Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग - SexBaba
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Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग

desiaks

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Aug 28, 2015
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नेहा और उसका शैतान दिमाग

हाय उम्मीद है की आपको ये कहानी पसन्द आयेगी। ये कहानी है नेहा की। एक लड़की जिसने अपनी प्यास के लिए बहुत लोगों की जिंदगियां बदल दी। कहानी देल्ही की है। शर्मा परिवार में 5 सदस्य थे।

01. यतीन शर्मा
02. प्रीति शर्मा
03. नवीन शर्मा
04. नेहा शर्मा
05. समर शर्मा\
06. फातिमा
__ उम्र 48 साल, एक छोटे बिजनेस का मालिक।
उम्र 42 साल, यतीन की बीवी और उनके 3 बच्चों की माँ। उम्र 24 साल, यतीन और प्रीति का सबसे बड़ा बेटा। उम्र 20 साल, यतीन और प्रीति की एकलौती बेटी। उम्र 18 साल, यतीन और प्रीति का छोटा बेटा। यतीन की सेक्रेटरी, उम्र 25 साल, तरक्की के लिए चूत भी करबान
 
दिन के 4:00 बजे थे। घर पे नेहा के अलावा और कोई नहीं था। नेहा का फोन बजता है।

राजीव- “हेलो, नेहा सब चले गये?"

नेहा- “हाँ.." नेहा ने जवाब दिया।

राजीव- "तो मैं आ जाऊँ?"

नेहा- “हाँ... हाँ, जल्दी आओ." नेहा ने बेचैनी से कहा। उसने फोन काटा। फोन के ऊपर नेहा का बायफ्रेंड राजीव था। घर खाली था, और इन दोनों को अकेले समय बिताने का मौका मिल गया था।
10 मिनट में राजीव घर पहुँच गया। नेहा के दरवाजा खोलते ही उसपर चढ़ गया। उसने नेहा को अपनी बाहों में लिया और उससे चूमने लगा। नेहा ने झटके से उसे दूर किया।

नेहा- “बस तुमको तो बस इसलिए ही आना था ना..” उसने हँसते हुए पूछा।

राजीव- “नहीं, मगर हाँ ये भी करने का मन था.." राजीव ने कहा।

नेहा- “पता था मुझे... मगर मेरा मन नहीं है." नेहा ने जवाब दिया।

राजीव- “ये क्या कह रही हो? आज जैसा मौका रोज-रोज नहीं मिलेगा। आज तो हम किसिंग और फांडलिंग से भी आगे बढ़ सकते हैं...” राजीव ने कहा।

नेहा- “हाहाहा... इतना आसान नहीं है राजीव। सारी मैं अभी ये सब नहीं कर सकती...” नेहा ने कहा। उसका मन बहूत था राजीव के साथ मेक-आउट करने का मगर वो खुद को कंट्रोल कर रही थी, और यह करके वो राजीव को अपने वश में करना चाहती थी।

राजीव- “मगर क्यों? किस तो हम करते ही रहते हैं। आज क्यों मना कर रही हो?" राजीव बोला।

नेहा- "बस मन नहीं है मेरा.." नेहा ने जवाब दिया, और ये कहते-कहते उसने अपने मम्मे दबाये। वो राजीव को चिढ़ा रही थी।
राजीव का लण्ड तो बड़ा होता जा रहा था। उसने नेहा का हाथ लिया और अपनी जीन्स के ऊपर से अपने लण्ड पर रख दिया।
 
नेहा- “ये क्या कर रहे हो?" नेहा ने अपना हाथ जोर से हटाते हुए कहा।

राजीव- “तुम्हें दिखा रहा था की मैं कितना उत्तेजित हूँ। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें दिखाऊँ की तुमने क्या असर डाला है मेरे लण्ड पे?" और यह कहते ही राजीव अपनी जीन्स खोलने लगा।

नेहा के शरीर में आग लग गई। वो भी अपने बायफ्रेंड का लण्ड देखना चाहती थी। मगर उसने कुछ और सोचा हआ था- “हिम्मत भी मत करना उसे बाहर निकालने की..” उसने गुस्से में कहा।

राजीव बेचारा फिर से जीन्स बंद करके बैठ गया, ओर पूछा- “मगर मेरी गलती क्या है?"

