hotaks444
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भाई बहन की करतूतें
दोस्तों ये नई कहानी मैं हिन्दी फ़ोन्ट में ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुँचने के उद्देश्य के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा करता हूँ कि इस कहानी को भी आप उतना ही प्यार और पसन्द करेंगे।
मेरा नाम विशाल है, और मेरा परिवार उत्तरी भारत के एक छोटे से कस्बे में रहता है। मेरे पिताजी एक पब्लिक सैक्टर युनिट में काम किया करते थे, लेकिन जब मैं सिर्फ़ सात साल का था तभी पापा का दिल का दौरा पड़ने से स्वर्गवास हो गया था। मम्मी की अनुकम्पा के आधार पर पिताजी के ऑफ़िस में ही क्लर्क की नौकरी लग गयी थी।
मेरी मामा और नानी हमारे कस्बे में ही रहते थे मेरे चंदर मामा सरकारी ठेकेदार थे, मेरी मामी का देहांत दूसरे बच्चे की डिलीवरी के समय हो गया था, उसके बाद उन्होने दूसरी शादी नहीं की थी, नानी ही उनके दोनों बच्चों को पाल रहीं थीं। जब हम बड़े हो गये थे तब ज्यादातर हर शनिवार और रविवार को मम्मी, मामा के घर नानी के पास उनकी हैल्प करने को चली जाया करती थीं। हमारे मामा हमारी मम्मी से दो साल बड़े थे।
एक बार जब मेरे चंदर मामाजी हमारे यहाँ रुके हुए थे तब मामाजी को मैंने मेरी मम्मी से कहते हुए सुना कि मेरे पापा ने मेरे पैदा होने के बाद शायद उनको चड्डी पहनने का भी समय नहीं दिया होगा, उस से पहले ही दोबारा पेल दिया होगा जिसकी वजह से मेरी छोटी बहन पैदा हो गयी। शायद मामाजी को नहीं मालूम कि मैंने उनकी बात सुन ली थी। लेकिन ये बात सच थी कि मेरे और मेरी छोटी बहन प्रीती के पैदा होने बीच एक साल से भी कम का अन्तर था, और इसी वजह से बचपन से ही हम दोनों एक दूसरे के बेहद करीब थे।
घर में मैं, मेरी मम्मी शकुंतला, और छोटी बहन प्रीती ही रहा करते थे। मम्मी अकेले ही हम दोनों भाई बहन का पालन पोषण कर रहीं थीं, और शायद इसी वजह से हमारे लिये थोड़ा ज्यादा प्रोटेक्टिव थीं, जिसकी वजह से हम दोनों एक दूसरे के और ज्यादा करीब आ गये थे। कई बार ऐसा होता कि हमारे स्कूल की छुट्टी होती, और मम्मी को ऑफ़िस जाना होता, तो मम्मी हम दोनों को घर में बन्द कर के बाहर से ताला लगा कर चली जाया करती थीं। तो इन सब परिस्थितियों में मैं और मेरी बहन बहुत समय एक दूसरे के साथ बिताया करते थे।
जब हम दोनों छोटे छोटे थे शायद पाँच छः साल के होंगे तब तक मम्मी हम दोनों को एक साथ नहलाया करती थीं। स्वाभाविक रूप से मुझे हमेशा ये कौतुहल रहता कि प्रीती के पास मेरी तरह लण्ड नहीं था, हाँलांकि तब मैं उसको लण्ड नहीं कहा करता था। मम्मी ने मुझे उसको फ़ुन्नी कहना सिखाया था। और मेरे ख्याल से मम्मी ने तब से हम दोनों को एक साथ नहलाना बन्द कर दिया था जब एक बार मैंने उनसे पूछ लिया था कि प्रीती की फ़ुन्नी किस ने काट ली। बाल सुलभ जिज्ञासायें इतनी जल्दी खतम भी नहीं होतीं, और समय के साथ मेरी भी समझ में आ गया कि सभी लड़कियाँ ऐसी ही होती हैं।
