्स थी,रवि उसमे अपनी टूटी टाँग का इलाज करने के लिए अड्मिट हुआ था.उस दिन नया ड्यूटी रॉस्टर मिलने पे उसके वॉर्ड मे आज रीमा का पहला दिन था.रवि वाहा कुच्छ दीनो पहले ही अड्मिट हुआ था.जब वो उसे दवा देकर & उसका चार्ट चेक कर जाने लगी तो वो बोला,"नर्स."
"जी?"
"मैं आपके हॉस्पिटल मॅनेज्मेंट की चाल समझ गया हू?"
"जी?",रीमा ने हैरत भरी सवालिया नज़रो से उसे देखा.वॉर्ड के बाकी पेशेंट्स,नर्सस & स्टाफ भी दोनो की बात सुनने लगे थे.
"जी हां.आपका मॅनेज्मेंट बहुत चालक है.उसने जान-बुझ कर इतनी अच्छी नर्सस यहा रखी हैं की पेशेंट को आराम तलबि की लत लग जाए & वो ठीक ही ना होना चाहे,या फिर ठीक हो भी जाए तो यही पड़ा रहे & आराम की ज़िंदगी जीता रहे & हॉस्पिटल जूम के पैसे कमा सके."
उसकी बात सुनते ही वॉर्ड मे सभी की हँसी च्छुत गयी.रीमा भी मुस्कुरा दी & वॉर्ड से निकल गयी.रवि की इस बात पे किसी दूसरी नर्स ने कुच्छ जवाब दिया & वॉर्ड मे हँसी-मज़ाक का सिलसिला चल पड़ा.जहा सब दिल खोल कर हंस रहे थे वही रीमा बस मुस्कुराते हुए वाहा से निकल आई थी.
रीमा को शायद ही कभी किसी ने खुल कर हंसते या जम कर गप्पे लड़ाते देखा हो.लगता था जैसे वो खुद को रोक लेती थी अपनी भावनेयो का खुल कर इज़हार कर लेने से.शायद इसका कारण ये था कि वो 1 अनाथाश्रम मे पली-बढ़ी थी.1 आम बच्चा जैसे-2 बड़ा होता है तो अपने माता-पिता से चीज़ो के लिए ज़िद करता है,कभी उनसे रूठ जाता है तो कभी उनकी गोद मे चढ़ उनसे दुलार करवाता है.पर 1 अनाथ इन सब चीज़ो से महरूम रहता है & शायद इसी कारण वो अपनी चाह,अपने एहसास अपने दिल मे दबाना सीख जाता है.
रीमा अनाथ थी.उसने जब से होश संभाला खुद को अनाथाश्रम मे पाया.अनाथाश्रम की कर्ता-धर्ता थी मौसी.मौसी यानी मिसेज़.भटनागर,पता नही कब किसी बच्चे ने उन्हे मौसी कह दिया था.उसके बाद तो उनका नाम ही मौसी पड़ गया.मौसी का अपना भरा-पूरा परिवार था पर फिर भी वोआनाथाश्रम को पूरा वक़्त देती थी &रीमा को तो बहुत मानती थी.रीमा जल्द से जल्द अपने पैरो पे खड़ी होना चाहती थी सो स्कूल ख़त्म करते ही उसने नर्सिंग मे ग्रॅजुयेशन किया & इस हॉस्पिटल को जाय्न कर लिया.पर आज भी वो अपने अनाथाश्रम & मौसी को नही भूली थी & जब भी मौका मिलता वाहा उनसे मिलने ज़रूर जाती.
रवि के वॉर्ड मे ड्यूटी लगी तो रोज़ उस से मुलाकात होने लगी.उसे रवि 1 बड़ा ज़िंदाडिल & खुशमिजाज़ शख्स लगा.हर वक़्त हल्की-फुल्की बातें या फिर कोई मज़ाक करता रहता पर कोई भी बात तमीज़ के दायरे के बाहर नही जाती.इसी कारण सभी उसे पसंद करते थे.उस से मिलने आने वाले उसके दोस्त भी उसी के जैसे थे.
