ठरकी प्रिंसिपल ने मुझे अपने कमरे में स्कूल टाइम में ही चोद लिया - SexBaba
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ठरकी प्रिंसिपल ने मुझे अपने कमरे में स्कूल टाइम में ही चोद लिया

desiaks

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Aug 28, 2015
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हाय दोस्तों, मैं मंतसा आप सभी का नॉन वेज स्टोरी में स्वागत करती हूँ। मैं पिछले ६ महीने से नॉन वेज स्टोरी की मसर सेक्सी कहानियाँ पढकर मजे लूट रही हूँ। आज आपको अपनी सेक्सी स्टोरी मैं सुनाने जा रही हूँ। जब मैं हाई स्कुल पास कर गयी तो मेरे घर वालों ने मेरा नाम मदर मैरी इंटरनेशनल स्कूल में लिखवा दिया। वो स्कूल मेरे शहर का सबसे बड़ा और महंगा स्कूल था। उसकी बिल्डिंग ४ मंजिला थी और बेहद खूबसूरत स्कुल था। वहा जाते ही मुझे नयी नयी बाते पता चलने लगी। जैसे चूत में ऊँगली कैसे करते है, लडकियों को कैसे मुठ मारनी चाहिए इत्यादि। धीरे धीरे मैं वहा के माहोल में बिगड़ गयी। उस स्कूल में जादातर अमीर घरों के बच्चे पढ़ने जाते थे।

उनके पास पैसे की कोई कमी न थी। मेरे साथ की लडकियों ने मुझे कोकीन सुंघाना शुरू कर दी, इसके साथ मैं अश्लील मैगजीन और कॉमिक्स पढ़ने लग गयी और उस अमीर बच्चों के बीच में रहकर मैं पूरी तरह से बिगड़ गयी। एक दिन मैं लेडीज बाथरूम में जाकर मुठ मार रही थी की मेरे प्रिंसिपल तो इसाई थे उन्होंने मुझे चूत में ऊँगली डालते और जोर जोर से अंदर बाहर करते पकड़ लिया

"ऐ मंतसा !! तुम ये सब क्या करता है??? हम अभी तुम्हारी मम्मी को बुलाता है और तुम्हारी सिकायत करता है!!" मेरे प्रिंसिपल अपनी इसाई वाली भाषा में बोले

"सर!! प्लीस ! ऐसा मत करिए! आज तो कहेंगे मैं करुँगी पर प्लीस मेरे घर वालों में मेरी इस बुरी आदत के बारे में मत बताइये!" मैंने कहा और प्रिंसिपल सर मिस्टर डिसूजा के सामने मैं हाथ जोड़ने लगी। उन्होंने मुझे निचे से उपर तक गौर से देखा। मैंने कॉलेज की शर्ट और स्कर्ट पहन रखी थी। मैं देखने में बिलकुल कच्ची कली और चोदने लायक सामान लग रही थी। मेरे बूब्स भी अभी कुछ महीनो पहले काफी बड़े बड़े हो गये थे और ३४ साइज के हो गये थे। प्रिंसिपल डिसूजा मुझे उपर से नीचे तक बड़े गौर से देखने लगे। मुझे बिलकुल नही मालुम था की उनके मन में क्या चल रहा है।

"ओके!! हम तुम्हारा मम्मी से सिकायत नही करेगा, पर तुमको मेरे कमरे में आना पड़ेगा!!" सर बोले

"ओके सर!" मैंने कहा

मैं उनके साथ साथ उसके प्रिंसिपल रूम में आ गयी। उन्होंने चपरासी से कहा की जब तक वो ना कहे किसी को अंदर ना आने दिया जाए। वो मुझे अंदर ले गये और सोफे पर जाकर बैठ गये। प्रिसिपल सर ने मुझे अपने साथ बिठा लिया और मेरे सीधे हाथ में अपने हाथ में ले लिया।

"मंतसा !! क्या तुम जानता है की तुम बड़ा झक्कास माल है! इकदम फूल माफिक! हम चाहता है की तुम हमसे प्यार करने का एक झूटा नाटक करो! इसके बाद हम तुमको जाने देगा और किसी से तुम्हारा कोई सिकायत नही करेगा!!" सर बोले