नेहा ने पूछा- “गलती? तुम आखिरी बार मुझे कब डेट पे लेकर गये? आखिरी बार कब मुझे कोई गिफ्ट दिया?”

राजीव- “ओह्ह... तो ये बात है?” राजीव ने हँसते हुए कहा- “मेरी जान तुम्हारे लिए तो बहुत छोटी चीज है ये.."
हु

नेहा ने टपक से बोला- “अच्छा... तो ठीक है। अगले 10 दिन के अंदर-अंदर मुझे एक नया मोबाइल गिफ्ट करो..”

राजीव हैरान हो गया- “मोबाइल... अभी 6 महीने पहले ही तो तुम्हें ₹1500 का मोबाइल दिलाया था..."

नेहा- "हाँ तो... अब ₹2000 का चाहिये.." नेहा बोली और साथ-साथ अपने मम्मों पे हाथ फेरने लगी।

राजीव परेशान हो गया। उससे पता था की नेहा जैसी खूबसूरत लड़की उसे कभी नहीं मिलेगी। नेहा सच में बहुत ज्यादा खूबसूरत थी। गोरा गुलाबी रंग, पतली कमर और दुनिया की सबसे सेक्सी फीगर। और उसको अपने इस शरीर का फायदा उठाना भी बहुत आता था। ना जाने उसने कितने लड़कों को अपने पीछे लटका रखा था। राजीव जैसे लड़कों को वो पहले पागल करती थी, फिर अपना कुत्ता बनाती थी, जो चाहे वो करवाती थी। मगर आज तक उसने किसी लड़के को अपनी चूत के दर्शन नहीं कराये पूत क्या, वो किसी को भी किसिंग से आगे बढ़ने नहीं देती थी।

राजीव ने आखीरकार बोला- “ठीक है जानू। मैं लाऊँगा तुम्हारे लिए नया मोबाइल, आई प्रामिस। अब तो मुझे कुछ करने दो?" और उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और नेहा के मम्मे छूने की कोशिश की।

तभी- “टपक..” नेहा ने राजीव को थप्पड़ मार दिया- “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? निकल जाओ यहां से और जब तक मेरा मोबाइल ना आए, अपनी शक्ल मत दिखना."

राजीव शर्मिंदा होकर वहां से चला गया।
 

नेहा पूरी श्योर थी की 10 दिन के अंदर-अंदर उसे नया मोबाइल मिल जायगा। मगर अभी वो कुछ और सोच रही थी। उसके दिमाग में तो राजीव का लण्ड और उसके मम्मे पर राजीव का हाथ घम रहा था। वो भी अपने शरीर की आग बुझाना चाहती थी। मगर उसको इन लड़कों पर भरोसा नहीं था। ये सब तो बस समय पास के लिए थे। असल में वो फिजिकल होने में घबराती थी, और बस अपनी चूत से खुद ही खेलकर खुश रहती थी। अब भी वो यही करने की सोच रही थी। मगर तभी 'डींग डोंग' दरवाजे की घंटी बजी। नेहा ने दरवाजा खोला। वहाँ उसका छोटा भाई समर था।

नेहा ने पूछा- “अरे समर तू इतनी जल्दी घर आ गया?"

समर- “वो सब छोड़ो दीदी, पहले आप ये बताओ की वो लड़का कौन था, और यहां क्या करने आया था?"

नेहा थोड़ी परेशान हो गई। उसने सोचा नहीं था की समर ने राजीव को देख लिया होगा।

समर- “बताओ ना दीदी, कौन था वो लड़का, जो अभी-अभी यहाँ से गया?” समर ने फिर पूछा। वो जानना चाहता था की एक अजनबी लड़का घर में क्या करने आया था?

