Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान - SexBaba
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Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान

hotaks444

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Nov 15, 2016
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सर- दीपाली ये क्या है? इस बार भी फेल.. आख़िर तुम करती क्या हो..? पढ़ाई में तुम्हारा ध्यान क्यों नहीं लगता। जब स्कूल-टेस्ट में ये हाल है तो बोर्ड के इम्तिहान में क्या खाक लिखोगी?

ये सर हैं विकास वर्मा जिनकी उम्र 35 साल है और ये साइन्स के टीचर हैं.. थोड़े कड़क मिज़ाज के हैं। इनका कद और जिस्म की बनावट अच्छी है.. और एकदम फिट रहते हैं।

दीपाली- सॉरी सर प्लीज़.. मुझे माफ़ कर दो.. अबकी बार अच्छे नम्बर लाऊँगी.. प्लीज़ प्लीज़…

दोस्तो, यह है दीपाली सिंह.. अच्छे ख़ासे पैसे वाले घर की एक मदमस्त यौवन की मालकिन.. जिसकी उम्र 18 साल, कद 5’3″.. छोटे सुनहरे बाल.. गुलाब की पंखुड़ी जैसे पतले गुलाबी होंठ.. भरे हुए गोरे गाल.. नुकीले 30″ के मम्मे.. पतली कमर और 32″ की मदमस्त गाण्ड।

स्कूल में कई लड़के दीपाली पर अपना जाल फेंक रहे हैं कि काश एक बार उसकी मचलती जवानी का मज़ा लूट सकें..

मगर वो तो तितली की तरह उड़ती फिरती थी। कभी किसी के हाथ ना आई !

और हाँ आपको यह भी बता दूँ कि गंदी बातों से दूर-दूर तक उसका वास्ता नहीं था। वो शरारती थी.. मगर शरीफ़ भी थी। उसको चुदाई वगैरह का कोई ज्ञान नहीं था।

सर- नो.. अबकी बार तुम्हारी बातों में नहीं आऊँगा.. कल तुम अपने मम्मी-पापा को यहाँ लेकर आओ.. बस अब उनसे ही बात करूँगा कि आख़िर वो तुम पर ध्यान क्यों नहीं देते।

दीपाली- सर आप मेरी बात तो सुनिए.. बस साइन्स में मेरे नम्बर कम आए हैं और बाकी सब विषयों में मेरे अच्छे नम्बर आए हैं।

सर- जानता हूँ इसी लिए तो हर बार तुम्हारी बातों में आ जाता हूँ.. तुम बहुत अच्छी लड़की हो.. सब विषयों में अच्छे नम्बर लाती हो.. मगर ना जाने विज्ञान में तुम पीछे क्यों रह गई.. आज तो मुझे बता ही दो आख़िर बात क्या है?

दीपाली- व..वो.. सर आप तो जानते ही हो.. मैं रट्टा नहीं मारती.. सारे विषयों को समझ कर याद करती हूँ.. विज्ञान का पता ही नहीं चलता क्या लिखा है… क्यों होता है.. बस इसी उलझन में रहती हूँ तो ये सब हो जाता है और नम्बर कम आ जाते हैं।

सर- क्या.. अरे तुम क्या बोल रही हो..? मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा ठीक से बताओ मुझे।

दीपाली- वो.. वो.. सर मानव अंगों के बारे में मेरी सहेलियाँ पता नहीं क्या-क्या बोलती रहती हैं.. बड़ा गंदा सा बोलती हैं.. म…म..मुझे अच्छा नहीं लगता.. बस इसलिए मैं विज्ञान में इतनी रूचि नहीं लेती हूँ।

दीपाली की बात सुनकर विकास सर के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई।

सर- अच्छा तो ये बात है.. ऐसा करो शाम को तुम किताब लेकर मेरे घर आना.. वहाँ बताना ठीक से.. अभी मेरा क्लास लेने का वक्त हो रहा है.. देखो आ जाना नहीं तो कल तुम्हारे पापा से मुझे मिलना ही होगा।

दीपाली तो फँस गई थी.. अब विकास शाम को उसका फायदा उठाएगा.. आप यही सोच रहे हो ना..

मेरे प्यारे दोस्तों देश बदल रहा है.. सोच बदलो.. खुद देख लो।

शाम को 6 बजे दीपाली विकास सर के घर पहुँच जाती है।

सर- अरे आओ आओ.. दीपाली बैठो.. अरे अनु ज़रा यहा आना.. देखो दीपाली आई है, मैंने बताया था ना तुमको…

अनुजा- जी अभी आई।

दोस्तो, यह है अनुजा वर्मा.. यह विकास सर की पत्नी है, दिखने में बड़ी खूबसूरत है, इसका फिगर 34″ 32″36″ है। इनकी शादी को 3 साल हो गए हैं। दोनों बेहद खुश रहते हैं।

अरे यार आप अनुजा को भूल गए.. हाँ भाई ये वही अनुजा गुप्ता और विकास हैं.. जो पहले लवर थे, अब इनकी शादी हो गई है और अनुजा गुप्ता से वर्मा बन गई है.. चलो अब आगे का हाल देखते हैं।

अनुजा- हाय दीपाली कैसी हो?

दीपाली- मैं एकदम ठीक हूँ मैम!

सर- दीपाली, ये है मेरी पत्नी अनुजा.. सुबह तुमने अपनी प्राब्लम मुझे बताई थी ना.. मैंने अनु को सब बताया है.. अब मैं नहीं ये ही तुम्हारी मदद करेंगी। चलो तुम दोनों बातें करो मैं थोड़ी देर में बाहर जाकर आता हूँ ओके..।

दीपाली- ओके सर थैंक्स।

अनुजा- हाँ तो दीपाली.. अब बताओ तुम्हारी प्राब्लम क्या है और देखो किसी भी तरह की झिझक मत रखना.. सब ठीक से बताओ ओके..

दीपाली- ओके मैम बताती हूँ।

अनुजा- अरे ये मैम-मैम क्या लगा रखा है मुझे दीदी भी बोल सकती हो.. अब बताओ तुम्हारी सहेलियाँ क्या बोलती हैं?

दीपाली- व..ववो दीदी… मैंने उनसे एक बार पूछा ये योनि और लिंग किसे कहते हैं तब उन्होंने मेरा बड़ा मज़ाक उड़ाया और मेरे यहाँ हाथ लगा कर कहा.. इसे योनि कहते हैं और इसकी ठुकाई करने वाले डंडे को लिंग कहते हैं।

दीपाली ने अपना हाथ चूत पर रखते हुए यह बात बोली तो अनुजा की हँसी निकल गई।

दीपाली- दीदी आप भी ना मेरा मज़ाक उड़ा रही हो.. जाओ मैं आपसे बात नहीं करती। इसी लिए मैं किसी से इस बारे में बात नहीं करती हूँ।
 
अनुजा- अरे तू तो बुरा मान गई.. देख मेरा इरादा तेरा मजाक उड़ाने का नहीं था.. बस ये सोच कर हँसी आ गई कि तुम किस दुनिया से आई हो जो इतनी भोली हो.. अब सुनो मैं जो पूछू उसका सही जबाव देना और जो बोलूँ उसको ध्यान से सुनना।

दीपाली- ठीक है दीदी आप कहो।

अनुजा- सबसे पहले यह बता कि तेरी उम्र क्या है.. और तुम्हारे घर में कौन-कौन है.. तुम सोती किसके साथ हो?