"ठीक है सर! मैं तैयार हूँ!" मैंने कहा

उसके बाद प्रिंसिपल सर मेरा हाथ चूमने लगे और किस करने लगे जैसे मैं उनकी स्टूडेंट्स नही, बल्कि उनका चोदने वाला सामान हूँ। धीरे धीरे वो मेरे इकदम करीब आ गये और बोले "मंतसा !! अब तुम हमारा गाल पर पप्पी देगा!" वो बोले। तो मैं फ़ौरन उसके काले काले गाल पर अपने सुर्ख होठों से चुम्मा देने लगी। धीरे धीरे प्रिंसिपल सर के साथ मेरे कंधे पर मेरी शर्ट पर आ गये। धीरे धीरे उनके हाथ मेरे जिस्म पर रेंगने लगे किसी सांप की तरह और सर अपने नापाक हाथों से मेरी पीठ सहलाने लगी। मैंने उसने प्यार का झूटा नाटक करने लगी, पर ये झूटा नही बल्कि सच्चा नाटक हो रहा था। धीरे धीरे सर ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। मैं जानती थी की अब आगे क्या होने वाला है। वो मुझे बुरी तरह चोदने वाले थे, मैं ये बात जानती थी। कहाँ वो ५० साल के और कहाँ मैं १४ साल की कच्ची कली। पर दोस्तों, आज मुझे प्रिंसिपल से चुदवाना ही पड़ेगा, वरना वो मेरे घर वालों को स्कूल में बुलाकर बता देंगे की मैं स्कूल में बाथरूम में छिपकर मुठ मार रही थी। इसलिए दोस्तों, आज मुझे उस हमारी आदमी ने चुदवाना ही होगा चाहे मेरी चूत ही क्यूँ ना उनके मोटे लंड से फट जाए।

मेरे प्रिंसिपल डिसूजा सर ने मुझे सोफे पर अपनी गोद में बिठा लिया और धडाधड मेरे हसीन खूबसूरत होठो को चूमने चाटने लगे। फिर उसके बड़े बड़े पंजे वाले हाथ मेरे सीने पर शर्ट पर आ गये और मेरे नये नये मम्मे वो मजे लेकर दबाने लगे। मुझे समझते देर ना लगी की मेरा स्कूल में यौन शोषण हो रहा है। मेरा मादरचोद ठरकी प्रिंसिपल आज मुझे स्कूल में ही चोदने वाला है। पर दोस्तों, मैं मजबूर थी। उसके बाद क्या था दोस्तों। प्रिंसिपल सर मुझे अपना घर का चोदने खाने वाला माल समझने लगे और जोर जोर से शर्ट के उपर से मेरे हसीन दूध दबाने लगे। मुझे बहुत दर्द हो रहा था।

"सर!! प्लीस आराम से दबाइए!! आज तक मेरे मुलायम मक्खन जैसे बूब्स को किसी ने भी हाथ नही लगाया है, इसलिए प्लीस आप मुझे आराम से दबाइए!!" मैंने कहा। कुछ देर तक वो वो कमीना आराम आराम से मेरे स्तन मींजता और दबाता रहा, पर कुछ देर बाद फिर से उसने मेरे बूब्स को टमाटर की तरह निचोड़ना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उसने मेरी स्कूल ड्रेस वाली शर्ट की बटन खोल दी और मेरी शर्ट निकाल दी। मैं अब सिर्फ ब्रा में आ चुकी थी। मैंने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैं बहुत ही गोरी माल थी और काली ब्रा में मैं बिलकुल कोहिनूर का हीरा लग रही थी।

"प्रिंसिपल सर!! ..आप क्या करने जा रहे है???' मैंने डरते डरते पूछा

"मंतसा !! मैं तुमको चोदने वाला हूँ। धुमा फिरकर बात करना मुझे पसंद नही है..इसलिए मैं तुमको साफ़ साफ़ बता रहा हूँ की आज मैं तुमको यही पर चोदने वाला हूँ" हरामी पिंसिपल डिसूजा बोला

चोदना शब्द सुनते ही मेरा कजेला धकर धकर होने लगा। ना जाने कैसा होता होगा ये चोदना, मैंने सोचा। उसने बाद प्रिंसिपल ने मुझे अपने शर्ट की बटन खोलने को कहा तो मैंने एक एक बटन खोल दी। उन्होंने अपनी शर्ट निकाल दी और उपर से नंगे हो गये। मेरे ब्रा के उपर उन्होंने अपने हाथ रख दिए। ब्रा के अंदर मेरे ३४ साईज के बूब्स थे। मिस्टर डिसूजा मेरी काली ब्रा के उपर ने मेरे हरे हरे दूध दबाने लगा। पहले तो मुझे घबराहट हो रही थी, पर फिर बाद में मुझे मजा मिलने लगा।

"मंतसा!! मेरी जान !! क्या तुमको अपना बूब्स दबवाने में मजा आता है??' सर अपनी इसाई वाली भाषा में बोले। इस तरह की बोली जादातर गोवा में बोली जाती है