रीमा को 1 बात थोड़ा खाटकी.हॉस्पिटल मे मरीज़ो के पास उनका कोई रिश्तेदार ज़रूर रहता था पर रवि के पास कोई नही बस बीच मे 3-4 दीनो के लिए उसका बड़ा भाई शेखर आया था पर मा-बाप कभी नही आए.कोई और नर्स होती तो अब तक रवि के दूर के रिश्तेदारो का भी पता पूच्छ चुकी होती पर रीमा अपने काम से काम रखती थी & उसने उस से कभी कुच्छ नही पूचछा.
हा,हर दिन उसे उसके वॉर्ड जाने मे अच्छा लगता था.वो लड़का बातें ही ऐसी करता था.फिर रीमा की 2 दीनो की छुट्टी हो गयी.जब वापस आई तो पता चला कि रवि डिसचार्ज हो चुका है.उस दिन उसे वॉर्ड खाली-2 सा लगा.इसी तरह 4-5 दिन बीत गये.हॉस्पिटल मे मरीज़ आते हैं चले जाते हैं पर पता नही क्यू रवि का जाना उसे अच्छा नही लगा.
उस दिन शाम ड्यूटी ख़त्म कर जैसे ही वो निकली कि किसी ने उसे आवाज़ दी,"नर्स!"
उसने मूड कर देखा तो रवि खड़ा था.इतने दीनो तक उसने उसे बेड पे लेटे देखा था,आज पहली बार खड़े देख रही थी.रवि 6 फ्ट का लंबा,हॅंडसम नौजवान था,उम्र यही कोई 23-24 साल होगी.रीमा भी 22 साल की जवान लड़की थी & रवि की मारदाना खूबसूरती की दिल ही दिल मे तारीफ किए बिना ना रह सकी.
"हाई!नर्स.कैसी हैं?"
"हेलो.मैं ठीक हू.आपका पैर अब कैसा है?"
"बिल्कुल ठीक.डॉक्टर.साहब ने बुलाया था इसीलिए आया था.अच्छा हुआ आप भी मिल गयी.1 बहुत ज़रूरी काम था."
"अच्छा.कैसा काम?"
"आपको थॅंक यू कहना था & कॉफी पिलानी थी."
"क्या?!",रीमा हँसे बिना ना रह सकी.
"हां.जब डिसचार्ज हो रहा था तो मैने सभी डॉक्टर्स ,नर्सस & स्टाफ जिन्होने ने मेरा ध्यान रखा था,उन्हे थॅंक्स कहा था & कॉफी पिलाई थी.आप आई नही थी तो आपकी कॉफी बाकी थी."
रीमा को याद आया,जब वापस आने पे उसने रवि के बारे मे पूचछा था तो बाकी नर्सस ने बताई थी ये कॉफी वाली बात.
"अरे,रवि इसकी कोई ज़रूरत नही.बेकार मे परेशान मत होइए."
"इसमे परेशानी क्या है?कॉफी पीनी है कौन सा एवरेस्ट पे चढ़ना है."
रीमा को फिर हँसी आ गयी.,"वो ठीक है पर फिर भी रहने दीजिए."
"देखिए नर्स,मैं समझ रहा हूँ आप क्यू झिझक रही हैं.मेरा यकीन कीजिए मैं बस आपको थॅंक्स देने के लिए 1 कप कॉफी पिलाना चाहता हू,बस.वादा करता हू ना कोई उल्टी-सीधी बात करूँगा ना ही ऐसी-वैसी हरकत!ये जो बगल वाला केफे है ना वाहा बस 1 कप कॉफी पिएँगे जिसमे 15 या 20 मिनिट लगेंगे बस.फिर आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते."
हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपके लिए एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ
आज रीमा बहुत खुश थी & होती भी क्यू ना-उसकी शादी की पहली सालगिरह जो थी.पिच्छले एक-डेढ़ महीने से उसका पति रवि कुच्छ उखड़ा-2 सा & परेशान रह रहा था,पर आज सवेरे ऑफीस जाने से पहले उसने पहले की तरह उसे बाहों मे भर कर जम कर चूमा & प्यार किया था & जाते-2 कह गया था की ऑफीस से आधे दिन की च्छुटी लेकर आ जाएगा.रीमा भी उसे रिझाने & खुश करने मे कोई कसर नही छ्चोड़ना चाहती थी.