दीपाली- दीदी मैं 18 की हूँ.. मैं पापा-मम्मी की इकलौती बेटी हूँ.. हमारा घर काफ़ी बड़ा है। मैं करीब 6 साल से अलग कमरे में सोती हूँ.. नहीं तो पहले मम्मी के कमरे में ही सोती थी।

अनुजा- अच्छा यह बात है.. तुम सेक्स के बारे में क्या जानती हो.. किसी से कुछ सुना होगा… वो बताओ।

दीपाली- ये सेक्स क्या होता है दीदी.. मुझे नहीं पता.. हाँ मेरी सहेलियाँ अक्सर बातें करती हैं.. बस उनसे मैंने सुना था कि लड़कों का पोपट होता है.. और लड़की का पिंजरा.. मगर मेरे कभी कुछ समझ नहीं आया।

अनुजा- ओह ये बात है.. तेरी सहेलियाँ कोडवर्ड में बातें करती हैं और तुम सच में बहुत भोली हो। अच्छा ये बताओ क्या कभी किसी ने तुम्हारे सीने पर हाथ रखा है या इनको छुआ या दबाया है..? तुमने किसी लड़के को पेशाब करते देखा है?

दीपाली- छी छी.. दीदी आप भी ना.. मैं क्यों किसी को पेशाब करते देखूँगी और आज तक किसी ने मुझे नहीं छुआ है।

अनुजा- अच्छा ये बात है.. तभी तुम ऐसी हो.. अब अपने अंगों के नाम बताओ.. मैं भी तो देखूँ तुम क्या जानती हो।

अनुजा ने दीपाली के गुप्तांगों के नाम उससे पूछे।

दीपाली- दीदी ये सीना है.. ये फुननी है और ये पिछवाड़ा बस।

अनुजा- अरे भोली बहना.. अब सुन ये सीना को मम्मों.. चूचे या कच्ची लड़की के अमरूद भी बोलते हैं और इसको चूत या बुर बोलते हैं समझी और ये पिछवाड़ा नहीं.. एस या गाण्ड है.. जिसको मटका-मटका कर तुम चलती हो और लड़कों के लौड़े खड़े हो जाते हैं।

अनुजा बोलने के साथ दीपाली के अंगों पर हाथ घुमा-घुमा कर मज़े ले रही थी। दीपाली को बड़ा अजीब लग रहा था मगर उसको मज़ा भी आ रहा था।

दीपाली- उफ़फ्फ़ आह दीदी ये लौड़ा क्या होता है?

अनुजा- अरे पगली दुनिया की सबसे अच्छी चीज़ के बारे में नहीं जानती..? लड़कों की फुननी को लौड़ा बोलते है जो चूत के लिए बना है.. बड़ा ही सुकून मिलता है लौड़े से।

दीपाली- दीदी कसम से.. मुझे इन सब बातों के बारे में कुछ भी पता नहीं था.. थैंक्स आपने मुझे बताया.. मगर मेरी एक बात नहीं समझ आ रही इन सब बातों का मेरे इम्तिहान में फेल होने से क्या सम्बन्ध?

अनुजा- अरे दीपाली.. तू सब विषयों में अच्छी है क्योंकि तुझे उन सबकी समझ है.. मगर विज्ञान में तू अनजान है क्योंकि तुझे कुछ पता नहीं.. ये चूत.. लौड़ा और चुदाई सब विज्ञान का ही तो हिस्सा हैं। अब देख मैं कैसे तुझे सेक्स का ज्ञान देती हूँ और देखना अबकी बार कैसे तेरे नम्बर अच्छे आते हैं.. बस तू मेरी बात मानती रहना, जैसा मैं कहूँ वैसा करती रहना।

दीपाली- ओके दीदी.. मैं आपकी सब बात मानूँगी.. बस मेरे नम्बर अच्छे आने चाहिए।

अनुजा ने आधा घंटा तक दीपाली को लड़की और लड़के के बारे में बताया और उसको जाते समय एक सेक्स की कहानी वाली किताब भी दी।

दीपाली- दीदी ये क्या है?

अनुजा- ये असली विज्ञान है.. रात को अपने कमरे में कुण्डी लगा कर सारे कपड़े निकाल कर इस किताब को पढ़ना.. और कल शाम को आ जाना.. बाकी सब कल समझा दूँगी।

दीपाली- सारे कपड़े निकाल कर.. नहीं दीदी मुझे शर्म आ रही है।

अनुजा- अरे पगली मैं किसी के सामने नंगी होने को नहीं बोल रही हूँ.. अकेले में ये करना है और नहाते वक्त क्या कपड़े पहन कर नहाती हो जो इतना शर्मा रही हो..? पास नहीं होना है क्या..?

दीपाली- सॉरी दीदी.. जैसा आपने कहा, वैसा कर लूँगी।


दीपाली वहाँ से अपने घर चली जाती है।

रात को 10 बजे खाना खाकर दीपाली अपने कमरे में चली जाती है।

उसने हल्के हरे रंग की नाईटी पहनी हुई थी..
वो शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आपको देखने लगती है। उसके दिमाग़ में अनुजा की कही बातें घूम रही थीं।

दीपाली ने अपनी नाईटी निकाल कर रख दी अब वो ब्रा-पैन्टी में थी.. उसके चूचे ब्रा से बाहर निकलने को मचल रहे थे।

गोरा बदन शीशे के सामने था.. जिसे देखकर शीशा भी शर्मा रहा था।

पैन्टी पर चूत की जगह गीली हो रही थी.. शायद दीपाली कुछ ज़्यादा ही अनुजा की बातें सोच रही थी।

दोस्तो, इस बेदाग जिस्म पर काली ब्रा-पैन्टी भी क्या सितम ढा रही थी।

इस वक़्त कोई ये नजारा देख ले तो उसका लौड़ा पानी छोड़ दे।
 
दीपाली- ओह्ह.. दीदी अपने सच ही कहा था कि अपने नंगे बदन को शीशे में देखो.. मज़ा आएगा।

कसम से वाकयी में.. मेरे पूरे जिस्म में आग लग रही है.. बड़ा मज़ा आ रहा है।

दीपाली ने कमर पर हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और अपने मचलते चूचे आज़ाद कर दिए।

सुई की नोक जैसे नुकीले चूचे आज़ाद हो गए दोस्तों दीपाली के निप्पल हल्के भूरे रंग के.. एकदम खड़े हो रहे थे।

अगर कोई गुब्बारा इस समय उसकी निप्पल को छू जाए तो उसकी नोक से फूट जाए।

अब दीपाली का हाथ अपनी पैन्टी पर गया वो धीरे-धीरे उसको जाँघों से नीचे खिसकने लगी और उसकी चूत ने अपना दीदार करवा दिया।

उफ़फ्फ़ क्या.. बताऊँ आपको.. सुनहरी झाँटों से घिरी उसकी गुलाबी चूत.. जो किसी बरफी की तरह नॉकदार और फूली हुई थी। उसकी चूत से रस निकल रहा था.. जिसके कारण उसकी फाँकें चमक रही थीं और हल्की-हल्की एक मादक खुशबू आने लगी। दीपाली ने अपने चूचों पर हाथ घुमाया और धीरे-धीरे अपनी चूत तक ले गईउसकी आँखें बंद थीं और चेहरे के भाव बदलने लगे थे। इससे साफ पता चल रहा था कि उसको कितना मज़ा आ रहा होगा। थोड़ी देर दीपाली वैसे ही अपने आपको निहारती रही और उसके बाद गंदी कहानी की किताब लेकर बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और कहानी पढ़ने लगी।

वो कहानी दो बहनों की थी कि कैसे बड़ी बहन अपने बॉय-फ्रेंड से चुदवाती है और अपनी छोटी बहन के साथ समलैंगिक सम्बन्ध बनाती है.. आख़िर में उसका बॉय-फ्रेंड उसकी मदद से उसकी छोटी बहन की सील तोड़ता है।

कहानी पढ़ते-पढ़ते ना चाहते हुए भी दीपाली का हाथ चूत पे जा रहा था और वो कभी सीधी.. कभी उल्टी हो कर किताब पढ़ रही थी और चूत को रगड़ रही थी।
करीब आधा घंटा तक वो किताब पढ़ती रही और चूत को रगड़ती रही।

दोस्तो, दीपाली तो चुदाई से अंजान थी.. मगर ये निगोड़ी जवानी और बहकती चूत तो सब कुछ जानती थी.. हाथ के स्पर्श से चूत एकदम गर्म हो गई और दीपाली कामवासना की दुनिया में पहुँच गई।

अब उसकी चूत किसी भी पल लावा उगल सकती थी। उसको ये सब नहीं पता था.. बस उसे तो असीम आनन्द की प्राप्ति हो रही थी। वो ज़ोर-ज़ोर से चूत को मसलने लगी और बड़बड़ाने लगी।

दीपाली- आह.. आह.. दीदी उफ़फ्फ़ आपने ये कैसी कहानी की किताब दे दी आहह.. मेरी फुननी तो.. नहीं.. नहीं… अब इसे चूत ही कहूँगी.. आआ.. आह मेरी चूत तो जलने लगी है आहह.. हाथ हटाने को दिल ही नहीं कर रहा.. उफफफ्फ़ उउउ आआहह..

दीपाली अपने चरम पर आ गई.. तब उसने पूरी रफ्तार से चूत को मसला और नतीजा आप सब जानते ही हो.. पहली बार दीपाली की चूत ने वासना को महसूस करके पानी छोड़ा।

दोस्तो, कुछ ना जानने वाली दीपाली ने रात भर में पूरी किताब पढ़ डाली और 3 बार बिना लौड़े के अपनी चूत से पानी निकाला और थक-हार कर नंगी ही सो गई।

सुबह दीपाली काफ़ी देर तक सोती रही उसकी मम्मी ने उसे जगाया.. तब वो जागी आज वो बड़ा हल्का महसूस कर रही थी और उसके चेहरे की ख़ुशी साफ बता रही थी कि रात के कार्यक्रम से उसको बड़ा सुकून मिला है।

नहा-धो कर वो स्कूल चली गई.. रोज की तरह आज भी कुछ लड़के गेट पर उसके आने का इंतजार कर रहे थे ताकि उसकी मटकती गाण्ड और उभरे हुए चूचों के दीदार हो सकें।

रोज तो दीपाली नज़रें झुका कर चुपचाप चली जाती थी.. मगर आज उसने सबसे नज़रें मिला कर एक हल्की मुस्कान सबको दी और गाण्ड को हिलाती हुई अपनी क्लास की तरफ़ चली गई।

दीपक- उफ़फ्फ़ जालिम.. आज ये क्या सितम ढा गई मुझ पे.. साला आज सूरज कहाँ से निकला था.. मेरी जान ने आज नज़रें मिलाईं भी और हँसी भी।

सोनू- हाँ यार क्या क़ातिल अदा के साथ मुस्कुराई थी.. मेरा तो दिल करता है.. अभी उसके पास जा कर कहूँ.. आ सेक्स की देवी.. अपने इन मखमली होंठों से छू कर मेरे लौड़े को धन्य कर दो।

दीपक- अबे साले चुप.. मैं तो ये कहूँगा कि आ स्वर्ग की अप्सरा.. एक बार मेरे लौड़े को अपनी चूत और गाण्ड में ले कर मेरा जीवन सफल कर दो।

मॅडी- चुप भी करो सालों.. हवस के पुजारियों.. वो आज हँसी.. इसका मतलब हम में कोई तो है.. जिससे वो फंसी.. अब पता लगाना होगा कि वो सेक्स बॉम्ब किसके लौड़े पर फटेगा।

तीनों खिलखिला कर हँसने लगते हैं।

दोस्तों इन के बारे में आपको बताने की जरूरत नहीं.. आप खुद जान गए होंगे कि ये दीपाली के साथ ही स्कूल में पढ़ते हैं। बाकी की जानकारी जब इनका खास रोल आएगा तब दे दूँगी। फिलहाल स्टोरी पर ध्यान दो।

दीपाली का दिन एकदम सामान्य गया.. विकास सर ने भी उससे कुछ बात नहीं की।

वो आज बहुत खुश थी। हाँ इसी बीच वो तीनों मनचले जरूर उससे बात करने को मचलते रहे। मगर दीपाली ने उनको भाव नहीं दिया, शाम को उसी वक़्त दीपाली पढ़ने के बहाने अनुजा के घर की ओर निकल गई।
 
दीपाली ने आज गुलाबी से रंग की एक चुस्त जींस और नीली टी-शर्ट पहनी हुई थी। उसको देख कर रास्ते में ना जाने कितनों की ‘आह’ निकली होगी और क्या पता कौन-कौन आज उसके नाम से अपना लौड़ा शान्त करेगा।

अनुजा- अरे आओ आओ.. दीपाली बैठो आज तो बहुत खिली-खिली लग रही हो।

दीपाली- क्या दीदी आप भी ना…

अनुजा- मैंने कल क्या समझाया था.. तुझे शर्म को बाजू में रख कर मुझसे बात किया करो.. ओके.. चल, अब बता कल क्या-क्या किया और स्टोरी कैसी लगी?

दीपाली इधर-उधर नज़रें घुमाने लगी।

अनुजा- अरे इधर-उधर क्या देख रही है..? बता ना…

दीपाली- वो सर कहीं दिखाई नहीं दे रहे?

अनुजा- क्यों कल का सारा किस्सा विकास को बताएगी क्या.. वो बाहर गए हैं.. चल अब बता…

दीपाली का चेहरा शर्म से लाल हो गया मगर फिर भी उसने हिम्मत करके रात की सारी बात अनुजा को बता दी।

अनुजा- अरे वाहह.. क्या बात है पहली बार में ही तूने हैट्रिक मार दी.. चल अच्छा किया.. अब बता तुझे क्या समझ नहीं आया?

दीपाली- दीदी स्टोरी तो मस्त थी.. मगर उसमें बहुत सी बातें मेरे ऊपर से निकल गईं.. जैसे आज तो तेरी सील तोड़ दूँगा.. अब ये सील क्या होती है और हाँ.. एक जगह लिखा था आज तेरे रसीले चूचों का सारा रस पी जाऊँगा.. दीदी ये चूचे तो समझ आ गए.. मगर इनमें रस कहाँ होता है?

अनुजा के चेहरे पर एक कामुक मुस्कान आ गई।

अनुजा- अरे मेरी मासूम बहना.. सील का नहीं पता.. अब सुन तेरी चूत में अन्दर एक पतली झिल्ली है.. उसे सील कहते हैं… जब पहली बार लौड़ा चूत में जाता है ना.. तब लौड़े के वार से वो झिल्ली टूट जाती है। उसी को सील तोड़ना कहते हैं।

दीपाली- ओह्ह.. अच्छा और रस?

अनुजा- तू सुन तो सही यार.. देख जब लड़का मम्मों को चूसता है.. यानी निप्पल को चूसता है तब उसमें से आता कुछ नहीं मगर उसको और लड़की को मज़ा बहुत आता है.. बस लड़का उसी को रस कहता है।

दीपाली- अच्छा ये बात है.. मगर सच कहूँ अब भी ये बात मेरी समझ के बाहर है।

अनुजा- मेरी जान ऐसे तो तू कभी कुछ नहीं सीख पाएगी.. देख इसका आसान तरीका यही है कि मैं तुम्हें प्रेक्टिकल करके समझाऊँ तभी तू कुछ समझ पाएगी।

दीपाली- हाँ दीदी ये सही रहेगा।

अनुजा- तो चल कमरे में चल कर अपने सारे कपड़े निकाल.. मैं भी नंगी हो जाती हूँ, तभी मज़ा आएगा।

दीपाली- छी.. नहीं दीदी.. मुझे बहुत शर्म आ रही है… मैं आपके सामने बिना कपड़ों के कैसे आऊँगी?

अनुजा- अरे यार तू तो ऐसे शर्मा रही है जैसे मैं कोई लड़का होऊँ? यार.. मैं भी तो नंगी हो रही हूँ ना.. और तेरे पास ऐसा क्या है जो मेरे पास नहीं है.. अब चल।

बेचारी दीपाली क्या बोलती.. चल दी उसके पीछे-पीछे।

कमरे में जाकर अनुजा ने कहा- तू दो मिनट यहीं बैठ मैं अभी आई।

दीपाली- दीदी, सर तो नहीं आ जाएँगे ना और प्लीज़ उनसे कुछ मत बताना.. वर्ना स्कूल में उनके सामने जाने की मेरी हिम्मत ना होगी।

अनुजा- अरे तू पागल है क्या.. ऐसी बातें किसी को बताई नहीं जाती और विकास तो बहुत सीधा आदमी है.. तभी तो तुमको मेरे पास ले आया ताकि मैं तुझे ठीक से समझा सकूँ.. अब चल तू बैठ.. मैं अभी आई।

(दोस्तो, कहानी को रोकने के लिए माफी चाहती हूँ मगर एक बात आपको बताना जरूरी है कि उस दिन विकास ने अनुजा से क्या कहा था दीपाली के बारे में? अब तक आपको लग रहा होगा विकास को कुछ पता नहीं इस बारे में.. आप वो जान लो फिर कहानी में एक नया ट्विस्ट आ जाएगा।)
 
उस दिन स्कूल से जब विकास घर आया।

अनुजा- अरे आओ मेरे पतिदेव क्या बात है बड़े थके हुए लग रहे हो।

विकास- नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं है.. तुमसे एक बात करनी है बैठो यहाँ।

अनुजा वहीं सोफे पर बैठ जाती है और विकास उसको दीपाली के साथ हुई पूरी बात बता देता है।

अनुजा- हे राम इतनी भी क्या नादान है वो लड़की… जो ये सब नहीं जानती? और तुमने शाम को उसे यहाँ क्यों बुलाया? क्या इरादा है मुझ से मन भर गया क्या.. जो उस कमसिन कली को समझाने के बहाने भोगना चाहते हो?

विकास- अनु तुम भी ना.. बस बिना मतलब की बकवास करने लगती हो.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है.. बस वो आए तब उसे तुम समझा देना और कुछ नहीं…

अनुजा- ओह्ह.. ये बात है… अच्छा मान लो अगर वो तुमसे चुदवाना चाहे तो क्या तुम अपना लौड़ा उसकी चूत में डालोगे?

अनुजा की बात सुनकर विकास का बदन ठंडा पड़ गया और दीपाली को चोदने की बात से ही उसका लौड़ा पैन्ट में तन गया जिसे अनुजा ने देख लिया।

विकास- क्या बकवास कर रही हो तुम..? मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा।

अनुजा- ओए होये.. मेरा राजा.. ये नखरे! कुछ नहीं करोगे तो ये लंड महाराज क्यों फुंफकार रहा है हाँ?

विकास ने पैन्ट में लौड़े को ठीक करते हुए अनुजा की तरफ़ घूर कर देखा।

अनुजा- अच्छा बाबा ग़लती हो गई बस.. मगर एक बात कहूँ अगर वो खुद चुदवाने को राज़ी हो जाए तो मुझे कोई दिक्कत नहीं यार.. मैं तुमसे प्यार करती हूँ और जानती हूँ एक कच्ची कली को चोदने का सपना हर मर्द का होता है.. अब मुझसे क्या शर्माना।

विकास- अच्छा ठीक है.. सुनो.. दीपाली बहुत सुन्दर है.. मानता हूँ कि उसको देख कर कोई भी उसको भोगने की चाहत करेगा मगर तुम तो जानती हो मैं कोई गली का गुंडा नहीं जो छिछोरी हरकतें करूँगा.. हाँ अगर वो खुद से राज़ी हो और तुम्हें कोई दिक्कत ना हो तब मैं उसे जरूर चोदना चाहूँगा।
 
विकास की बात सुनकर अनुजा के होंठों पर एक क़ातिल मुस्कान आ गई।

अनुजा- ये हुई ना बात.. अब बस तुम अपनी अनु का कमाल देखो.. कैसे मैं उस कच्ची कली को लाइन पर लाती हूँ ताकि वो आराम से तुमसे चुदने को राज़ी हो जाए।

*****************

(दोस्तो, यह थी उस दिन की बात और दीपाली के सामने विकास बाहर जरूर गया था मगर दूसरे दरवाजे से अन्दर आकर उनकी सारी बातें उसने सुन ली थीं। अब आज क्या हुआ चलो आपको बता देती हूँ।)

अनुजा कमरे से निकल कर दूसरे कमरे में गई जहाँ विकास पहले से ही बैठा था।

अनुजा- काम बन गया.. अब सुनो मैं उसके साथ थोड़ा खेल लेती हूँ… तुम खिड़की से उसके नंगे जिस्म को देख कर मज़ा लो.. ओके.. अब मैं जाती हूँ वरना उसको शक हो जाएगा।

विकास- ओके मेरी जान.. जाओ आज तुमको भी कच्ची चूत का रस पीने को मिल जाएगा हा हा हा हा।

अनुजा- धीरे हँसो.. वो सुन लेगी.. अब मैं जाती हूँ।

दीपाली- ओह दीदी आप कहाँ चली गई थीं।

अनुजा- अरे कुछ नहीं.. अब चल.. हो जा नंगी.. मस्ती का वक्त आ गया है।

दीपाली- आप भी निकालो.. दोनों साथ में निकालते हैं।

अनुजा ने तो नाईटी पहनी हुई थी और अन्दर कुछ नहीं पहना था झट से निकाल कर बगल में रख दी।

दीपाली- हा हा हा दीदी आप भी ना अन्दर कुछ नहीं पहना और आपके मम्मों को तो देखो कितने बड़े हैं।

अनुजा- मेरी जान, तेरी उम्र में मेरे भी इतने ही थे.. ये तो विकास ने दबा-दबा कर इतने बड़े कर दिए।

दीपाली- दीदी आप भी ना कुछ भी बोल देती हो.. सर ने क्यों दबाए.. उम्र के साथ बढ़ गए होंगे।

अनुजा- अरे पगली तू उम्र की बात करती है तुम से कम उम्र की लड़की के मम्मों को तुझ से बड़े मैंने देखे हैं. अब क्या कहेगी तू?

दीपाली- सच्ची दीदी.. मगर ऐसा क्यों?

अनुजा- अरे पगली तेरे सर ने इनको दबा-दबा कर इनका रस चूसा है। वे कहते थे कि आम का स्वाद आता है।

दीपाली खिलखिला कर हँसने लगती है।

अनुजा- अब हँसना बंद कर और निकाल अपने कपड़े।

दीपाली ने पहले अपनी टी-शर्ट निकाली तब सफेद ब्रा में से उसके नुकीले मम्मे ब्रा को फाड़ कर बाहर आने को बेताब दिखने लगे।

विकास खिड़की पर खड़ा ये नजारा देख रहा था।

अनुजा- वाउ यार.. क्या मस्त मम्मे हैं.. अब ज़रा इन्हें आज़ाद भी कर दे।

दीपाली बस मुस्कुरा कर रह गई और उसने पैन्ट का हुक खोल कर नीचे सरकाना शुरू किया.. तब उसकी गोरी जांघें बेपरदा हो गईं और सफेद पैन्टी में उसकी फूली हुई चूत दिखने लगी।

अनुजा बस उसको देखती रही और दीपाली अपने काम में लगी रही। अब उसने ब्रा के हुक खोल दिए और अपने रस से भरे हुए चूचे आज़ाद कर दिए।

विकास का तो हाल से बहाल हो गया और होगा भी क्यों नहीं.. ऐसी मस्त जवानी को.. वो अपने सामने नंगा होते देख रहा था।

अब उसने अपनी पैन्टी भी निकाल दी। सुनहरी झाँटों से घिरी गुलाबी चूत अब आज़ाद हो गई थी।

अनुजा तो बस उसके यौवन को देखती ही रह गई.. मगर जब उसकी नज़र झाँटों पर गई।

अनुजा- अरे ये क्या… इतनी मस्त चूत पर ये झांटें क्यों..? मेरी जान, ऐसी चूत को तो चिकना रखा करो ताकि लौड़ा टच होते ही फिसल जाए।

दीपाली सवालिया नजरों से अनुजा की ओर देखती है।

अनुजा- अरे पगली चूत पर जो बाल होते हैं उन्हें झांट कहते हैं। अब इतना भी नहीं पता क्या और कभी इनको साफ नहीं किया क्या तुमने?

दीपाली- दीदी, अब आप के साथ रहूँगी तो सब सीख जाऊँगी और इनको साफ कैसे करते हैं? मैंने तो कभी नहीं किया..

अनुजा- ओह्ह.. तभी इतनी बड़ी खेती निकल आई है.. वैसे मानना पड़ेगा गुलाबी चूत पर ये सुनहरी झांटें किसी भी मर्द को रिझाने के लिए काफ़ी हैं लेकिन मुझे तो चूत को चिकना रखना ही पसन्द है। जब पहली बार विकास ने मेरी चूत देखनी चाही थी.. मैंने भी झांटें साफ नहीं की हुई थीं। किसी तरह बहाना बना कर दूसरे दिन एकदम चकाचक चमकती चूत उसको दिखाई थी। वो तो देखते ही लट्टू हो गया था।

दीपाली- ओह दीदी.. आप भी ना बेचारे सर को अपने जाल में फँसा लिया हा हा हा हा!
 
अनुजा- अरे पगली सारे मर्दों को चिकनी चूत बहुत पसन्द आती है और खास कर तेरी जैसी कच्ची कली की चूत तो चिकनी ही रहनी चाहिए.. चल सबसे पहले तुझे झांटें साफ करना सिखाती हूँ।

दीपाली- ठीक है दीदी.. कहाँ चलना है अब?

अनुजा- अरे कहाँ का क्या मतलब है.. बाथरूम में… चल तू वहाँ कमोड पर बैठ जाना.. मैं साफ कर दूँगी।

दीपाली- ओह्ह.. दीदी आप कितनी अच्छी हो जो मुझे सब सिखा रही हो।

अनुजा- अच्छा एक बात तो बता.. तू 18 साल की हो गई है तुझे वो तो आती है ना.. मेरा मतलब मासिक धर्म जो हर महीने आता है।

दीपाली- हाँ दीदी इसका मुझे पता है लेकिन जब मैं 13 साल की थी मुझ पेट में बहुत दर्द हुआ.. बुखार भी हो गया.. दो दिन तक ऐसा चला.. तब माँ ने मुझे सब समझाया कि अब तुझे पीरियड शुरू होंगे.. तू खून देख कर डरना मत.. बस उस दिन से सब पता चल गया।

अनुजा- चल कुछ तो पता चला तुझे.. आ बैठ यहाँ.. मैं अभी वीट लगा कर तेरी चूत को चमका देती हूँ।

दीपाली- दीदी बाथरूम का दरवाजा तो बन्द करो.. कोई आ गया तो?

अनुजा- अरे यार घर में सिर्फ़ हम दोनों हैं और कमरे की कुण्डी बन्द है ना.. कोई कैसे आएगा..? अब चुपचाप बैठ जा यहाँ।

दीपाली इसके बाद कुछ नहीं बोली.. 15 मिनट में अनुजा ने उसके चूत के बाल के साथ-साथ उसके हाथ-पाँव के भी बाल उतार दिए। उसको एकदम मक्खन की तरह चिकना बना दिया।

दीपाली ने पानी से अपने आपको साफ किया और तौलिया से जिस्म पौंछ कर बाहर आ गई और बिस्तर पर सीधी लेट गई।

अनुजा- मेरी जान.. कल तूने स्टोरी पढ़ के चूत को ठंडा किया था ना.. अब देख आज मैं तुझे कैसे मज़ा देती हूँ।

(दोस्तो, विकास अब भी खिड़की के पास ही खड़ा था.. उसने अपना 8″ का लौड़ा पैन्ट से बाहर निकाल लिया था और दीपाली को देख कर उसे सहलाने लगा था। वो कुछ बड़बड़ा भी रहा था।

विकास- उफ्फ.. साली क्या चूत है तेरी.. साला लौड़ा बेकाबू हो गया… तेरे रसीले चूचे तो मुझे पागल कर रहे हैं… काश अभी इनको चूस-चूस कर तेरा सारा रस पी जाऊँ।)

अनुजा ने दीपाली के पैरों को मोड़ कर उसकी चूत पर एक चुम्बन कर लिया।

दीपाली सिहर गई और जल्दी से बैठ गई।

दीपाली- छी.. छी.. दीदी ये आप क्या कर रही हो.. ये गंदी जगह पर चुम्बन क्यों कर रही हो?

अनुजा- अरे तुझे क्या पता पगली.. दुनिया में कामरस से बढ़कर कुछ नहीं है और ऐसी अनछुई कच्ची चूत का रस तो किसी नसीब वाले को ही मिलता है.. काश मैं लड़का होती तो आज तेरी सील तोड़ कर पूरा लौड़ा अन्दर घुसा देती.. हाय री मेरी फूटी किस्मत.. अब तो तेरी चूत चाट कर ही अपने आपको धन्य समझ लूँगी।

इतना बोल कर अनुजा चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी।

दीपाली- आहह उफ़फ्फ़ दीदी आहह.. उई मज़ा आ गया आहह आई उफ़फ्फ़ आराम से दीदी आहह.. काटो मत ना आहह..

अनुजा जीभ की नोक को चूत के अन्दर तक घुसाने की कोशिश कर रही थी, मगर कुँवारी चूत में जगह कहाँ थी। अब अनुजा चूत के दाने को जीभ से चाटने और चूसने लगी।

दीपाली- आह आह… ये आ.. आपन..ने आहह.. क्या कर दिया आहह.. मेरे आहह..प पु पूरे जिस्म में करंट जैसा लग र..र..रहा है।

अनुजा ने अपना मुँह ऊपर किया और दीपाली को आँख मारते हुए कहा।

अनुजा- मेरी जान, इसे चूत का दाना कहते हैं जिसको छूने से चूत की आग भड़क जाती है और किसी आग की भट्टी की तरह चूत जलने लगती है.. यही सही समय होता है लौड़ा घुसाने का.. इस वक्त कितनी भी छोटी चूत क्यों ना हो.. बड़े से बड़े लौड़े को अन्दर ले लेती है.. मेरा बहुत मन कर रहा है कि तेरे मम्मों का रस पिऊँ मगर ये मैंने किसी और को देने का वादा किया है।

आख़िर की लाइन अनुजा ने धीरे से बोली ताकि दीपाली सुन ना सके।

दीपाली- दीदी आहह.. चाटो ना प्लीज़ आहह.. मज़ा आ रहा था ऐसे मुझे गर्म करके आप बीच में नहीं छोड़ सकती.. आह्ह प्लीज़।

अनुजा- देखा मेरा काम था तुझे गर्म करने का और अब तू एकदम गर्म हो गई है.. आजा अब तू भी मेरी चूत को चाट कर मज़ा ले।
 
दीपाली- नहीं दीदी ये मुझसे नहीं होगा.. मुझे घिन आ रही है प्लीज़ आप अच्छा चाट रही थीं.. आ जाओ ना।

अनुजा- अच्छा तुझे चाटने से घिन आएगी और चटवाने में बड़ा मज़ा आ रहा है.. ऐसा कर 69 के पोज़ में आ जा.. मेरी तू चाट तेरी मैं चाट कर मज़ा देती हूँ।

दीपाली पर सेक्स का खुमार छा गया था.. उसे अब अच्छे बुरे की कहाँ पहचान थी। बस अनुजा की बातों में आ गई।

अब दोनों एक-दूसरे की चूत को चाट रही थीं। शुरू में दीपाली को अच्छा नहीं लगा.. मगर अनुजा जिस तरीके से उसकी चूत चूस रही थी।

वो मजबूर हो गई और बैसे ही वो अनुजा की चूत चाटने लगी।

(दोस्तों, इन दोनों के चक्कर में आप विकास को भूल गए.. बेचारा बाहर खड़ा बड़ी रफ्तार से लौड़े को आगे-पीछे कर रहा था।)

ये दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे की चूत चाटती रहीं।

फिर अनुजा अपनी ऊँगली से दीपाली की चूत चोदने लगी.. उसको थोड़ा दर्द तो हुआ मगर मज़ा बहुत आ रहा था।

आख़िरकार दीपाली की चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे अनुजा चाटने लगी।

उसी पल अनुजा ने भी दीपाली के मुँह पर पानी छोड़ दिया।

दीपाली को घिन आई और उसने मुँह हटा लिया मगर अनुजा उसके मुँह पर बैठ गई ना चाहते हुए भी दीपाली को रस पीना पड़ा।

दोनों अब अलग होकर शान्त पड़ गईं। उधर विकास भी हल्का हो चुका था।

दीपाली- छी दीदी.. आप बहुत गंदी हो.. चूत का पानी पी गईं और मुझे भी पिला दिया.. उह कितना अजीब सा स्वाद था।

अनुजा- अबे बस उल्टी करेगी क्या बिस्तर पे..? भूल जा उसको.. ये बता मज़ा आया कि नहीं तुझे।

दीपाली- दीदी सच बताऊँ.. जब आप चूत चाट रही थी ना.. बड़ा मज़ा आ रहा था और आपने जब ऊँगली अन्दर डाली.. मेरे तो बदन में से जान ही निकल गई थी.. कसम से बहुत मज़ा आया।

अनुजा - इसकी जगह लंड अन्दर गया होता तो तुझे और मजा आता।

दीपाली- दीदी आप कब से लंड के बारे में बोल रही हो आख़िर ये होता कैसा है.. जरा मुझे भी तो दिखाओ।

अनुजा- ओये होये.. मेरी प्यारी बहना, बड़ी जल्दी है तुझे लंड देखने की.. तुझे अगर अभी देखना है तो बुला लूँ.. तेरे विकास सर को.. उनका लंड देख लेना।

दीपाली- दीदी आप भी ना.. सर को बताने के लिए मैंने मना किया है।

अनुजा- तो मेरी रानी, मेरे पास कौन सा लंड है.. जो तुझे निकाल कर दिखा दूँ.. मेरे पास तो ये चुदी हुई चूत है… इसे ही देख ले हा हा हा हा हा।

दीपाली भी अनुजा के साथ हँसने लगी।

अनुजा- चल तेरी तमन्ना मैं आज पूरी कर ही देती हूँ तू यहीं बैठ.. मैं अभी दूसरे कमरे से तेरे लिए लंड लेकर आई।

दीपाली- दीदी ये आप क्या बोल रही हो… प्लीज़ किसी को मत बुलाना प्लीज़ प्लीज़।

अनुजा- अरे पगली मैं तो ट्रिपल-एक्स डीवीडी लाने जा रही हूँ.. उसमें लंड देख लेना और चुदाई कैसे होती है.. वो भी तुझे पता चल जाएगा।

दीपाली- दीदी आप ऐसे ही जा रही हो.. कपड़े तो पहन लो।

अनुजा- यार विकास तो देर से आएगा और दूसरा कोई यहाँ है नहीं.. तो कपड़ों की क्या जरूरत है.. बस अभी आई।

अनुजा वहाँ से निकल कर दूसरे कमरे में चली गई.. बाहर विकास खड़ा था। वो भी उसके पीछे-पीछे चला गया।

विकास- मेरी जानेमन.. क्या कमाल का खेल खेला है तुम दोनों ने.. मेरी तो हालत ख़स्ता हो गई.. साला लौड़ा है की बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.. इसे हाथ से शान्त किया। फिर भी देखो कैसे फुफकार मार रहा है।

अनुजा- अरे मेरे राजा… सब्र करो संभालो अपने आपको.. दीपाली अभी चुदाई के लिए तैयार नहीं है… कहीं जल्दबाज़ी में बना बनाया काम बिगड़ ना जाए।

विकास- अरे मेरी प्यारी अनु.. कैसे करूँ सब्र.. साली क्या मस्त लड़की है.. उसकी चूत देख कर मेरा तो दिमाग़ घूम गया। पुरानी याद ताज़ा हो गई.. याद है मैंने कैसे तुम्हारी सील तोड़ी थी।

अनुजा- हाँ सब याद है.. अब मुझे जाने दो वरना उसको शक हो जाएगा।
 
अनुजा डीवीडी लेकर वापस दीपाली के पास चली गई और डीवीडी चालू करके उसके पास बिस्तर पर बैठ गई।

दीपाली बड़ी गौर से फिल्म देख रही थी। उसका मुँह आश्चर्य से खुला हुआ था।

फिल्म में एक आदमी एक स्कूल-गर्ल के मम्मों को चूसता है और अपना लंबा लौड़ा उसे चुसवाता है। लड़की भी मज़े से लौड़े को चूस रही थी। उसके बाद वो आदमी उसे घोड़ी बना कर खूब चोदता है।

दीपाली- ओह्ह.. माँ.. ये क्या हो रहा है.. लंड ऐसा होता है.. इतना बड़ा..? मैंने तो बच्चे की फुन्नी देखी है .. मगर बड़ी होकर ये ऐसी हो जाती है.. कभी सोचा भी नहीं था।

अनुजा- हाँ प्यारी.. यही है लौड़ा.. इसी में सारी दुनिया का मज़ा है.. देख वो छोटी सी लड़की कैसे मज़े से चुद रही है.. उसको कितना मज़ा आ रहा होगा।

दीपाली- हाँ दीदी उसको तो मज़ा आ रहा है मगर मुझको डर लग रहा है.. इतना मोटा लौड़ा उसकी चूत में जा रहा है.. उसको दर्द तो हो रहा होगा ना?

अनुजा- अरे नहीं.. देख अगर उसको दर्द होता तो वो रोती ना.. मगर वो तो मज़े से चुद रही है और बार-बार बोल रही है.. ‘फक मी.. फक मी हार्ड…’ कुछ समझी बुद्धू.. चुदाई में मज़ा बहुत आता है।

अनुजा ने बहुत कोशिश की मगर दीपाली चुदने को राज़ी ना हुई। फिर अनुजा ने दूसरा पासा फेंका।

अनुजा- चल किसी आदमी से मत चुदाना.. तुझे पता है रबड़ का भी लौड़ा आता है जिससे तुम खुद चुदाई का मज़ा ले सकती हो और किसी आदमी के सामने तुम्हें नंगी भी नहीं होना पड़ेगा।

दीपाली- ओह्ह.. सच दीदी.. मुझे कल पक्का दिखाना.. अभी तो बहुत वक्त हो गया.. मुझे घर भी जाना है वरना मम्मी गुस्सा हो जाएगी।

दीपाली ने अपने कपड़े पहने और वहाँ से निकल गई।

उसके जाने के बाद विकास कमरे में आया उसने उन दोनों की बातें सुन ली थीं।

विकास- अनु, ये तुमने उसको क्या बोल दिया कि नकली लंड से उसको चोदोगी ... फिर मेरा क्या होगा जान.. तुमने मुझे कच्ची कली को चोदने का सपना दिखाया.. अब नकली लौड़े की बात कर रही हो।

अनुजा- अरे मेरा राजा.. आप बहुत भोले हो अपने वो कहावत नहीं सुनी क्या.. हाथी के दाँत दिखाने के और होते हैं और खाने के और… बस कल देखना.. मैं कैसे नकली को असली बना देती हूँ.. अब आ जाओ देखो मैंने अब तक कपड़े भी नहीं पहने हैं.. आज तो आप बड़े जोश में हो.. जरा मेरी चूत को मज़ा दे दो।

विकास- अरे क्यों नहीं मेरी रानी.. चल बन जा घोड़ी.. आज तुझे लंबी सैर कराता हूँ।

अनुजा पैरों को मोड़ कर घोड़ी बन गई और विकास ने एक ही झटके में अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया।

अनुजा- आहह.. उई मज़ा आ गया राजा.. अब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारो उफ्फ.. फाड़ दो चूत को.. अई आह्ह..

विकास के दिमाग़ में दीपाली घूम रही थी और उसी कारण वो दे दनादन अनुजा की चूत में लौड़ा घुसा रहा था।

अनुजा- आह्ह.. अई वाहह.. मेरे राजा आ..आज बड़ा मज़ा दे रहे हो.. अई लगता है दीपाली समझ कर तुम मुझे चोद रहे हो.. अई उई अब तो रोज उसका नंगा जिस्म तुमको दिखना पड़ेगा.. अई ताकि तुम रोज इसी तरह मेरी ठुकाई करो।

विकास- उहह उहह.. ले रानी उहह.. अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. आज तुम बहुत चुदासी लग रही हो ओह्ह ओह्ह।

लगभग 30 मिनट तक ये चुदाई का खेल चलता रहा.. दोनों अब शान्त हो गए थे।

अनुजा- जानू मज़ा आ गया.. आज तो काफ़ी दिनों बाद ऐसी मस्त चुदाई की तुमने.. अच्छा अब सुनो… कल किसी भी हाल में एक नकली लंड ले आना.. उसका साइज़ तुम्हारे लंड के जैसा होना चाहिए।

विकास- ठीक है.. ले आऊँगा मगर तुम उसकी चूत की सील नकली लौड़े से तोड़ोगी.. तो मेरा क्या होगा यार.. ऐसी मस्त चूत का मुहूर्त मुझे करना है।

अनुजा- तुम ले आना बस.. मैंने कहा ना सब मुझ पर छोड़ दो.. कल देखना मैं क्या करती हूँ।

विकास ने अनुजा की बात मान ली और आगे कुछ नहीं बोला। वो उठ कर बाथरूम में चला गया।

(दोस्तो, अब यहाँ कुछ नहीं है.. चलो, दीपाली के पास चलते हैं।)
 
घर जाकर दीपाली ने अपनी मम्मी को बोल दिया कि टयूशन में वक्त लग गया और रात का खाना खाकर अपने कमरे में जा कर सो गई।

अगले दिन भी दीपाली जब स्कूल गई, तब गेट पर तीनों उसके आने का इन्तजार कर रहे थे, मगर आज दीपाली ने उनको नज़रअंदाज कर दिया और सीधी निकल गई।

दोस्तो. अब स्कूल के पूरे 8 घंटे की दास्तान सुनोगे क्या.. चलो सीधे मुद्दे पर आती हूँ।

शाम को दीपाली ने पीले रंग का टॉप और काला स्कर्ट पहना हुआ था।

जब वो अनुजा के घर की ओर जा रही थी.. तब रास्ते में एक कुत्ता एक कुतिया को चोद रहा था।

दीपाली ने जब उनको देखा उसे बड़ा मज़ा आया।

ये सब देख कर उसको कल वाला वीडियो याद आ गया और ना चाहते हुए भी उसका हाथ चूत पर चला गया।

दीपाली भूल गई कि वो बीच सड़क पर खड़ी कुत्ते की चुदाई देख रही है और अपनी चूत को मसल रही है।

तभी वहाँ से एक 60 साल का बूढ़ा गुजरा, उसने सब देखा और दीपाली के पास आ गया।

बूढ़ा- बेटी इस तरह रास्ते में खड़ी होकर ये हरकत ठीक नहीं.. अगर इतनी ही खुजली हो रही है तो चलो मेरे साथ घर पर.. कुछ मलहम लगा दूँगा।

उसकी बात सुनकर दीपाली को अहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी।

वो बिना कुछ बोले वहाँ से भाग खड़ी हुई और सीधी अनुजा के घर जाकर ही रुकी।

अनुजा- अरे क्या हुआ..? ऐसे भागते हुए क्यों आई हो.. इतना हाफ़ रही हो.. यहाँ बैठो मैं पानी लेकर आती हूँ।

दीपाली वहीं बैठ गई.. अनुजा ने उसे पानी पिलाया और उससे भागने का कारण दोबारा पूछा।

तब दीपाली ने उसको सारी बात बताई।

अनुजा- हा हा हा हा तू भी ना कुत्ते की चुदाई में ये भी भूल गई कि कहाँ खड़ी है और तेरी चूत में खुजली होने लगी.. हा हा हा हा और वो बूढ़ा क्या बोला.. मलहम लगा देगा.. अगर तू उसके साथ चली जाती ना.. तो आज बूढ़े के मज़े हो जाते हा हा हा हा।

दीपाली- दीदी आप भी ना.. कुछ भी बोलती रहती हो.. पता नहीं मुझे क्या हो गया था। अच्छा ये सब जाने दो.. आप आज मुझे वो नकली लंड दिखाने वाली थीं ना.. कहाँ है वो?

अनुजा- अरे वाह.. बेबी लंड देखने के लिए बड़ी उतावली हो रही है.. चल कमरे में… मैंने वहीं रखा है।

दोनों कमरे में चली जाती हैं।

दीपाली बिस्तर पर बैठ जाती है और अनुजा अलमारी से लौड़ा निकाल लेती है.. जो दिखने में एकदम असली जैसा दिख रहा था।

लौड़े के साथ दो गोलियाँ भी थीं।

दीपाली तो बस उसको देखती ही रह गई।

अनुजा- क्यों बेबी कैसा लगा..? है ना.. एकदम तगड़ा लौड़ा।

दीपाली- हाँ दीदी.. ये तो वो फिल्म जैसा एकदम असली लगता है.. ज़रा मुझे दिखाओ मैं इसे हाथ से छूकर देखना चाहती हूँ।

अनुजा- अरे इतनी भी क्या जल्दी है.. ऐसे थोड़े तुझे हाथ में दूँगी.. आज तो खेल खेलूँगी तेरे साथ..

ये देख शहद की बोतल.. इसमें से शहद निकाल कर इस लौड़े पे लगाऊँगी.. उसके बाद तू इसको चूसना.. तब असली जैसी बात लगेगी.. समझी मेरी जान…

दीपाली- ओके दीदी.. बड़ा मज़ा आएगा आज तो…

अनुजा ने बगल में रखी दो काली पट्टी उठाईं और दीपाली को दिखाते हुए बोली।

अनुजा- मज़ा ऐसे नहीं आएगा.. ये देखो आज ‘ब्लाइंड-सेक्स’ करेंगे।
 
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