"..हाँ सर!! मुझे बहुत मजा मिल रहा है!! दबाइए दबाइए सर!! मुझे खूब मजा मिल रहा है!!" मैंने कहा तो सर और जोर जोर से मेरी काली ब्रा के उपर से मेरे दूध दबाने लगे। फिर कुछ देर बाद उन्होंने मेरी ब्रा निकाल दी। अपने स्कूल में प्रिंसिपल के सामने मैं नंगी हो गयी पूरी तरह से। उस ५० साल के आदमी की आँखों में सिर्फ और सिर्फ वासना थी। वो मुझे जमकर चोदना चाहता था और अपने लंड की हवस शांत करना चाहता था। मैं सब समझ रही थी की वो एक अच्छा प्रिंसिपल नही बल्कि एक ठरकी प्रिंसिपल था। अगर मुझे जरा भी शक होता की वो लडकियों को मुठ मारते पकड़ लेता है तो उनको चोद देता है तो मैं कभी स्कूल के बाथरूम में मुठ नही मारती। मेरा हमारी प्रिंसिपल मेरे मासूम मम्मो को कस कसके दबाने लगा। और खुद बहनचोद जन्नत के मजे लेने लगा। उसके विशाल राक्षस जैसे पंजों में मेरे छोटे छोटे दूध दबकर मरे जा रहे थे। वो ठकरी प्रिंसिपल मेरे स्तन को खूब कस कसके दबा रहा था। फिर वो झुककर मेरे दूध पीने लगा और खुद जन्नत के मजे लूटने लगा। उम्र में हरामी डिसूजा मेरा बाप लग रहा था और मैं उसकी बेटी लग रही थी। फिर भी उसको मेरी चूत मारने से मतलब था इसलिए वो अपनी बेटी की उम्र की लडकी को आज चोदने वाला था।

कुछ देर बाद उसने मुझे नर्म सोफे पर लिटा दिया और मेरे नये नये मासूम दूधो को मुँह में भर लिया। ओह्ह्ह्हह दोस्तों, मेरे दूध बहुत ही सफ़ेद और चिकने थे। मेरी निपल्स बहुत ही कड़ी और खड़ी हो गयी थी। मेरी निपल्स के चारो ओर बड़े बड़े काले काले घेरे थे। मैं बहुत ही सेक्सी माल थी। मेरे क्लास के लड़के मुझे कबसे चोदने के लिए कह रहे थे पर किस्मत से मैं प्रिंसिपल डिसूजा को चोदने खाने के लिए मिल गयी थी। उस कमीने का मुँह इतना बड़ा और दैत्याकार था की मेरे ३४ साईज के बूब्स भी उसने पूरी तरह से समा गये थे। वो ठरकी मेरी इज्जत लूट रहा था और मेरे नये नये बेहद सॉफ्ट दूध पी रहा था। फिर डिसूजा का हाथ मेरी स्कर्ट की तरह बढ़ने लगा और उसने उसे खोल दिया। उसका हाथ अंदर घुस गया उसी तरह जैसे कश्मीर से आतंकवादी हिंदुस्तान में घुस जाते है और आतंक मचाते है, उसी उसी तरह बहनचोद डिसूजा का हाथ मेरी स्कर्ट में घुस गया और मेरी चूत ढूंढने लगा।

कुछ देर में उसे मेरी चूत मिल गयी और वो मेरी पेंटी के उपर से मेरी चूत में ऊँगली करने लगा। धीरे धीरे मैं पूरी तरह से उसके वश में आने लगी। प्रिंसिपल सर धीरे धीरे मेरी चूत घिसने लगे और वो पानी पानी होने लगी। फिर आखिर १० मिनट बाद उसने मेरी स्कर्ट निकाल दी और किनारे रख दी। फिर उसने अपनी पैंट निकाल दी और पेरी पेंटी भी निकाल दी। अब मैं उनके कमरे में पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। मेरे जैसी १४ साल की माल आज प्रिंसिपल सर को चोदने खाने के लिए मिलने वाली थी। इसलिए वो बहुत खुश लग रहे थे। वो मेरे जिस्म को उपर से नीचे तक बिना पलकें झपकाए ताड़ रहे थे। मैं अच्छी तरह से जानती थी वो मुझे आज कसके चोदने वाले थे। ये बात मैं अच्छी तरह से जानती थी। फिर उन्होंने अपना कच्छा निकाल दिया।

उनका काला लंड बहुत ही खतरनाक लग रहा था। जैसे कोई गुस्साया हुआ नागराज।

"मंतसा!! मेरी जान !! अब तुमको हमारा लंड अपने मुँह में लेकर चुसना पड़ेगा! देखो अच्छा से चुसना वरना हम तुम्हारी मम्मी को यहाँ बुला लेगा!" सर से एक बार मुझे फिर से धमकी थी

"सर!! मैं आपका लंड बहुत अच्छे से चूसूंगी, पर प्लीस मेरे घर वालों को मत बुलाइए!" मैंने कहा

बहनचोद डिसूजा ने अपना काला नाग जैसा लंड मेरे मुँह में दे दिया और चुस्वाने लगा। मैं डरी हुई थी इसलिए मैं कोई मनाही नही की और उस कुत्ते का लंड मजे से चूसने लगी। उसका सुपाडा बहुत बड़ा और मोटा था। काफी बदबू भी आ रही थी प्रिसिपल के लंड से पर फिरभी मुझे उसे मुँह में लेना पड़ा। धीरे धीरे मैंने उसका पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मजे से चूसने लगी। मैंने आपका हाथ उसके लंड पर रख दिया और फेटते फेटते मैं चूसने लगी। कुछ देर बाद मुझे भी दोस्तों, खूब मजा मिलने लगा। मैं जोर जोर से किसी रंडी की तरह अपने प्रिंसिपल का लंड चूसने लगी। वो मेरे स्तनों पर हाथ लगाने लगा और मजे ले लेकर चुस्वाने लगा। मैंने बड़ी देर तक उसका लंड चुस्ती रही। फिर उसने मुझे सोफे पर लिटा दिया। मेरी टाँगे खोल दी और मेरी काली काली सांवली चूत पीने लगा। मेरा ठरकी प्रिसिपल मेरी चूत को अपनी जीभ से किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था। मुझे बहुत मजा मिल रहा था। पूरी चूत में मीठी मीठी लहरे निकल रही थी। मेरा पूरा शरीर कांप रहा था। मादरचोद डिसूजा मेरी चूत की एक एक कली को बड़े मजे और फुर्सत से पी रहा था जैसे मैं उसकी स्टूडेंट नही बल्कि गर्लफ्रेंड हूँ। वो अपनी ऊँगली ने मेरे चूत के दाने को सहलाने लगा फिर जोर जोर से घिसने लगा। मेरी चूत में ज्वार भाटा उठने लगा।

उसके बाद डिसूजा मेरी चूत पर बैठ गया। उसने अपना बहुत ही मोटा विशालकाय लंड मेरी चूत के दरवाजे पर रखा और जोर से धक्का मारा। मेरी चूत की सील टूट गयी और उसका लंड मेरी चूत में गच्च से अंदर उतर गया। डिसूजा मुझे चोदने लगा। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। अब मैं कुवारी माल नही रह गयी थी। डिसूजा ने मेरी गोरी गोरी झाघो को पकड़ लिया और मुझे हचाहच चोदने लगा। आज मैं जान गयी की चुदवाना क्या होता और और चूत में लंड खाना कैसा होता है। दोस्तों, आज मुझे ये मालूम हो गया। मेरी टाँगे अपने आप उपर की तरह उठ गयी और मैं मजे से अपने स्कूल के प्रिंसिपल से चुदवाने लगी। कुछ देर बाद मुझे भी खूब मजा मिलने लगा और मैं जोर जोर से कराहने लगी। ऊऊऊ आआआअ ओह हो आ आ आहा !! उई उई उई !! आउच!! करके मैं जोर जोर से मीठी और बेहद मादक सिसकारी निकालने लगी।

मेरा बहनचोद प्रिंसिपल डिसूजा और जादा जोश में आ गया और मुझे कस कसके पेलने लगा। कुछ देर बाद वो मेरे भोसड़े में गहरे धक्के देने लगा। मेरी कमर अपने आप नाचने लगी। मैं अपना पेट उपर की तरह उठाने लगी और किसी इन्द्रधनुष की तरह लगने लगी। मेरी चूत में फुरफुरी उड़ने लगी। डिसूजा मुझे पक पक पेलने लगा। फिर वो बिना रुके धक्के मारने लगा। कुछ देर बाद उसने अपना माल मेरी चूत में छोड़ दिया। उस हरामी ने आज अपनी बेटी की उम्र की लौंडिया को जीभर के चोद लिया। कुछ देर बाद उसने मुझे सोफे पर ही कुतिया बना दिया। अपने घुटनों और दोनों हाथो पर मैं कुतिया बन गयी। मेरा प्रिंसिपल अब मुझे फिर से पीछे से चोदने लगा। मेरे नाजुक गोल मांसल और चिकने चुतड को वो मजे से सहला रहा था। पीछे से मुझे खचा खच चोद रहा था। कुछ देर बाद वो फिर से मेरी चूत में झड गया।

उसके बाद से दोस्तों मुझे मुझे हफ्ते में २ बार अपने कमरे में बुलाता है और मुझे नंगा करके अपने कमरे में ही चोदता था। वो मेरा शारीरिक यौन शोषण कर रहा है पर मैं कुछ भी नही कर पा रही हूँ। और ना चाहते हुए भी मुझे उससे चुदवाना पड़ता है।
 
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