हमारी उम्र में ज्यादा अन्तर ना होने की वजह से कई लोग पूछा करते कि हम दोनों जुड़वाँ तो नहीं हैं। हाँलांकि हम दोनों की शक्ल एक जैसी नहीं थी, लेकिन प्रीती अपनी उम्र से ज्यादा लम्बी थी, और जब तेरह चौदह साल तक जब मेरी यकायक एक साथ लम्बाई बढी, तब तक हम दोनों की लम्बाई करीब करीब बराबर ही थी। हम दोनों के एक जैसे हल्के काले बाल थे, हाँलांकि बेशक मेरे छोटे थे, एक जैसी गहरी भूरी आँखें, एक सा गेहुँआ रंग। और जब तक मेरा शरीर भरा हुआ गठीला होना शुरु नहीं हुआ था, तब तक दोनों एक जैसे पतले दुबले थे।
जब मेरी छाती और कन्धे चौड़े होने शुरु हुए, तब प्रीती के बदन में भी उभार आने शुरु हो गये। वो हमेशा ही पतली दुबली रही, उसकी चुँचियाँ भी छोटी छोटी थीं, लेकिन एक बार जब उसने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तो उसकी गाँड़ पर गजब का उभार आ गया, उसकी टाँगें लम्बी और सुडौल हो गयीं। प्रीती ऐश्वर्या राय की तरह खूबसूरत तो नहीं थी लेकिन वो एक सामान्य सुन्दर लड़की थी। मेरे ख्याल से अगर वो बाहर ज्यादा घुमा फ़िरा करती तो लड़के उसके आगे पीछे ही मँडराते रहते, लेकिन वो हमेशा अजनबियों से दूरी ही बना कर रखती। इसकी एक वजह ये भी थी कि मम्मी हम दोनों के लिये कुछ ज्यादा ही प्रोटेक्टिव थीं, और मेरा स्वभाव भी कुछ ऐसा ही हो गया था।
दोस्तों ये नई कहानी मैं हिन्दी फ़ोन्ट में ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुँचने के उद्देश्य के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा करता हूँ कि इस कहानी को भी आप उतना ही प्यार और पसन्द करेंगे।
मेरा नाम विशाल है, और मेरा परिवार उत्तरी भारत के एक छोटे से कस्बे में रहता है। मेरे पिताजी एक पब्लिक सैक्टर युनिट में काम किया करते थे, लेकिन जब मैं सिर्फ़ सात साल का था तभी पापा का दिल का दौरा पड़ने से स्वर्गवास हो गया था। मम्मी की अनुकम्पा के आधार पर पिताजी के ऑफ़िस में ही क्लर्क की नौकरी लग गयी थी।
मेरी मामा और नानी हमारे कस्बे में ही रहते थे मेरे चंदर मामा सरकारी ठेकेदार थे, मेरी मामी का देहांत दूसरे बच्चे की डिलीवरी के समय हो गया था, उसके बाद उन्होने दूसरी शादी नहीं की थी, नानी ही उनके दोनों बच्चों को पाल रहीं थीं। जब हम बड़े हो गये थे तब ज्यादातर हर शनिवार और रविवार को मम्मी, मामा के घर नानी के पास उनकी हैल्प करने को चली जाया करती थीं। हमारे मामा हमारी मम्मी से दो साल बड़े थे।
एक बार जब मेरे चंदर मामाजी हमारे यहाँ रुके हुए थे तब मामाजी को मैंने मेरी मम्मी से कहते हुए सुना कि मेरे पापा ने मेरे पैदा होने के बाद शायद उनको चड्डी पहनने का भी समय नहीं दिया होगा, उस से पहले ही दोबारा पेल दिया होगा जिसकी वजह से मेरी छोटी बहन पैदा हो गयी। शायद मामाजी को नहीं मालूम कि मैंने उनकी बात सुन ली थी। लेकिन ये बात सच थी कि मेरे और मेरी छोटी बहन प्रीती के पैदा होने बीच एक साल से भी कम का अन्तर था, और इसी वजह से बचपन से ही हम दोनों एक दूसरे के बेहद करीब थे।
घर में मैं, मेरी मम्मी शकुंतला, और छोटी बहन प्रीती ही रहा करते थे। मम्मी अकेले ही हम दोनों भाई बहन का पालन पोषण कर रहीं थीं, और शायद इसी वजह से हमारे लिये थोड़ा ज्यादा प्रोटेक्टिव थीं, जिसकी वजह से हम दोनों एक दूसरे के और ज्यादा करीब आ गये थे। कई बार ऐसा होता कि हमारे स्कूल की छुट्टी होती, और मम्मी को ऑफ़िस जाना होता, तो मम्मी हम दोनों को घर में बन्द कर के बाहर से ताला लगा कर चली जाया करती थीं। तो इन सब परिस्थितियों में मैं और मेरी बहन बहुत समय एक दूसरे के साथ बिताया करते थे।
जब हम दोनों छोटे छोटे थे शायद पाँच छः साल के होंगे तब तक मम्मी हम दोनों को एक साथ नहलाया करती थीं। स्वाभाविक रूप से मुझे हमेशा ये कौतुहल रहता कि प्रीती के पास मेरी तरह लण्ड नहीं था, हाँलांकि तब मैं उसको लण्ड नहीं कहा करता था। मम्मी ने मुझे उसको फ़ुन्नी कहना सिखाया था। और मेरे ख्याल से मम्मी ने तब से हम दोनों को एक साथ नहलाना बन्द कर दिया था जब एक बार मैंने उनसे पूछ लिया था कि प्रीती की फ़ुन्नी किस ने काट ली। बाल सुलभ जिज्ञासायें इतनी जल्दी खतम भी नहीं होतीं, और समय के साथ मेरी भी समझ में आ गया कि सभी लड़कियाँ ऐसी ही होती हैं।
हमारी उम्र में ज्यादा अन्तर ना होने की वजह से कई लोग पूछा करते कि हम दोनों जुड़वाँ तो नहीं हैं। हाँलांकि हम दोनों की शक्ल एक जैसी नहीं थी, लेकिन प्रीती अपनी उम्र से ज्यादा लम्बी थी, और जब तेरह चौदह साल तक जब मेरी यकायक एक साथ लम्बाई बढी, तब तक हम दोनों की लम्बाई करीब करीब बराबर ही थी। हम दोनों के एक जैसे हल्के काले बाल थे, हाँलांकि बेशक मेरे छोटे थे, एक जैसी गहरी भूरी आँखें, एक सा गेहुँआ रंग। और जब तक मेरा शरीर भरा हुआ गठीला होना शुरु नहीं हुआ था, तब तक दोनों एक जैसे पतले दुबले थे।
जब मेरी छाती और कन्धे चौड़े होने शुरु हुए, तब प्रीती के बदन में भी उभार आने शुरु हो गये। वो हमेशा ही पतली दुबली रही, उसकी चुँचियाँ भी छोटी छोटी थीं, लेकिन एक बार जब उसने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तो उसकी गाँड़ पर गजब का उभार आ गया, उसकी टाँगें लम्बी और सुडौल हो गयीं। प्रीती ऐश्वर्या राय की तरह खूबसूरत तो नहीं थी लेकिन वो एक सामान्य सुन्दर लड़की थी। मेरे ख्याल से अगर वो बाहर ज्यादा घुमा फ़िरा करती तो लड़के उसके आगे पीछे ही मँडराते रहते, लेकिन वो हमेशा अजनबियों से दूरी ही बना कर रखती। इसकी एक वजह ये भी थी कि मम्मी हम दोनों के लिये कुछ ज्यादा ही प्रोटेक्टिव थीं, और मेरा स्वभाव भी कुछ ऐसा ही हो गया था।