बाथरूम मे घुस उसने सारे कपड़े उतारे & शवर ओन कर उसके नीचे खड़ी हो गयी & रवि से हुई वो पहली मुलाकात याद करने लगी.पुणे के जिस हॉस्पिटल मे वो नर्स थी,रवि उसमे अपनी टूटी टाँग का इलाज करने के लिए अड्मिट हुआ था.उस दिन नया ड्यूटी रॉस्टर मिलने पे उसके वॉर्ड मे आज रीमा का पहला दिन था.रवि वाहा कुच्छ दीनो पहले ही अड्मिट हुआ था.जब वो उसे दवा देकर & उसका चार्ट चेक कर जाने लगी तो वो बोला,"नर्स."
"जी?"
"मैं आपके हॉस्पिटल मॅनेज्मेंट की चाल समझ गया हू?"
"जी?",रीमा ने हैरत भरी सवालिया नज़रो से उसे देखा.वॉर्ड के बाकी पेशेंट्स,नर्सस & स्टाफ भी दोनो की बात सुनने लगे थे.
"जी हां.आपका मॅनेज्मेंट बहुत चालक है.उसने जान-बुझ कर इतनी अच्छी नर्सस यहा रखी हैं की पेशेंट को आराम तलबि की लत लग जाए & वो ठीक ही ना होना चाहे,या फिर ठीक हो भी जाए तो यही पड़ा रहे & आराम की ज़िंदगी जीता रहे & हॉस्पिटल जूम के पैसे कमा सके."
उसकी बात सुनते ही वॉर्ड मे सभी की हँसी च्छुत गयी.रीमा भी मुस्कुरा दी & वॉर्ड से निकल गयी.रवि की इस बात पे किसी दूसरी नर्स ने कुच्छ जवाब दिया & वॉर्ड मे हँसी-मज़ाक का सिलसिला चल पड़ा.जहा सब दिल खोल कर हंस रहे थे वही रीमा बस मुस्कुराते हुए वाहा से निकल आई थी.
रीमा को शायद ही कभी किसी ने खुल कर हंसते या जम कर गप्पे लड़ाते देखा हो.लगता था जैसे वो खुद को रोक लेती थी अपनी भावनेयो का खुल कर इज़हार कर लेने से.शायद इसका कारण ये था कि वो 1 अनाथाश्रम मे पली-बढ़ी थी.1 आम बच्चा जैसे-2 बड़ा होता है तो अपने माता-पिता से चीज़ो के लिए ज़िद करता है,कभी उनसे रूठ जाता है तो कभी उनकी गोद मे चढ़ उनसे दुलार करवाता है.पर 1 अनाथ इन सब चीज़ो से महरूम रहता है & शायद इसी कारण वो अपनी चाह,अपने एहसास अपने दिल मे दबाना सीख जाता है.
रीमा अनाथ थी.उसने जब से होश संभाला खुद को अनाथाश्रम मे पाया.अनाथाश्रम की कर्ता-धर्ता थी मौसी.मौसी यानी मिसेज़.भटनागर,पता नही कब किसी बच्चे ने उन्हे मौसी कह दिया था.उसके बाद तो उनका नाम ही मौसी पड़ गया.मौसी का अपना भरा-पूरा परिवार था पर फिर भी वोआनाथाश्रम को पूरा वक़्त देती थी &रीमा को तो बहुत मानती थी.रीमा जल्द से जल्द अपने पैरो पे खड़ी होना चाहती थी सो स्कूल ख़त्म करते ही उसने नर्सिंग मे ग्रॅजुयेशन किया & इस हॉस्पिटल को जाय्न कर लिया.पर आज भी वो अपने अनाथाश्रम & मौसी को नही भूली थी & जब भी मौका मिलता वाहा उनसे मिलने ज़रूर जाती.