नेहा ने दो सेकेंड सोचा- "अरे वो लड़का, वो मेरी दोस्त का दोस्त है, गीता का। उसे गीता ने मुझसे कुछ नोट्स लेने भेजा था.." नेहा ने कहा। उसके दिमाग में जो आ रहा था वो बोले जा रही थी। उससे लगा की समर को बुद्धू बनाना इतना मुश्किल नहीं होगा।

समर- “ओहह अच्छा... मुझे लगा कुछ डेंजर तो नहीं.."

नेहा- “नहीं नहीं समर, इतना मत सोचा कर..” और वो हँसते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी।

बाल-बाल बची थी वो। अगर समर 5 मिनट पहले आ गया होता तो गड़बड़ हो सकती थी। मगर उसने अपने को बचा लिया था। अब बस वो अपने कमरे में जाकर अपनी चूत में अपनी उंगलियां घुसाना चाहती थी। उसे अपने जिश्म की प्यास बुझानी थी।

वो कमरे में घुसी और लाक लगा दिया। खिड़कियां बंद कर दीं। कमरे में धीमी लाइट हो गई। उसने एसी ओन किया। माहौल एकदम सेक्सी हो गया था। नेहा मिरर के आगे खड़ी हुई और अपने बदन को निहारने लगी। उसने
एक सिंपल सी सफेद टी-शर्ट और पाजामा पहना था। इतने सिंपल कपड़ों में भी वो स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी। गुलाबी दूध जैसा बदन, घने और सिल्की ब्राउन बाल जो उसके चूचियों तक आते थे। काली बड़ी-बड़ी आँखें जो किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी थी।

गुलाबी फूल की पत्तियों की तरह होंठ, और उसकी फिगर 34-28-36, उसकी पतली फिगर पे वो बड़े-बड़े गोरे मम्मे दुनियां के सबसे अच्छे नजारों में से एक थे। उसने धीरे से अपने चूचियों पर हाथ रखा और उनको दबाया।

आँखें बंद हई और मुंह से “अया" निकली। आँखें खोलकर उसने एक आखिरी बार अपना शरीर देखा। उसे नाज था अपने रूप पर, और उसे पूरा हक था। वो अपने मुलायम बिस्तर पे लेट गई। उसने अपनी टाँगें फैलाई और अपना हाथ अपनी पैंटी में घुसा दिया।

 
उसकी चूत एकदम कोमल थी, बाल का एक भी निशान नहीं था। वो अपनी प्यारी चूत का बहुत ख्याल रखती थी। धीरे-धीरे वो अपनी फुद्दी पे हाथ फेरने लगी। उसकी चूत पहले से ही एकदम गीली हो रखी थी। और वो उसे और गीला कर रही थी। उसने अपनी क्लिट को अपनी उंगलियों के बीच लिया और हल्का सा दबाया “अयाया..” उसके शरीर में मानो करेंट सा दौड़ गया हो। वो मजे में नाच सी गई। उसने अपनी क्लिट को थोड़े
और झटके दिए- “आहह... हाए...” उसके मुंह से आवाज आई। बस अब क्या था, बिना देरी किए उसने अपनी एक उंगली अपनी गीली चूत में घुसाई- “उम्म्म्म ..” सिसकी लेते हुए उसने उंगली धीरे से और अंदर घुसाई। वो अपनी चूत में बस एक उंगली घुसाती थी, क्योंकी उसे अपनी चूत की फिकर थी। धीरे-धीरे वो चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगी

वो मन ही मन सोच रही थी- “कब तक अपनी उंगलियों का सहारा लेना पड़ेगा? अब तो मुझे एक मर्द चाहिये। कब तक खुद को काबू करूँ? जी करता है एक मर्द का प्यार पाने का मगर." नेहा के मन में अभी भी बहुत शंकायें थी।

मगर वो बहुत जल्दी खतम हो रहे थे। वो पूरे मजे लेकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी, और उसके दिमाग में बस लण्ड घूम रहे थे। जब से उसने राजीव के लण्ड को छुआ था तभी से बस वो यही सोच रही थी। उसने लण्ड बस ब्लू-फिल्म और पोर्न में देखे थे, असल जिंदगी में नहीं। उसका कुछ खास मन भी नहीं करता था। मगर आज हालात कुछ और थे।

उसके बदन की प्यास बढ़ती जा रही थी। वो अब लण्ड देखना चाहती थी, छूना चाहती थी, चूमना चाहती थी। उसने चूत से उंगली निकाली। वो उसके सेक्स रस से सनी हुई थी। उसने आहिस्ते से अपनी उंगली को मुँह में लिया और अपना रस चूसने लगी। उसे अपनी चूत का रस बहत टेस्टी लगता था।

नेहा के मन में बहुत सवाल थे- “लण्ड भी ऐसे ही चूसते होंगे? कैसा होता होगा उसका स्वाद?” जिनके जवाब वो टूढ़ना चाहती थी। रस की एक-एक बूंद चूसने के बाद उसने फिर अपनी उंगली चूत में घुसाई और इस बार तेजी से खुद को चोदने लगी- “आहह... उम्म्म्म ... आअग्ी..” वो मजे में थी। उसका आर्गेज्म करीब था। उसने और तेजी से उंगली अंदर-बाहर करना स्टार्ट कर दिया। वो अपने एक्सट्रीम और इनटेन्स आर्गेज्म के लिए बेसबरी से इंतेजार कर रही थी।

उसने आँखें बंद की और वो बस सेक्स के नशे में डूबने ही वाली थी की- “दीदी..” समर ने दरवाजा खटकाते हुये कहा। नेहा चौंक गई। उसने एक पल में अपना हाथ अपनी कच्छी से बाहर निकाल लिया। मगर उसने समर का जवाब नहीं दिया।
 
समर- “सो रही हो क्या? दरवाजा खोलो। कुछ जरूरी बात है."

नेहा ने अपनी हालत ठीक की और थोड़े पलों बाद दरवाजा खोला- “क्या है समर, क्यों चिल्ला रहा है? मुझे नींद से जगा दिया..” उसने झूठ बोला।

समर- “सारी दीदी... मगर जरूरी काम था। पापा का काल आया था, वो कह रहे थे की नाना की तबीयत थोड़ी ज्यादा कराब है। तो पापा, माँ और भैया कल सुबह वापस आयेंगे..” समर ने बताया- “तो रात के खाने का इंतेजाम आपको करना है...”

नेहा- “उफफ्फो... ये क्या मुसीबत है?" नेहा ने चिढ़ते हुए कहा। वो पहले ही गुस्सा थी क्योंकी उसके भाई ने उसके आर्गेज्म पे रोक लगा दी और अब उसपे ये और बोझ आ गया था।

समर- “तो आप जाकर जल्दी से सब्ज़ी वगैरह ले आओ.."

नेहा- “ठीक है... ठीक है... मैं लाऊँगी..." नेहा कमरे से नीचे हाल में आ गई। उसका मूड एकदम आफ हो गया था। उसे लगा की आज का दिन तो सच में बेकार है। मगर उसे क्या पता था की कुछ ही घंटों में उसकी सोच से परे कुछ ऐसा होने वाला था जो उसकी और उसके परिवार की जिंदगी बदल देगा।

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इन्सेस्ट का परिचय

शाम के 7:00 बजे थे। समर घर के बाहर गया हआ था। नेहा डिनर का सारा सामान ले आई थी। उसको तभी कुछ काम याद आया।

नेहा और उसके दो भाईयों के रूम पहले फ्लोर पे थे। नेहा का लैपटाप खराब था और उसे इंटरनेट पे कुछ काम था। तो उसने सोचा की समर के पी.सी. पे कर लिया जाए। समर किसी को भी अपना पी.सी. इश्तेमाल करने नहीं देता था। मगर अभी वो घर पे नहीं था, तो नेहा ने मौके का फायदा उठाया। उसने समर का पी.सी. ओन किया और ब्राउजर पे गई। वो नेट ब्राउज कर रही थी, की तभी उसकी नजर ब्राउजर हिस्टरी पे पड़ी। और उन लिंक्स को पढ़ते ही वो समझ गई की वो पोर्न साइटों के लिंक है।

उसने एक लिंक खोला तो उसके सामने गाण्ड में लण्ड लेती हुई एक अमेरिकन रांड आई। नेहा हैरान थी। उसका छोटा भाई पोर्न देखता था। औरतों को गाण्ड मरवाते हुए देखता था।

उसका भाई अब छोटा नहीं रहा था। ये सब वो सोचने लगी। उसने पोर्न के तीन-चार लिंक और देखे। हर जगह अलग तरह के वीडियो चल रहे थे। नेहा थोड़ी गरम हो रही थी। उसने थोड़े और वीडियोस देखे। तभी उसकी नजर एक वीडियो पे पड़ी- “ब्रदर फक्स हिज सिस्टर इन्सेस्ट...” नेहा हैरान रह गई। ये क्या है? ऐसा भी हो सकता है भला? नेहा के मन में अजब ख्याल आ रहे थे। वो हताश और चकित दोनों थी। क्या समर ऐसे वीडियो
भी देखता है जिसमें भाई अपनी ही बहन को चोद रहा हो?

इन्सेस्ट- नेहा ने बहुत पोर्न देखी थी, मगर इसके बारे में कभी नहीं देखा था। उसने इन्सेस्ट को सर्च किया। तो उससे मिलियन्स साइट्स मिल गईं, जहां बेटा माँ को, बाप बेटी को और भाई बहन को चोद रहा था। नेहा की आँखें फटी की फटी रह गई। उसे ये सब गलत लग रहा था मगर उसकी चूत भी गीली हो रही थी। ये सब नेहा को उत्तेजित कर रहा था।

तभी नेहा की नजर एक इन्सेस्ट कहानी साइट पर पड़ी। उसने एक कहानी पे क्लिक किया जिसमें एक बहन अपने भाई का लण्ड लेने की कोशिश कर रही थी। उसने पहली बार ऐसी कहानी पढ़ी थी, और उसे खुद पर शर्म आ रही थी, की ऐसी कहानी पढ़कर उसकी चूत में हलचल हो रही थी। ऐसी हलचल जैसी उसने पहले कभी महसूस नहीं की थी। वो एक घंटे तक इन्सेस्ट कहानी पढ़ती रही। पता नहीं क्यों, लेकिन उसे ये कहानियां बहुत गरम लग रही थीं।

समर के घर आने का समय हो गया था। नेहा ने पी.सी. से रीसेंट हिस्टरी डेलिट की और बंद करके नीचे हाल में आ गई। इन्सेस्ट, इन्सेस्ट, इन्सेस्ट... उसके दिमाग में बस यही चल रहा था। एक भाई अपनी बहन को चोद सकता है? क्या ये बहुत गलत नहीं है? क्या ये दुनियां के नियम के खिलाफ नहीं है? इतने सवाल थे उसके मन में। हर भाई का एक लण्ड होता है। पर क्या वो लण्ड अपनी बहन के लिए खड़ा हो सकता है? क्या एक बहन की चूत अपने भाई के लिए गीली हो सकती है? एक मर्द और औरत एक दूसरे की प्यास बुझा सकते हैं... मगर अगर मर्द और औरत एक ही परिवार के हों, तब भी क्या वो ये काम कर सकते है? नेहा का दिमाग भाग रहा था। तभी दरवाजे पे आहट हुई। समर घर आ गया था। नेहा का छोटा भाई, जो नेहा को इस चक्त छोटा कतई नहीं लग रहा था।

समर- “दीदी भूख लगी है, जल्दी खाना रख दो..."

भूख तो नेहा को भी लगी थी, जिश्म की भूख। क्या एक भाई का लण्ड अपनी बहन के लिए खड़ा होगा? ये चेक करने का समय आ गया था।
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समर के दिमाग से खिलवाड़

9:00 बज चुके थे। नेहा ने डिनर तैयार कर लिया था और अपना मास्टर प्लान भी। उसके मन में उत्तेजना थी, अपने प्लान को लेकर। ना जाने क्या होने वाला था आज?

समर- “दीदी, भूख लग रही है। खाना दो ना..” समर चिल्लाया।

नेहा ने समर के लिए डिनर सर्व करा, और खुद ऊपर अपने कमरे की ओर चल पड़ी- “तू शुरू कर... मैं फ्रेश होकर आती हूँ.” ये कहकर वो ऊपर चली गई।

समर ने अपनी प्लेट उठाई और टी.वी. के आगे सोफे पे जाकर बैठ गया। टी.वी. ओन किया और अपना फरिट चैनल, फैशन-टी.वी. लगा दिया। उसने पीछे मुड़कर अपनी बहन की खबर ली। उससे लगा की अभी तो दीदी टाइम लगायेगी। वो आगे मुड़कर, डिनर और उन लड़कियों के मजे लेने लग गया। सेक्सी माडेल्स रैप वाक कर रही थी। टी.वी. पे इससे अच्छा टाइम पास क्या हो सकता है। वो उन लड़कियों में खो गया।

नेहा- “अच्छा तो पीठ पीछे तू ये सब देखता है.." नेहा की आवाज आई।

समर आवाज से चौंक गया और मुड़कर उसने पीछे खड़ी बहन को देखा, ये क्या था... अपनी बहन का रूप देखकर उसका मुँह खुल गया। नेहा ने एक छोटी सी शार्ट पहनी थी और एक सफेद तीन स्ट्रैप सलीवलेश टाप। उसकी पूरी जांघे दिख रही थीं। टाप का गला इतना बड़ा था की नेहा की क्लीवेज दिख रही थी और उसके नीचे पहनी पिंक ब्रा के स्ट्रैप भी दिख रहे थे। समर दो पलों के लिए अपनी बहन को घूरता रहा, कितनी सुंदर, कितनी गोरी, कितनी प्यारी, उसकी नेहा दीदी।

दीदी... बहन... अपनी बहन को ऐसे देखना गलत है। ये सोचते हए समर ने अपनी नजर वहाँ से हटा ली- “आ.. आ... आपने क्-क-कपड़े क्यों चेंज करे दीदी?” उसने हकलाते हुए पूछा।

नेहा- “गर्मी है यार। मन किया, वैसे भी पापा मम्मी के सामने ये कपड़े नहीं पहन सकती। लेकिन अभी तो तू ही है बस। क्यों पूछ रहा है? तुझे कुछ प्राबलम है मेरे कपड़ों से?” नेहा ने हँसते हुए पूछा।

समर ने अपना सिर हिलाकर ना में जवाब दिया, और क्या कहता वो? ये की अपनी बहन को पहली बार इस रूप में देखकर उसे कुछ हो रहा था। नेहा ने ऐसा भी कुछ ज्यादा प्रोवोकेटिव नहीं पहना था। आजकल की लड़कियां तो ये सब ही पहनती है। बस अपनी बहन पे उसने ऐसे कपड़े पहली बार देखे थे। समर अंजाने में फिर नेहा को घूरने लगा था। उसका गुलाबी बदन दूर से ही इतना कोमल लग रहा था। दीदी सच में सुंदर है, समर ने सोचा। होश आने पर उसने झट से अपनी आँखें नेहा से हटा ली। मगर नेहा ने समर को खुद को घूरते हुए देखा लिया था। उसके प्लान
नेहा भी अपने खाने की प्लेट लेकर सोफे पे बैठ गई- “तो मेरा भाई फैशन-टी.वी. देखा रहा था?” उसने कहा।

समर- “अरे दीदी, वो तो ये गलती से लग गया था। मैं अभी चेंज कर देता हूँ."
 
वो रिमोट उठा पाता उससे पहले नेहा ने उससे छीन लिया- “ना ना... गलती से... तो जो तू इतनी देर से टी.वी. पे इन लड़कियों को घूर रहा था वो भी गलती से था..” नेहा ने नटखट अंदाज में कहा।

समर पकड़ा गया था- “वो दीदी मैं..” उसे समझ में नहीं आया की क्या बोलू- “आई आम सारी..."

नेहा- "अरें सारी क्यों बोल रहा है... पागल... अब एक ** साल का जवान लड़का बंदियों को ही देखेगा ना। बंदों को तो नहीं..." नेहा ने हँसते हए कहा- "अनलेस वो 'गे' हो..."

समर शर्म से लाल हो गया।

नेहा- “शर्मा मत भाई। इट्स ओके." नेहा बोली- “देख आराम से। मैं कुछ नहीं कहूँगी..” ये कहकर उसने रिमोट को अलग रख दिया और खाना खाने लगी।

समर- “मुझे नहीं देखना दीदी..."

नेहा- “क्यों डर रहा है? चुपचाप देख ले। देखा कितनी सेक्सी माडेल है..” उसने टी.वी. की ओर इशारा किया। वहां एक प्यारी सी माडेल रैप वाक कर रही थी।

समर दुविधा में था। मगर नेहा के इतना बोलने पर वो चुप हो गया। फायदा क्या था। उससे पता था दीदी से जीत पाना नामुमकिन है। तो वो भी चुपचाप खाने लगा और फैशन-टी.वी. की माडेल्स को देखने लगा। फैशन टी.वी. पे अभी कुछ ज्यादा सेक्सी नहीं आ रहा था। बस सिंपल रैप वाक। 10 मिनट के लिए वो दोनों टी.वी. देखते-देखते खाना खाते रहे। ज्यादा बात नहीं हुई।

थोड़ी देर बाद नेहा ने बोला- “क्या अच्छा लगता है तुझे इन लड़कियों में?” उसने पूछा।

समर थोड़ा हिल गया इस सवाल से। उसके पास जवाब नहीं था कुछ कहने के लिए। वो बोला- “उम्म्म्म..."
उम्म्म्म

नेहा- “शर्मा मत, सिंपल सा सवाल है। क्या अच्छा लगता है तुझे लड़कियों में?"

समर चुप रहा।

नेहा ने फिर पूछा- “बता ना समर..."

समर- “उम्म्म्म
... आँखें..” समर ने ऐसे ही इस सिचुयेशन से निकलने के लिए ये जवाब दे दिया।

नेहा- “मुझे पागल समझा है तूने? सिर्फ आँखें पसंद है तो तू फैशन-टी.वी. क्यों देखता है? लड़कियों की आँखें तो तुझे बाकी चैनलों में भी दिख जायेंगी." नेहा बोली।

अब समर के पास कोई जवाब नहीं था। वो चुपचाप अपना खाना खाने लगा।

नेहा ने पूछा- “देख वो देख... जो लड़की है। इसमें तुझे क्या अच्छा लग रहा है?"

समर ने टी.वी. पे देखा। वो लड़की ने भी एक छोटी शार्ट पहनी थी और एक कमीज। उसकी जांघे भी बिल्कुल नेहा जैसी थी- “इसकी टाँगें बहुत अच्छी है.."

समर के मुँह से शब्द अपने आप निकल गये। समर ने सोचा- “ये मैंने क्या बोल दिया?"

नेहा- “ओहो तो मेरा छोटा भाई लड़कियों की टांगों पे ध्यान देता है.." नेहा ने अपने नटखट अंदाज में टांट मारा।

समर फिर चुप हो गया। उसे बहुत शर्म आ रही थी। कुछ देर बाद उसने बोला- “क्या दीदी क्यों मुझे शर्मिंदा कर रही हो?"

नेहा- "इसमें शर्मिंदा होने की क्या बात है? 18 साल का जवान लड़का है, और इस उमर में लड़कियों की टाँगें ही देखते हैं न...”

समर- “हाँ... मगर अपनी बहन को नहीं बताते..."
 
नेहा- “उफफो... तेरी बहन बाकी लड़कियों जैसे नहीं है। तेरी बहन एकदम कूल है। तू मुझसे हर तरह की बात कर सकता है। कुछ भी... बिना शर्म के...” नेहा ने समर को वादा किया।

समर- “हम्म्म्म
..” समर को थोड़ा अच्छा लगा की उसकी दीदी एक दोस्त की तरह बात कर रही थी।

नेहा- “तो वापस टापिकपे बात करते हैं। क्या अच्छा लगता है तुझे लड़कियों की टांगों में?" नेहा ने पूछा। वो खुद अपनी टाँगें आगे करके बैठ गई थी और टांगों को आपस में मसल रही थी।

समर बहुत मुश्किल से नेहा की टांगों को इग्नोर कर रहा था।

नेहा अपने छोटे भाई का इंतेहान ले रही थी- “बता ना समर?"

समर ने थोड़ी देर सोचा, दीदी बात तो निकलवा ही देगी तो चुप रहकर क्या फायदा। तो उसने उत्तर दे ही दिया "लड़कियों की टांगों का गोरापन, कोमलता। लंबी टाँगें जिनपे एक भी बाल ना हो। ये अच्छा लगता है.."

नेहा की चेहरे पे मुश्कुराहट आई और वो समर को घूरने लगी। उसने वो उत्तर दिया था जिसका नेहा को इंतेजार था। नेहा बोली- “वाह समर, तू तो बहुत आगे निकल गया.." और फिर कुछ देर रुक के उसने फिर बोला- “जो चीजें तूने अभी बताई वो तो मेरी टांगों में भी है। तब तो तुझे मेरी टाँगें भी पसन्द आ रही होंगी.."

ये नेहा के प्लान का हिस्सा था। भाई को अपने शरीर का परिचय कराना। समर के कान खड़े हो गये। ये उसकी दीदी ने क्या कहा? क्या पूछा? उसका दिमाग हिल गया था। क्या दीदी ने मुझको उनकी टाँगें घूरते देख लिया था? क्या दीदी मुझसे मजाक कर रही है? क्या वो सीरियसली मुझसे ऐसा सवाल पूछ रही है?

समर- “मैं आपकी टाँगें क्यों देखूगा? आप मेरी दीदी हो..."

नेहा- “अरे दीदी हूँ, लेकिन एक लड़की भी तो हूँ। नहीं? और मेरी भी टाँगें हैं। बिल्कुल वैसी जैसी तुझे पसंद हैं..." नेहा अपनी टांगों पे हाथ फेरते हुए बोली। वो अपने भाई को अपना बदन दिखा रही थी, और ये उसे खुद को बहुत उत्तेजित कर रहा था।

समर की नजर अपने आप अपनी बहन की लंबी मखमली टांगों पर चली गई। हाँ उसकी टाँगें समर को बहत पसंद आ रही थी।

नेहा को ये दिख रहा था। नेहा ने फिर कहा- “बोलता क्यों नहीं समर?"

समर- “हाँ... दीदी, आपकी टाँगें भी बिल्कुल वैसी हैं... और बहुत अच्छी भी... खुश?” समर ने जवाब दिया।

नेहा- “बहुत..." नेहा हँसते हुए बोली।

नेहा उठी और दोनों की प्लेटें लेकर किचेन में चली गई। डिनर हो चुका था। नेहा के जाने पे समर ने एक लंबी साँस ली। पता नहीं क्या हो गया था दीदी को। उसे क्या पता था की उसकी दीदी के दिमाग में और क्या-क्या घूम रहा था।

नेहा वापस आई, आइसक्रीम के दो बाउल लेकर, और कहा- “ले आइसक्रीम खा.."

समर- “बैंक यू दीदी.." समर ने जवाब दिया।

 
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