रवि के वॉर्ड मे ड्यूटी लगी तो रोज़ उस से मुलाकात होने लगी.उसे रवि 1 बड़ा ज़िंदाडिल & खुशमिजाज़ शख्स लगा.हर वक़्त हल्की-फुल्की बातें या फिर कोई मज़ाक करता रहता पर कोई भी बात तमीज़ के दायरे के बाहर नही जाती.इसी कारण सभी उसे पसंद करते थे.उस से मिलने आने वाले उसके दोस्त भी उसी के जैसे थे.
रीमा को 1 बात थोड़ा खाटकी.हॉस्पिटल मे मरीज़ो के पास उनका कोई रिश्तेदार ज़रूर रहता था पर रवि के पास कोई नही बस बीच मे 3-4 दीनो के लिए उसका बड़ा भाई शेखर आया था पर मा-बाप कभी नही आए.कोई और नर्स होती तो अब तक रवि के दूर के रिश्तेदारो का भी पता पूच्छ चुकी होती पर रीमा अपने काम से काम रखती थी & उसने उस से कभी कुच्छ नही पूचछा.
हा,हर दिन उसे उसके वॉर्ड जाने मे अच्छा लगता था.वो लड़का बातें ही ऐसी करता था.फिर रीमा की 2 दीनो की छुट्टी हो गयी.जब वापस आई तो पता चला कि रवि डिसचार्ज हो चुका है.उस दिन उसे वॉर्ड खाली-2 सा लगा.इसी तरह 4-5 दिन बीत गये.हॉस्पिटल मे मरीज़ आते हैं चले जाते हैं पर पता नही क्यू रवि का जाना उसे अच्छा नही लगा.
उस दिन शाम ड्यूटी ख़त्म कर जैसे ही वो निकली कि किसी ने उसे आवाज़ दी,"नर्स!"
उसने मूड कर देखा तो रवि खड़ा था.इतने दीनो तक उसने उसे बेड पे लेटे देखा था,आज पहली बार खड़े देख रही थी.रवि 6 फ्ट का लंबा,हॅंडसम नौजवान था,उम्र यही कोई 23-24 साल होगी.रीमा भी 22 साल की जवान लड़की थी & रवि की मारदाना खूबसूरती की दिल ही दिल मे तारीफ किए बिना ना रह सकी.
"हाई!नर्स.कैसी हैं?"
"हेलो.मैं ठीक हू.आपका पैर अब कैसा है?"
"बिल्कुल ठीक.डॉक्टर.साहब ने बुलाया था इसीलिए आया था.अच्छा हुआ आप भी मिल गयी.1 बहुत ज़रूरी काम था."
"अच्छा.कैसा काम?"
"आपको थॅंक यू कहना था & कॉफी पिलानी थी."
"क्या?!",रीमा हँसे बिना ना रह सकी.
"हां.जब डिसचार्ज हो रहा था तो मैने सभी डॉक्टर्स ,नर्सस & स्टाफ जिन्होने ने मेरा ध्यान रखा था,उन्हे थॅंक्स कहा था & कॉफी पिलाई थी.आप आई नही थी तो आपकी कॉफी बाकी थी."
रीमा को याद आया,जब वापस आने पे उसने रवि के बारे मे पूचछा था तो बाकी नर्सस ने बताई थी ये कॉफी वाली बात.
"अरे,रवि इसकी कोई ज़रूरत नही.बेकार मे परेशान मत होइए."
"इसमे परेशानी क्या है?कॉफी पीनी है कौन सा एवरेस्ट पे चढ़ना है."
रीमा को फिर हँसी आ गयी.,"वो ठीक है पर फिर भी रहने दीजिए."
"देखिए नर्स,मैं समझ रहा हूँ आप क्यू झिझक रही हैं.मेरा यकीन कीजिए मैं बस आपको थॅंक्स देने के लिए 1 कप कॉफी पिलाना चाहता हू,बस.वादा करता हू ना कोई उल्टी-सीधी बात करूँगा ना ही ऐसी-वैसी हरकत!ये जो बगल वाला केफे है ना वाहा बस 1 कप कॉफी पिएँगे जिसमे 15 या 20 मिनिट लगेंगे बस.फिर आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते."